मौसम अनुकूल रहा तो इस साल दिल्ली-एनसीआर को जहरीले धुएं से मिलेगी राहत: सीपीसीबी
मौसम अनुकूल रहा तो प्रदूषण की मार झेल रहे दिल्ली-एनसीआर के लोगों को इस साल पराली के जहरीले धुएं से राहत मिल सकती है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने इसकी उम्मीद जताई है। पराली के जहरीले धुएं से मिल सकती है राहत।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। मौसम अनुकूल रहा तो प्रदूषण की मार झेल रहे दिल्ली-एनसीआर के लोगों को इस साल पराली के जहरीले धुएं से राहत मिल सकती है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने शुक्रवार को इसकी उम्मीद जताई है। साथ ही बताया है कि इस बार पंजाब और हरियाणा में गैर-बासमती धान की रोपाई भी पिछले साल के मुकाबले कम क्षेत्रफल में हुई है। इसके चलते पराली जलाने वाले क्षेत्रों में पहले से कमी हो गई है। जबकि बासमती धान की कटाई हो चुकी है।
पराली के जहरीले धुएं से मिल सकती है राहत
दूसरा दोनों ही राज्यों में किसानों को पराली को खेतों में ही नष्ट करने के लिए उपलब्ध कराए गई मशीनों से भी पराली के जलने की घटनाओं में कमी देखी जा रही है। इसके साथ ही राज्य सरकार भी इसके रोकने के लिए पूरी मुस्तैदी बरत रही है। ऐसे में पिछले सालों के मुकाबले पराली कम ही जलेगी।
दिल्ली-एनसीआर को प्रदूषण से राहत मिलने की उम्मीद: सीपीसीबी के चेयरमैन
सीपीसीबी के चेयरमैन शिव दास मीणा ने इस दौरान एक रिपोर्ट भी जारी की, जिसमें बताया कि अकेले पंजाब में पिछले साल यह 22.91 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में रोपा गया था, जबकि इस साल यह 20.76 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में ही रोपा गया है। इसी तरह हरियाणा में भी पिछले साल गैर-बासमती धान की रोपाई 6.48 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में हुई थी, जबकि इस साल यह 4.27 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में रोपा गया है। वहीं बासमती धान की फसल पहले से कट चुकी है। उनका साफ कहना था कि जो कदम पिछले सालों में उठाए गए थे, उससे इस साल दिल्ली-एनसीआर को प्रदूषण से राहत मिलने की उम्मीद है।
सीपीसीबी के चेयरमैन मीणा ने कहा- दिल्ली में बढ़े प्रदूषण के पीछे मौसम जिम्मेदार
हालांकि मौसम को लेकर उन्होंने चिंता जताई और कहा कि मौजूदा समय में दिल्ली में बढ़े प्रदूषण के पीछे भी मौसम जिम्मेदार है, क्योंकि एक सिंतबर से ही प्रदूषण के लिहाज से दिल्ली का मौसम पूरी तरह प्रतिकूल है। जिसके चलते इस बार बारिश भी पिछले साल के मुकाबले कम हुई है। सीपीसीबी ने इस दौरान एक और रिपोर्ट जारी की और बताया कि दिल्ली में पिछले साल यानी 2019 में एक सिंतबर से 14 अक्टूबर के बीच 121 मिलीमीटर बारिश हुई थी, जबकि इस बार इन दिनों में सिर्फ 21 मिलीमीटर बारिश हुई है। इसके चलते हवा में भारी कण उड़ रहे है। साथ ही सड़कों और निर्माणाधीन स्थलों से धूल भी उड़ रही है। इसके साथ ही हवाओं की रफ्तार भी पिछले साल के मुकाबले धीमी है। इसके चलते प्रदूषण दिल्ली में कम दबाव का क्षेत्र बनने से हवा में तैर रहे है।
प्रदूषण से निपटने के लिए कलस्टर आधारित योजना पर काम शुरू
हालांकि इस सब के बीच सीपीसीबी ने साफ किया है कि मौजूदा समय में दिल्ली के प्रदूषण में पराली के जलने वाले धुएं की मात्रा सिर्फ चार फीसद के आसपास है, जबकि 96 फीसद कारण स्थानीय है। हालांकि इससे निपटने के लिए सीपीसीबी ने हॉट स्पॉट वाली रणनीति के आगे कलस्टर आधारित योजना पर काम शुरू करने की जानकारी दी। साथ ही कहा कि वह इसे लेकर काम कर रहे है।