लॉकडाउन और लंबा चला तो उच्च शिक्षण संस्थानों की बिगड़ेगी रैकिंग
नैक ने सभी उच्च शिक्षण संस्थानों से 30 अक्टूबर तक एनुअल क्वालिटी एशोरेंस रिपोर्ट (एक्यूएआर) देने को कहा है। जो इस बार ऑनलाइन दी देनी होगी।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। लॉकडाउन के चलते उच्च शिक्षण संस्थान जहां तत्कालिक चुनौतियों से जूझ ही रहे है, वहीं उनके सामने इस लॉकडाउन के चलते आगे भी बड़ी चुनौती खड़ी होनी वाली है। जो इन सभी संस्थानों की रैकिंग से जुड़ी है। जिसका मूल्यांकन ही संस्थानों की शैक्षणिक व शोध से जुड़ी गतिविधियों के आधार पर किया जाता है। लेकिन मौजूदा परिस्थितियों में लॉकडाउन के चलते वह सब ठप पड़ी है। ऐसे में संस्थानों के सामने अगली रैकिंग के मूल्यांकन के दौरान अपने प्रदर्शन का ब्यौरा दे पाना काफी कठिन होगा।
30 अक्टूबर तक सभी संस्थानों से मांगी गई एनुअल क्वालिटी एंशोरेंस रिपोर्ट
उच्च शिक्षण संस्थानों की यह चिंता इसलिए भी बढी हुई है, क्योंकि राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (नैक) ने सभी उच्च शिक्षण संस्थानों से 30 अक्टूबर तक एनुअल क्वालिटी एशोरेंस रिपोर्ट (एक्यूएआर) देने को कहा है। जो इस बार ऑनलाइन दी देनी होगी। हालांकि इन सारी परिस्थितियों के बीच मानव संसाधन विकास मंत्री ने नैक के साथ मिलकर उच्च शिक्षण संस्थानों को कोरोना काल के संकट से उबारने को लिए एक बड़ी ऑनलाइन परिचर्चा रखी है। जो 28 मई को होगी। जिसमें देश भर के करीब 45 हजार कालेज एक साथ जुड़ेंगे।
करीब 22 फीसद उच्च शिक्षण संस्थान इस दौड़ से बाहर
मंत्रालय से जुड़े सूत्रों की मानें तो यदि जल्द ही संस्थानों में शोध और शैक्षणिक गतिविधियां शुरू नहीं हुई, तो इसका असर उनकी रैकिंग के प्रदर्शन पर पड़ेगा। वैसे भी देशभर में मौजूदा समय में करीब 22 फीसद उच्च शिक्षण संस्थान इस दौड़ से बाहर है। मार्च के बाद से संस्थानों से लगातार बंद रहने से उसके पास सिर्फ आनलाइन शिक्षा के अलावा इस दौरान कुछ नया बताने के लिए भी नहीं है।
वहीं उच्च शिक्षण संस्थानों के लिए रैकिंग इसलिए भी अहम है, क्योंकि इसके आधार पर ही प्रवेश में प्राथमिकता के साथ ज्यादा से ज्यादा आनलाइन कोर्स शुरू कर सकते है। हाल ही में सरकार ने रैकिंग में देश के शीर्ष सौ उच्च शिक्षण संस्थानों को आनलाइन कोर्स शुरू करने के लिए मंजूरी देने की घोषणा की है। ऐसे में इस दौड़ में शामिल हरेक संस्थान रैकिंग में जगह बनाने को लेकर पूरी तरह से सतर्क है।