महज सात सांसदों ने गोद लिए गांव
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी सांसद आदर्श ग्राम योजना की प्रगति से सरकार खुश नहीं है। शुरुआत में ही इसकी सुस्त चाल को देखते हुए
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी सांसद आदर्श ग्राम योजना की प्रगति से सरकार खुश नहीं है। शुरुआत में ही इसकी सुस्त चाल को देखते हुए ग्रामीण विकास मंत्री नितिन गडकरी ने सभी लोकसभा और राज्यसभा सदस्यों को पत्र लिखकर असंतोष जताया है। इस योजना में अभी तक महज सात सांसदों ने गांव का चयन किया है।
गत 11 अक्टूबर को योजना का आगाज करते हुए मोदी ने आह्वान किया था कि सांसदों के अलावा विधायकों को भी अपने-अपने क्षेत्रों में गांवों को आदर्श बनाने का काम हाथ में लेना चाहिए। देश में फिलहाल दो लाख 65 हजार ग्राम पंचायतें हैं। योजना के तहत, मैदानी क्षेत्रों में 3000 से 5000 और पर्वतीय, आदिवासी व दुर्गम इलाकों में 1000 से 3000 तक की आबादी वाली पंचायतों को आदर्श ग्राम में बदला जाएगा। योजना को महात्मा गांधी के 'ग्राम स्वराज के जरिये सुराज' मॉडल को अमली जामा पहनाने की कोशिश माना जा रहा है। इस मॉडल में आर्थिक, सामाजिक, पर्यावरणीय और मानवीय विकास के साथ गांव को स्वावलंबी बनाने पर जोर दिया जाता है। गडकरी चाहते हैं कि 11 नवंबर को जब योजना का एक माह पूरा हो तब तक सारे सांसद कम से कम एक गांव का चयन कर लें। इसलिए उन्होंने सांसदों को लिखा है, '2016 तक एक गांव को आदर्श ग्राम में परिवर्तित करने के लिए हमें अब तत्काल अपनी एक ग्राम पंचायत का चयन कर लेना चाहिए और इसकी सूचना डीएम व राज्य के ग्रामीण विकास सचिव को दे देनी चाहिए।'
गडकरी ने कहा है-कोई भी सांसद खुद के अथवा पत्नी के गांव का चयन नहीं कर सकता। लोस के 545 (दो मनोनीत), रास में 250 सदस्य (12 नामित समेत) हैं। यदि सभी तीन-तीन गांवों को आदर्श ग्राम बनाने में सफल रहते हैं तो पांच साल बाद 2385 गांव आदर्श ग्राम में तब्दील हो जाएंगे। प्रत्येक ग्राम पंचायत के लिए पृथक विकास योजना बनेगी।
क्या है योजना
प्रत्येक सांसद को अपने क्षेत्र के तीन गांवों को आदर्श ग्राम में तब्दील करना है। इनमें से एक को 2016 तक जबकि बाकी दो को 2019 तक आदर्श बनाने की शर्त है।