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आइसीएमआर की नई गाइडलाइंस कम टेस्टिंग की बड़ी वजह, संक्रमण दर में तेजी के बावजूद बेकाबू होते नहीं दिख रहे हैं हालात

संक्रमण दर के बढ़ने के बावजूद टेस्टिंग नहीं बढ़ने की एक बड़ी वजह आइसीएमआर की नई गाइडलाइन मानी जा रही है। दूसरी लहर के दौरान जहां सरकार टेस्टिंग टेस्टिंग और टेस्टिंग पर जोर दिया जा रहा था ।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Published: Sat, 15 Jan 2022 07:19 PM (IST)Updated: Sat, 15 Jan 2022 10:10 PM (IST)
आइसीएमआर की नई गाइडलाइंस कम टेस्टिंग की बड़ी वजह, संक्रमण दर में तेजी के बावजूद बेकाबू होते नहीं दिख रहे हैं हालात
संक्रमित के संपर्क में आने पर टेस्ट तभी जब लक्षण

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। देश में कोरोना के मामलों की तेजी से बढ़ती संख्या के अनुपात में टेस्टिंग नहीं बढ़ने की एक बड़ी वजह टेस्टिंग के लिए आइसीएमआर की नई गाइडलाइन भी मानी जा रही है। नई गाइडलाइन में आइसीएमआर ने कोरोना संक्रमितों के संपर्क में आने वाले सभी लोगों की टेस्टिंग की अनिवार्यता खत्म कर दी है। वहीं, संक्रमण की दर 15 फीसद के पार कर जाने के बावजूद अस्पतालों में भर्ती होने वाले संक्रमितों की कम संख्या की वजह से सरकार में दूसरी लहर जैसी बेचैनी देखने को नहीं मिल रही है।

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दरअसल पिछले तीन दिनों में पूरे देश में कोरोना टेस्टिंग में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है। बुधवार को 18.86 लाख टेस्ट हुए थे, जो गुरूवार को 17.87 लाख और शुक्रवार को 16.13 हजार ही टेस्ट हुए। जबकि इन तीन दिनों में संक्रमण दर बुधवार को 13.11 प्रतिशत और गुरूवार को 14.78 प्रतिशत से बढ़कर शुक्रवार को 16.66 फीसद तक पहुंच गई है। संक्रमण दर के बढ़ने के बावजूद टेस्टिंग नहीं बढ़ने की एक बड़ी वजह आइसीएमआर की नई गाइडलाइन मानी जा रही है।

इस बार आइसीएमआर ने कोरोना टेस्टिंग को किया सीमित

दूसरी लहर के दौरान जहां सरकार टेस्टिंग, टेस्टिंग और टेस्टिंग पर जोर दिया जा रहा था। वहीं, इस बार आइसीएमआर ने संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने वाले सिर्फ उन्हीं लोगों तक टेस्टिंग को सीमित कर दिया, जिनमें कोरोना संक्रमण से जुड़ा कोई लक्षण हो या जो किसी गंभीर बीमारी से ग्रसित हो या फिर उम्र 60 साल से अधिक हों। यहां तक होम आइसोलशन में रहने वाले संक्रमितों के लिए भी तीन दिन तक लगातार बुखार नहीं आने की स्थिति में सातवें दिन कोरोना मुक्त मानने का प्रावधान कर दिया गया है और इसके लिए कोई टेस्टिंग की जरूरत भी नहीं है।

संक्रमित व्यक्तियों में 96 फीसद तक देखने को नहीं मिल रहे लक्षण

जाहिर है नई गाइडलाइन के हिसाब के अपेक्षाकृ्त कम लोगों को टेस्ट कराने की जरूरत पड़ रही है। देश में बढ़ते संक्रमण दर के बावजूद टेस्टिंग नहीं बढ़ाने की वजह पूछे जाने पर स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि तीसरी लहर में अभी तक संक्रमण दर का बढ़ना चुनौती के रूप में सामने नहीं आया है क्योंकि संक्रमित व्यक्तियों में भी 96 फीसद तक में लक्षण देखने को नहीं मिल रहे हैं, जिनमें लक्षण देखने को मिल भी रहे हैं, उनमें अधिकांश हल्के किस्म के हैं, जो घर पर ही ठीक हो रहे हैं। बहुत कम लोगों को अस्पताल में भर्ती कराने और आक्सीजन सपोर्ट की जरूरत पड़ रही है। ऐसे में सिर्फ संक्रमण दर बढ़ने के कारण घबड़ाहट में कोई फैसला लेना उचित नहीं होगा। उनके अनुसार स्थिति पर पूरी नजर रखे हुए है और इसी वजह से बदलती जरूरत के मुताबिक इस बार टेस्टिंग पर जोर नहीं दिया जा रहा है। 


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