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Monkeypox: यूरोप में फैले मंकीपाक्स संक्रमण से अलग है देश के पहले दो मामलों में मिला वैरिएंट, ICMR ने की पुष्टि

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) द्वारा भारत के पहले दो मंकीपाक्स मामलों के विश्लेषण से पता चला है कि संयुक्त अरब अमीरात (UAE) से लौटे दोनों लोग वायरस के ए.2 वैरिएंट से संक्रमित थे। ये वैरिएंट यूरोप में फैले वर्तमान संक्रमण से अलग है।

By Amit SinghEdited By: Published: Mon, 08 Aug 2022 12:27 AM (IST)Updated: Mon, 08 Aug 2022 12:27 AM (IST)
Monkeypox: यूरोप में फैले मंकीपाक्स संक्रमण से अलग है देश के पहले दो मामलों में मिला वैरिएंट, ICMR ने की पुष्टि
देश में मंकीपाक्स के ए.2 वैरिएंट के मामले आए सामने

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) द्वारा भारत के पहले दो मंकीपाक्स मामलों के विश्लेषण से पता चला है कि संयुक्त अरब अमीरात (UAE) से लौटे दोनों लोग वायरस के ए.2 वैरिएंट से संक्रमित थे। ये वैरिएंट यूरोप में फैले वर्तमान संक्रमण से अलग है।

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एनआइवी की वरिष्ठ विज्ञानी और अध्ययन की प्रमुख लेखक डा. प्रज्ञा यादव ने कहा कि ए.2 वैरिएंट प्रमुख क्लस्टर्स से नहीं जु़ड़ा है। मौजूदा संक्रमण मंकीपाक्स वायरस के बी.1 वैरिएंट के कारण है। ए.2 वैरिएंट का पता पिछले साल अमेरिका में चला था।

भारत में अब तक मंकीपाक्स के नौ मामले सामने आए हैं और एक की मौत हो चुकी है। संयुक्त अरब अमीरात से लौटे लोगों ने बुखार, मांसपेशियों में दर्द और चकत्ते पड़ने की शिकायत की थी। उनके जननांग में भी घाव हुआ था। विश्लेषण से पता चला कि दोनों मंकीपाक्स वायरस के ए.2 वैरिएंट से संक्रमित थे जो hmpxv-1a clade3 (पश्चिम अफ्रीकी) की फैमिली से संबंधित है।

मालूम हो कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने 23 जुलाई को विभिन्न देशों में प्रकोप को देखते हुए मंकीपाक्स को एक सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल स्थिति घोषित किया था। विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन के मुताबिक मंकीपाक्‍स की चपेट में आने पर मौत होने की आशंका काफी कम है। संगठन के मुताबिक कुल मामलों के 1 से 10 फीसद मौत इस बीमारी से हो सकती हैं। इनमें भी इस बीमारी के लक्षण और उनकी स्‍टेज पर काफी कुछ निर्भर करता है। डब्‍ल्‍यूएचओ ने कहा है कि नवजात शिशु का इस बीमारी से संक्रमित होना चिंता की बात है। इस तरह के मामलों में शिशु की मृत्‍यु होने की आशंका किसी व्‍यस्‍क के मुकाबले अधिक होती है।

बताया जा रहा है कि यूरोप मंकीपाक्‍स से सबसे ज्यादा प्रभावित है। विश्‍व के 78 देशों में इसके कुल मामलों की संख्‍या 18 हजार को पार कर रही है। इसको देखते हुए विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन ने पूरी दुनिया से सतर्क रहने की अपील की है। बता दें कि कनाड़ा, अमेरिका और यूरोपीय संघ ने अपने यहां पर मंकीपाक्‍स के मरीजों के इलाज के लिए स्‍मालपाक्‍स में उपयोगी वैक्‍सीन को इस्‍तेमाल की मंजूरी दे दी है।


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