बिना दांत के शेर जैसी अंतरराष्ट्रीय कोर्ट, इसी बात का फायदा उठा रहा पाक
अपने फैसले लागू करवाने के लिए आईसीजे के पास कोई प्रत्यक्ष प्रणाली नहीं है। हालांकि यह संयुक्त राष्ट्र परिषषद का सहारा ले सकता है।
हेग(एजेंसी)। 18 साल बाद भारत-पाक अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में आमने-सामने हैं। कुलभूषषण मामले में पाकिस्तान अब तक कोई ठोस आधार नहीं दे सका है, जबकि भारत ने अपना पक्ष मजबूती से रखा है। फैसला कुछ भी हो, लेकिन सीमित अधिकारों के चलते यह संगठन अपने पूर्व फैसलों में बिना दांत का शेर साबित हुई है।
बाध्यकारी नहीं होते फैसले
कोर्ट बतौर सलाहकार सदस्य देशों को कानूनी सलाह देता है। इसका फैसला बाध्यकारी नहीं होता है। संभवत: यही कारण है कि पाकिस्तान इसका फायदा उठा रहा है। अपने फैसले लागू करवाने के लिए आईसीजे के पास कोई प्रत्यक्ष प्रणाली नहीं है। हालांकि यह संयुक्त राष्ट्र परिषद का सहारा ले सकता है, लेकिन अब तक कि इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ है। पिछले साल ही दक्षिण चीन सागर में चीन के बढ़ते हस्तक्षेप को लेकर कोर्ट ने उसे फटकार लगाई थी। इसके बाद चीन ने साफ कह दिया था कि वह आईसीजे की बात नहीं मानेगा।
यह है इंटरनेशनल कोर्ट और इसका काम
इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस या अंतरराष्ट्रीय न्यायालय संयुक्त राष्ट्र का महत्वपूर्ण न्यायिक अंग है। इसकी स्थापना 1945 में हुई थी। यह अदालत 1 जुलाई 2002 को अस्तित्व में आई। अदालत की आधिकारिक बैठक द हेग, नीदरलैंड्स में होती है, लेकिन कार्यवाही कहीं भी हो सकती है। 15 न्यायाधीश, 192 देश सदस्य इंटरनेशनल कोर्ट में न्यायधीशों की संख्या 15 होती है। इसके संविधान में 5 अध्याय व 79 अनुच्छेद हैं। इस कोर्ट के भारतीय न्यायधीश डॉ. नगेंद्र सिंह थे। कोर्ट में हर 3 साल बाद 5 न्यायाधीश सेवानिवृत्त होते हैं। न्यायाधीशों की नियुक्ति की मुख्य शर्त यह होती है कि दो न्यायाधीश एक देश से नहीं चुने जा सकते हैं। इसके कुल 192 देश सदस्य हैं।
कानूनी विवादों का निपटारा
इंटरनेशनल कोर्ट का काम कानूनी विवादों का निपटारा करना है और अधिकृत संयुक्त राष्ट्र के अंगों व विशेषष एजेंसियों के उठाए कानूनी प्रश्नों पर राय देना है। इंटरनेशनल कोर्ट के दो खास कर्तव्य हैं, पहला अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार यह कानूनी विवादों पर निर्णय लेता है, दो पक्षों के बीच विवाद पर फैसले सुनाता है। दूसरा महत्वपूर्ण कार्य ये कोर्ट संयुक्त राष्ट्र की इकाइयों के अनुरोध पर राय देता है। एक तरह से इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस एक विश्व न्यायालय के रूप में काम करता हैं।
दो मुख्य भाषा
संयुक्त राष्ट्र न्यायालय में 15 न्यायाधीश हैं, जो संयुक्त राष्ट्र महासभा और सुरक्षा परिषषद के चुने हुए होते हैं और इनका 9 साल का कार्यकाल होता है। इसके साथ ही इसकी आधिकारिक भाषषा अंग्रेजी और फ्रेंच हैं। कोई भी देश कोर्ट से मदद ले सकता है।
वो दो केस, जिनके कारण जाधव से मुलाकात का हक
अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में सुनवाई के दौरान भारत ने कहा कि पाक का कहना है कि जाधव को दूतावास अधिकारी से मुलाकात का हक नहीं है, गलत है। पहले ऐसे मामले हुए हैं, जिनके आधार पर यह अधिकार है।
1- जाधव जैसा ही एक मामला 1998 में कोर्ट के सामने आया था। इसमें पैराग्वे के एक नागरिक को अमेरिका ने मौत की सजा सुनाई थी। कोर्ट ने अमेरिका से कहा था कि उस नागरिक को कानूनी मदद उपलब्ध कराए और फांसी को रोके। अमेरिकी सरकार पैराग्वे के नागरिक को दूतावास की पहुंच उपलब्ध कराए। अमेरिका ने ऐसा किया। हालांकि अमेरिका ने उस व्यक्ति को फांसी दे दी।
2- जर्मनी बनाम अमेरिका के केस में भी कोर्ट ने यह कहा था कि जर्मनी के नागरिक को मौत की सजा न्याय के लिए क्षति होगी।
क्या है वियना संधि
वियना संधि के मुताबिक, राजनयिकों को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है और न ही उन्हें किसी तरह की हिरासत में रखा जा सकता है। भारत और पाकिस्तान दोनों देश इस संधि को मानने को बाध्यकारी है।
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