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भारतीय वायुसेना को मिला पहला राफेल विमान, एयर मार्शल के नाम पर रखा गया टेल नंबर RB-01

भारतीय वायुसेना के सूत्रों के मुताबिक गुरुवार को फ्रांस में दसॉ एविएशन (Dassault Aviation) ने वायुसेना को पहला राफेल विमान सौंपा।

By Manish PandeyEdited By: Published: Fri, 20 Sep 2019 06:58 PM (IST)Updated: Fri, 20 Sep 2019 10:49 PM (IST)
भारतीय वायुसेना को मिला पहला राफेल विमान, एयर मार्शल के नाम पर रखा गया टेल नंबर RB-01
भारतीय वायुसेना को मिला पहला राफेल विमान, एयर मार्शल के नाम पर रखा गया टेल नंबर RB-01

बौर्डिओक्स (फ्रांस), एएनआइ। भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) को अपना पहला राफेल विमान (Rafale combat aircraft) मिल गया है। गुरुवार को वायुसेना ने फ्रांस में दसॉ एविएशन (Dassault Aviation) विनिर्माण सुविधा में पहला राफेल लड़ाकू विमान प्राप्त किया। इस दौरान डेप्युटी चीफ एयर मार्शल वीआर चौधरी ने लगभग 1 घंटे राफेल में उड़ान भी भरी।

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भारतीय वायु सेना के सूत्रों ने एएनआई को बताया कि टेल नंबर RB-01 के साथ पहला विमान फ्रांस में एयर मार्शल वीआर चौधरी के नेतृत्व में भारतीय वायु सेना के अधिकारियों को सौंपा गया। टेल नंबर आरबी -01 का नाम भारतीय वायु सेना के प्रमुख एयर मार्शल आरकेएस भदौरिया के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने देश के सबसे बड़े रक्षा सौदे को अंतिम रूप देने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

8 अक्टूबर को होगा वायुनेना में शामिल

विमानों को अब आधिकारिक तौर पर 8 अक्टूबर को भारतीय वायुसेना में शामिल किया जाएगा। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह पहला भारतीय राफेल लड़ाकू विमान लेने के लिए 8 अक्टूबर को फ्रांस जाएंगे, लेकिन ये विमान मई, 2020 में ही भारत पहुंचना शुरू होंगे क्योंकि इनमें भारत की जरूरतों के मुताबिक हथियार प्रणालियां लगाई जानी हैं और पायलटों को ट्रेनिंग भी दी जानी है।

पहले ही भारतीय पायलटों को किया गया प्रशिक्षित

हालांकि भारतीय पायलटों के एक छोटे बैच को पहले ही इन विमानों की ट्रेनिंग दी जा चुकी है, लेकिन वायुसेना मई, 2020 तक तीन बैचों में 24 और पायलटों को ट्रेनिंग प्रदान करेगी। सौदे के तहत भारत को 36 विमान मिलने हैं। वायुसेना इन विमानों की एक स्क्वाड्रन हरियाणा के अंबाला और दूसरी बंगाल की हाशिमारा में तैनात करेगी।

यूपीए सरकार में नहीं हो पाया सौदा 
यूपीए सरकार के दौरान इस पर समझौता नहीं हो पाया, क्योंकि खासकर टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के मामले में दोनों पक्षों में गतिरोध बन गया था। इसके बाद साल 2014 में जब नरेंद्र मोदी सरकार सत्ता में आई तो उन्होंने इस दिशा में काम शुरू किया और इसके बाद पीएम मोदी की फ्रांस यात्रा के दौरान इस डील को साइन किया गया।


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