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भाजपा और मोदी पर बरसे चह्वाण, देवेंद्र फणनवीस को बताया असफल

''कभी गुजरात दंगों की वजह से वीज़ा तक के लिए मोहताज रह चुके पीएम मोदी आज विदेश यात्राओं की श्रृंखला बना रहे हैं।''

By Gunateet OjhaEdited By: Published: Wed, 22 Jun 2016 07:06 PM (IST)Updated: Wed, 22 Jun 2016 10:04 PM (IST)
भाजपा और मोदी पर बरसे चह्वाण, देवेंद्र फणनवीस को बताया असफल

मुंबई (मिड डे)। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने केंद्र और राज्य में सत्तासीन भाजपा के बारे में एक भी अच्छी बात नहीं की है। उन्होंने हर मामलों पर भाजपा की विफलता को गिनाया है। इतना ही नहीं चव्हाण के नजर में भाजपा का चेहरा बन चुके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी निशाना साधा। पीएम की विदेश यात्राओं पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा कि ''कभी गुजरात दंगों की वजह से वीज़ा तक के लिए मोहताज रह चुके पीएम मोदी आज विदेश यात्राओं की श्रृंखला बना रहे हैं।'' चव्हाण ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फणनवीस के बारे में कहा कि ''फणनवीस मुश्किल से अपने दफ्तर में समय व्यतीत कर पा रहे हैं। उनका सारा संघर्ष उनके मंत्रियों द्वारा किए गए भ्रष्टाचार से निपटने में निकल रहा है।''

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नरेंद्र मोदी पर बोला हमला

पृथ्वीराज चव्हाण यहीं नहीं रुके, वे पीएम मोदी पर बरसते रहे। उन्होंने कहा कि "कहते हुए दुख हो रहा है कि पीएम मोदी की अर्थव्यवस्था के प्रति समझ बेकार है और इस ओर उनके वित्त मंत्री का रवैया भी उतना ही निराशाजनक है।" मोदी एक अर्थशास्त्री नहीं हैं ये सभी जानते नहीं है। लेकिन पिछले दो वर्षों में उन्हें अर्थव्यवस्था की बुनियादी बातों की पर्याप्त समझ हो गई है। इसके बजाय वे विदेशी मामलों और विदेशी दौरों के दोहरीकरण में लगे हुए हैं। अफसोस की बात है, हमारी विदेश नीति में घोर विफलता है। चव्हाण ने मोदी के पाकिस्तान के दौरे की भी निंदा की।

विदेशों में लोकप्रियता का प्रचार

मोदी विदेश जाते हैं और वहां भारतीयों से मिलते हैं, सिर्फ लोकप्रियता बटोरने के लिए। उनकी विदेश यात्रा नए दोस्त बनाने के लिए नहीं होती। चव्हाण ने कहा कि मुझे लगता है कहीं, मोदी अपने प्रधानमंत्री के कार्यकाल में ज्यादा से ज्यादा विदेशों की यात्रा तो नहीं कर लेना चाहते हैं..। दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि मोदी पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा विदेशी मामलों के लिए तैयार की गई बुनियाद का श्रेय लेने में लगे हुए हैं।

रघुराम राजन से बाबू की तरह कराना चाहते थे काम

रघुराम राजन का कार्यकाल खत्म किए जाने पर उन्होंने कहा कि रघुराम राजन दुनिया में उज्जवल युवा अर्थशास्त्रियों में से एक हैं। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर के रूप में वे मनमोहन सिंह के लिए एक बड़ी उपलब्धि के तौर पर थे। राजन आज भी बेस्ट हैं। रघुराम राजन का थोड़ा मुखर होना प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री को पसंद नहीं आया। वे राजन से एक औसत बाबू की तरह काम कराना चाहते थे। इतना ही नहीं रघुराम राजन को हटाने के फैसले के पीछे और भी कोई कारण हो सकता है। इसमें बैंकों के बड़े बकाएदारों की गुत्थी भी हो सकती है। यह देखना दिलचस्प होगा कि रघुराम राजन को कौन रिप्लेस करेगा। मेरा मानना ​​है कि केवल एक ईमानदार व्यक्ति उस स्थिति में काम करेगा। यह सरकार अपनी विफलताओं पर पर्दा डालने में स्मार्ट है। राजन को बाहर का रास्ता दिखाने के बाद बाजार पर पड़ने वाले बुरे असर का अंदाजा पहले से हो जाने पर मोदी सरकार ने प्लानिंग के तहत विदेशी निवेश नीति की घोषणा कर दी। इसी तरह, बिहार पराजय के बाद, कुछ पैकेज की घोषणा करके बाजार को ठीक करने की कोशिश की गई थी।

मेक इन इंडिया? यह सब जुमला है
विकास को प्राप्त करने और इसे 'अच्छे दिन' में लाने की बातें सिर्फ जुमलेबाजी है। मेक इन इंडिया एक झूठ है। मैं मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मेक इन इंडिया सप्ताह के दौरान इससे जुड़ने वाले निवेशकों के नामों की लिस्ट मांग चुका हूं। लेकिन उन्होंने अभी तक निवेशकों के नाम की लिस्ट मुझे नहीं दी है। सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत भी आवेदन करने के बावजूद मुझे निवेशकों के नामों की लिस्ट नहीं दी गई। वे नहीं चाहते हैं कि मुझे इस बारे में जानकारी मिले कि कौन 8 लाख करोड़ रुपये निवेश कर महाराष्ट्र में 13 लाख रोजगार के अवसर पैदा करेगा। मेरा मानना ​​है कि यह अभी तक एक जुमला ही है। कोई नई इंडस्ट्री नहीं आने वाली है। निर्यात नीचे है और इसका ग्राफ ऊपर उठाने के लिए कोई काम नहीं किया जा रहा है।

कृषि क्षेत्र में विफलता
भाजपा न केवल केंद्र बल्कि महाराष्ट्र में विनाश का सबब बनी है जहां पिछले 16 महीनों सबसे ज्यादा किसानों ने आत्महत्या की है। प्रधानमंत्री के पास इतने बड़े नुकसान का कोई जवाब नहीं है, और यहां तक ​​कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री इस विफलता पर कुछ नहीं कहना चाहते हैं। कृषि को दोगुना करने की बात दूर की कौड़ी है, क्योंकि वे उपज के लिए किसानों को कीमत देने में सक्षम नहीं हैं और वे व्यथित किसानों को कर्ज माफी की पेशकश भी नहीं कर रहे।

जल संकट पर लापरवाही
महाराष्ट्र सरकार सूखा प्रबंधन निवेशकों में एक नकारात्मक प्रभाव पैदा कर दिया है। मराठवाड़ा, जो निवेशकों को कभी आकर्षित करता था। आज जल संकट के चलते निवेशक यहां से भाग रहे हैं। फडणवीस सरकार द्वारा उद्योगों को पानी से इनकार के चलते भी निवेशकों का यहां से मोहभंग हो रहा है।

'स्मार्ट सिटी योजना गलत है'
वे एक छोटे से शहर के लिए 100 करोड़ रुपये और उतनी ही राशि मुंबई जैसे मेट्रो शहर को दे रहे हैं.. यह क्या है? सरकार को राज्य नियंत्रित निगमों में निवेश कर ठोस अपशिष्ट प्रबंधन की तरह काम करने की जरूरत है, जहां ठेकेदार कुशलता से काम करने को तैयार नहीं हैं।

यह भी कहा-

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-भगवा और हिंन्दुत्व एजेंडे पर काम कर रही सरकार

-राज्य सरकार से बाहर हो सकती है शिवसेना

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-कामत के इस्तीफे पर

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