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तेजी से बढ़ रही मानव तस्करी, सीजेआइ ने समस्या को माना बड़ी त्रासदी

मुख्य न्यायाधीश के अनुसार, 'अतीत में गुलामी भी एक तरह की मानव तस्करी थी। वह आज भी भिन्न रूप में मौजूद है। मानव तस्करी के धंधे में लिप्त लोग इंसान को एक उपभोक्ता सामग्री समझते हैं।

By Tilak RajEdited By: Published: Sat, 24 Mar 2018 07:12 PM (IST)Updated: Sat, 24 Mar 2018 07:12 PM (IST)
तेजी से बढ़ रही मानव तस्करी, सीजेआइ ने समस्या को माना बड़ी त्रासदी
तेजी से बढ़ रही मानव तस्करी, सीजेआइ ने समस्या को माना बड़ी त्रासदी

नई दिल्ली, पीटीआइ। भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआइ) दीपक मिश्रा ने मानव तस्करी को बड़ी मानवीय त्रासदी करार दिया है। उनका मानना है कि यह धंधा तेजी से बढ़ रहा है और एक संगठित उद्योग में तब्दील हो गया है। मानव तस्कर इंसान को उपभोक्ता सामग्री समझते हैं।

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सीजेआइ मिश्रा शनिवार को मानव तस्करी पर अंतरराष्ट्रीय सेमिनार को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने युवाओं से इस समस्या के खिलाफ उठ खड़े होने का आह्वान किया। बकौल जस्टिस मिश्रा, 'मानव तस्करी हमारे ऊपर एक भयानक त्रासदी के रूप में टूट पड़ी है। युवाओं को इसके खिलाफ उठ खड़े होना चाहिए। यह वर्तमान एवं भावी पीढ़ी के लिए बड़ा खतरा है।'

मुख्य न्यायाधीश के अनुसार, 'अतीत में गुलामी भी एक तरह की मानव तस्करी थी। वह आज भी भिन्न रूप में मौजूद है। मानव तस्करी के धंधे में लिप्त लोग इंसान को एक उपभोक्ता सामग्री समझते हैं। इंसान की खरीद-बिक्री का बाजार तेजी से बढ़ रहा है। यह एक अदृश्य संगठित उद्योग में तब्दील हो गया है। एकदम अलग तरह का गिरोह इसे संचालित करता है।'

साउथ एशियन एसोसिएशन ऑफ रीजनल कोआपरेशन इन लॉ (सार्कलॉ) ने जस्टिस एंड केयर नामक संगठन के साथ मिलकर इस अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया था। इसमें नेपाली सुप्रीम कोर्ट की न्यायाधीश सपना प्रधान मल्ल ने भी अपने विचार व्यक्त किए।


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