NFSU में मानवीय फोरेंसिक पर शिखर सम्मेलन आयोजित, डेटा-संचालित जांच प्रक्रिया पर दिया गया जोर
ष्ट्रीय न्यायिक अकादमी भोपाल के निदेशक जस्टिस एपी साही ने भारतीय दंड संहिता की धारा 297 के विशेष संदर्भ में मानवीय फोरेंसिक के न्यायिक पहलुओं का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि डेटा-संचालित पहचान जांच प्रक्रिया का एक स्तंभ है।
गांधीनगर, जागरण डेस्क। राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी भोपाल के निदेशक जस्टिस एपी साही ने भारतीय दंड संहिता की धारा 297 के विशेष संदर्भ में मानवीय फोरेंसिक के न्यायिक पहलुओं का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि डेटा-संचालित पहचान जांच प्रक्रिया का एक स्तंभ है। डेटा एकत्र और संग्रहीत किया जाता है। पहचान का सबसे अच्छा प्रमाण खोजने के लिए यह संरक्षित डेटा आवश्यक है। बता दें कि राष्ट्रीय न्यायालयिक विज्ञान विश्वविद्यालय (NFSU) गांधीनगर में मंगलवार को 'फोरेंसिक डेटा प्रबंधन की चुनौतियां और समाधान' विषय पर तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय शिखर सम्मेलन आयोजित किया गया है।
मानवीय फोरेंसिक डेटा पर पहला शिखर सम्मेलन
सम्मेलन को संबोधित करते हुए NFSU के कुलपति डॉ जेएम व्यास ने कहा कि यह मानवीय फोरेंसिक डेटा पर पहला शिखर सम्मेलन है। शिखर सम्मेलन मानवीय फोरेंसिक डेटा के सुचारू संचालन के लिए सुझाव प्रदान करेगा। उन्होंने कहा कि फोरेंसिक डेटा प्रबंधन पहचान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हमें डेटा को सुरक्षित रखना होगा। डेटा हैंडलिंग में मानवतावादी विशेषज्ञों की भूमिका भी महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि फोरेंसिक अनुप्रयोग अपराध का पता लगाने और उसकी रोकथाम तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह मानव कल्याण पर भी लागू होता है और 'मृतकों के गौरव' को बनाए रखना मानवता की एक महान सेवा है।
मानवीय फोरेंसिक पर उठाए गए कई तरह के कदम
कुलपति ने कहा कि NFSU का इंटरनेशनल सेंटर फार ह्यूमैनिटेरियन फोरेंसिक और इंटरनेशनल कमेटी आफ द रेड क्रास (ICRC) साथ मिलकर विभिन्न गतिविधियों पर काम कर रहा है। जिसका पहला लक्ष्य शैक्षणिक कार्यक्रम की शुरूआत करना है। साथ ही ह्युमेनिटेरियन फोरेंसिक्स में पीजी डिप्लोमा पाठ्यक्रम भी शुरू किया गया है। उन्होंने कहा कि ह्युमेनिटेरियन फोरेंसिक को बढ़ावा देने के लिए जागरूकता पैदा किया जा रहा है।
सम्मेलन में कई देशों के प्रतिनिधि शामिल
ICRC जिनेवा की फारेंसिक यूनिट के प्रमुख डॉ पियरे गुओमारेहे ने कहा कि शिखर सम्मेलन डेटा से संबंधित चुनौतियों के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि हमें आपदाओं में सबसे पहले तत्पर रहना हैं। हमें पहचान के तरीकों पर सामूहिक रूप से काम करना है और आपदा से संबंधित फोरेंसिक डेटा प्रबंधन के क्षेत्र में काम करना है। आईसीआरसी (आरडी-इंडिया) के उप प्रमुख डॉ मनीष दास ने मानवीय मिशन कार्य में आईसीआरसी की भूमिका के बारे में भी बताया। इस दैरान, अहमदाबाद के बीजे मेडिकल कालेज के डीन डॉ कल्पेश शाह सहित दक्षिण अफ्रीका, मालदीव, नेपाल और भारत के विभिन्न राज्यों के प्रतिनिधि उपस्थित थे।