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जानें कैसी होती है प्रधानमंत्री की सुरक्षा व्‍यवस्‍था और राज्‍य में कार्यक्रम पर कैसे मौके पर पहुंचता है पीएम का काफ‍िला

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सुरक्षा में बुधवार को पाकिस्तानी सीमा से महज 30 किलोमीटर दूर पंजाब के फिरोजपुर जिले में बड़ी चूक सामने आई। आइए जानें कैसी होती है प्रधानमंत्री की सुरक्षा और राज्‍यों में कार्यक्रम पर क्‍या होती है राज्‍य सरकारों की जिम्‍मेदारी...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Wed, 05 Jan 2022 09:42 PM (IST)Updated: Wed, 05 Jan 2022 10:02 PM (IST)
पाकिस्तानी सीमा से महज 30 किलोमीटर दूर फिरोजपुर जिले में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सुरक्षा में बड़ी चूक सामने आई।

नई दिल्‍ली [आनलाइन डेस्‍क]। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सुरक्षा में बुधवार को पाकिस्तानी सीमा से महज 30 किलोमीटर दूर पंजाब के फिरोजपुर जिले में बड़ी चूक सामने आई। सड़क मार्ग से रैली में शामिल होने जा रहे प्रधानमंत्री के काफिले को कुछ प्रदर्शनकारियों ने रोक लिया। इस वजह से करीब 20 मिनट तक प्रधानमंत्री मोदी का काफि‍ला फ्लाईओवर पर फंसा रहा। नतीजतन प्रधानमंत्री मोदी को कार्यक्रम रद करके दिल्ली लौटना पड़ा। अब गृह मंत्रालय ने सुरक्षा में हुई लापरवाही को गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार से जवाब मांगा है। आइए जानें कैसी होती है प्रधानमंत्री की सुरक्षा और राज्‍यों में कार्यक्रम पर क्‍या होती है राज्‍य सरकारों की जिम्‍मेदारी...

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किसी राज्‍य में कार्यक्रम पर वहां की सरकार संभालती है जिम्‍मेदारी

देश के प्रधानमंत्री के सुरक्षा की मुख्‍य जिम्‍मेदारी एसपीजी संभालती है। लेकिन अक्‍सर प्रधानमंत्री को राज्‍यों में भी विभिन्‍न कार्यक्रमों और राजनीतिक रैलियों में अक्‍सर शामिल होना पड़ता है। ऐसे में जब प्रधानमंत्री किसी राज्‍य में दौरे पर जाते हैं तो संबंध‍ित राज्‍य प्रशासन को एसपीजी और पीएमओ के समन्‍वय से सुरक्षा की जिम्‍मेदारियां संभालनी होती है। यानी इस स्थिति में प्रधानमंत्री के सुरक्षा की मुख्‍य जिम्‍मेदारी संबंधित राज्‍य सरकार की होती है।

तृस्‍तरीय होती है सुरक्षा व्‍यवस्‍था

प्रधानमंत्री जब किसी भी कार्यक्रम में शामिल होते हैं तो एसपीजी से लेकर राज्य पुलिस और स्थानीय खुफिया विभाग की भारी भरकम टीमों की तैनाती होती है। एसपीजी की टीम पहले ही संबंधित राज्य में जाकर कार्यक्रम स्‍थल का मुआयना करती है। इसमें केंद्रीय खुफिया एजेंसियों के लोग भी शामिल होते हैं। यही नहीं केंद्रीय टीमों और एसपीजी के उच्‍चाधिकारियों की स्थानीय पुलिस के साथ पूरी बैठक होती है जिसे एएसएल का नाम दिया जाता है। इसे एडवांस सिक्योरिटी लाइजनिंग कहते हैं।

कार्यक्रम को लेकर तय होती है रणनीति

केंद्रीय अधिकारियों के समन्‍व से प्रधानमंत्री के आगमन और प्रस्‍थान को लेकर एक आपात रणनीति भी तय की जाती है। कार्यक्रम स्‍थल पर प्रधानमंत्री को हेलीकाप्टर से जाना है तो कैसे जाएंगे और आकस्मिक परिस्थितियों में यदि सड़क से जाना पड़ा तो उनका काफि‍ला कैसे जाएगा। इसका पूरा खाका पहले से ही तैयार होता है। प्रधानमंत्री के काफिले की रवानगी से लगभग 10 मिनट पहले आरओपी यानी रोड ओपनिंग टीम संबंधित रूप पर जाती है। इसमें स्थानीय पुलिस के जवान और उच्‍च अधिकारी भी होते हैं।

पूरे रूट की जानकारी होती है गोपनीय

इसके बाद तय रूट से जब प्रधानमंत्री का काफिला गुजरता है तो स्‍थानीय पुलिस के जवान भी जगह-जगह मुस्‍तैद रहते हैं। पूरे रूट की जानकारी बेहद गोपनीय रखी जाती है। एसपीजी और स्थानीय पुलिस के उच्‍चाधिकारियों को ही इस रास्‍ते और गतिविधि की जानकारी होती है। रास्ते में पड़ने वाले नालों, जंगलों और फ्लाईओवर के आसपास सुरक्षा बलों और पुलिस के जवान तैनात रहते हैं और इनकी विशेष निगरानी रखी जाती है। ऐसे में बड़ा सवाल यही कि प्रदर्शनकारियों को यह कैसे पता चला कि प्रधानमंत्री का काफिला इस रास्‍ते से होकर गुजरने वाला है। 


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