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Jagran Trending | World Migratory Birds Day 2022: आखिर हजारों मील का सफर कैसे तय करते हैं ये प्रवासी परिंदें? जानें- इनके फ्लाई जोन के बारे में सबकुछ

Fly zone of migratory birds आखिर इन विदेशी परिंदों के अनजान देश के आवागमन का मार्ग क्‍या होता है। यह कैसे और किस तरह से इतना लंबा मार्ग आसानी से तय करते हैं। आज हम आपको पक्षियों के फ्लाई जोन के गूढ़ रहस्‍यों के बारे में बताएंगे।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Tue, 17 May 2022 09:16 AM (IST)Updated: Tue, 17 May 2022 09:51 AM (IST)
World Migratory Birds Day 2022: आखिर हजारों मील का सफर कैसे तय करते हैं ये प्रवासी परिंदें। फाइल फोटो।

नई दिल्‍ली, रमेश मिश्र। Fly Zone of Migratory Birds : दुनिया में सिर्फ इंसान ही जिंदा रहने के लिए संघर्ष नहीं करता, बल्कि पशु पक्षियों के समक्ष भी यह संकट विद्यमान है। इस धरती पर 50 फीसद ऐसे परिंदें हैं, जो सदियों से एक देश से दूसरे देश में हजारों मील का सफर तय करके दाना-पानी की तलाश में आते जाते रहते हैं। हजारों सालों से ये रूस, मंगोलिया, चीन, अफ्रीका जैसे देशों से भारत में चार महीने के लिए रहने आते रहे हैं। उत्तरी गोलार्ध में जब अक्टूबर महीने में बर्फबारी होती है तो वहां से 90 फीसद परिंदें घर, वनस्पतियों या कीटों के खत्म होने के कारण दूसरे देशों का रुख करते हैं। भारत में इस वक्त नदी-जलाशय भरे रहते हैं। हरियाली होती है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर इन विदेशी परिंदों के अनजान देश के आवागमन का मार्ग क्‍या होता है? प्रवासी मेहमान कैसे और किस तरह से इतना लंबा मार्ग इतनी आसानी से तय करते हैं? आज हम आपको पक्षियों के फ्लाई जोन के गूढ़ रहस्‍यों के बारे में बताएंगे। इन्‍हीं मार्गों के सहारे ये प्रवासी हजारों मील की यात्रा आसानी से करते हैं।

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प्रवासी परिंदों के तीन प्रमुख फ्लाईवे

1- फ्लाईवे की अवधारणा अनिवार्य रूप से जलपक्षी से जुड़ी एक परिचालन अवधारणा है, जिसकी आबादी अपने पूरे प्रवास स्थान का प्रबंधन करना चाहती है। दरअसल, देश में तीन फ्लाईवे पक्षियों द्वारा उपयोग किए जाने वाला उड़ान मार्ग हैं। इन्‍हीं मार्गों के जरिए ही प्रवासी पक्षी एक स्‍थान से दूसरे देशों में जाते हैं। पहला, मध्य एशियाई फ्लाईवे (Central Asian Flyway), दूसरा पूर्वी एशियाई फ्लाईवे (East Asian Flyway) है और तीसरा पूर्वी एशियाई-आस्ट्रेलियाई फ्लाईवे (East Asian Australasian Flyway) है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि मध्‍य एशियाई फ्लाईवे क्‍या है। यह मार्ग कितने देशों को कवर करता है।

2- मध्य एशियाई फ्लाईवे (CAF) आर्कटिक और हिंद महासागरों के बीच यूरेशिया के एक बड़े क्षेत्र को कवर करता है। इस क्षेत्र में पक्षियों के कई महत्वपूर्ण प्रवास मार्ग शामिल हैं। मध्य एशियाई फ्लाईवे के तहत भारत सहित 30 देश हैं। मध्य एशियाई उड़ान मार्ग (Central Asian Flyway) में प्रवासी पक्षियों और उनके आवासों के संरक्षण कार्यों को मजबूती देने के संकल्प के साथ गत वर्ष 30 देशों की दो दिवसीय आनलाइन बैठक आयोजित की गई थी।

3- भौगोलिक रूप से मध्य एशियाई उड़ान मार्ग क्षेत्र भारत समेत उत्तर, मध्य और दक्षिण एशिया और ट्रांस-काकेशस के 30 देशों को कवर करता है। इन 30 देशों में प्रमुख रूप से अफगानिस्तान, आर्मेनिया, अजरबैजान, बहरीन, चीन जनवादी गणराज्य, जार्जिया, ईरान गणराज्य, कजाकिस्तान, मंगोलिया, पाकिस्तान, रूसी संघ, सऊदी अरब, श्रीलंका, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, संयुक्त अरब अमीरात, यूनाइटेड किंगडम चागोस द्वीप समूह और उज़्बेकिस्तान है। इसमें जलपक्षियों के कई महत्वपूर्ण प्रवास मार्ग शामिल हैं, जिनमें से अधिकांश रूसी संघ (साइबेरिया) में सबसे उत्तरी प्रजनन स्थलों से लेकर पश्चिम और दक्षिण एशिया, मालदीव और हिंद महासागर क्षेत्र में दक्षिणी गैर-प्रजनन (शीतकालीन) स्थलों तक फैले हुए हैं।

4- पूर्व एशियाई-आस्ट्रेलेयिन फ्लाइवे दुनिया का अहम फ्लाइवे है। यह उत्तरी भाग में रूस में तैमिर प्रायद्वीप से लेकर अलास्का तक फैला है । इसके दक्षिणी छोर में आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड शामिल हैं। इन चरम सीमाओं के बीच फ्लाईवे चीन, जापान, कोरिया, दक्षिण-पूर्व एशिया और पश्चिमी प्रशांत सहित पूर्वी एशिया के अधिकांश हिस्से को कवर करता है। ईएएएफ 250 से अधिक विभिन्न आबादी के 50 मिलियन से अधिक प्रवासी जल पक्षियों का घर है, जिसमें 32 विश्व स्तर पर संकटग्रस्त प्रजातियां शामिल हैं। इसमें से 19 अत्‍यधिक संकटग्रस्त प्रजातियों है। यह उत्तरी एशिया और अलास्का में प्रजनन करने वाले और दक्षिण-पूर्व एशिया और आस्ट्रेलिया में गैर-प्रजनन के मौसम में रहने वाले लाखों प्रवासी नाविकों या शोरबर्ड्स के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।

क्‍या है एक्‍सपर्ट व्‍यू

1- पर्यावरणविद विजयपाल बघेल का कहना है कि मौसम में आए परिवर्तन और भोजन एवं आवास की तलाश के कारण ये पक्षी प्रवास करते हैं। पक्षियों की यह प्रवास यात्रा चुनौतियों से भरी होती है। इनकी प्रवास यात्राएं इस कदर नियमित होती है कि प्रवासी पक्षियों के आगमन को मौसम विशेष के आगमत का संकेत मान लिया जाता है। पक्षियों में प्रवास गर्मी और सर्दी अधिक बढ़ जाने के फलस्‍वरूप होता है। जिन क्षेत्रों में सर्दी बर्फबारी के बढ़ने से वहां पक्षियों के आहार की कमी होने लगती है तो वहां से पक्षी पृथ्‍वी के हल्‍के गर्म और सुकून भरे इलाकों की ओर उड़ चलते हैं। इसके ठीक विपरीत अतिशय गर्म जलवायु होने से ये पक्षी उन क्षेत्रों की ओर जल पड़ते हैं जहां कुछ सर्द मौसम हो और उन्‍हें भोजन मिल सके तथा उपयुक्‍त वातावरण मौजूद हो। पक्षी अपने मूल स्‍थान और प्रवास स्‍थान के बीच के दौरान आवाजाही करते हैं।

2- उन्‍होंने कहा कि भारत के प्रसिद्ध पक्षी विज्ञानी सलीम अली ने पक्षियों के प्रवास को पेण्‍डुलम गति कहा है। प्रवास ऐसी यात्रा होती है जिसमें पक्षी लौटकर दुबारा उसी स्‍थान को वापस आ जाते हैं, जहां से उन्‍होंने यात्रा आरंभ की थी। उन्‍होंने कहा कि पक्षियों का प्रवास सबसे अनोखा और चुनौतियों से भरा होता है। इसलिए पक्षी प्रवास अपना विशेष महत्‍व रखता है और प्रवास का जिक्र आते ही पक्षियों की प्रवास यात्रा का विचार आ जाता है। मौसम में परिवर्तन और भोजन की तलाश के अलावा शिशुओं की देखभाल भी एक मुख्‍य कारण होता है, जिस कारण ये पक्षी प्रवास करते हैं। व्‍यस्‍क पक्षी एक सीमा तक सर्दी और गर्मी को सहन कर सकते हैं परंतु उनके नवजात शिशु ऐसा नहीं कर पाते।


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