Positive India : तारे कैसे मरते और लेते हैं जन्म, वैज्ञानिकों ने सुलझाई गुत्थी
किसी पुराने तारे के टूटने से वहां जो ऊर्जा पैदा होती है उसे ही सुपरनोवा कहते हैं। कई बार एक तारे से जितनी ऊर्जा निकलती है वह हमारे सौरमंडल के सबसे मजबूत सदस्य सूर्य के पूरे जीवनकाल में निकलने वाली ऊर्जा से भी ज्यादा होती है।
नई दिल्ली, जेएनएन। आईआईटी के शोधकर्ताओं ने ब्रह्मांड से जुड़ी एक गुत्थी सुलझाई है। इसकी मदद से सितारों और उनके मरने की गुत्थी को समझने में मदद मिलेगी। आईआईटी गुवाहटी के शोधकर्ताओं ने यह शोध मैक्स प्लांक इंस्टीट्यूट ऑफ फिजिक्स, म्यूनिख, जर्मनी और नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी, अमेरिका के सहयोग से किया है। उन्होंने पाया कि सुपरनोवा से न्यूट्रिनो की सभी तीन स्पेसीज महत्वपूर्ण हैं, जो पहले के विचार के विपरीत हैं। उनमें दो प्रजातियों को महत्वपूर्ण माना गया है।
सुपरनोवा: किसी पुराने तारे के टूटने से वहां जो ऊर्जा पैदा होती है, उसे ही सुपरनोवा कहते हैं। कई बार एक तारे से जितनी ऊर्जा निकलती है, वह हमारे सौरमंडल के सबसे मजबूत सदस्य सूर्य के पूरे जीवनकाल में निकलने वाली ऊर्जा से भी ज्यादा होती है। सुपरनोवा की ऊर्जा इतनी शक्तिशाली होती है कि उसके आगे हमारी धरती की आकाशगंगा कई हफ्तों तक फीकी पड़ सकती है। आमतौर पर सुपरनोवा के निर्माण में व्हाइट ड्वार्फ की अहम भूमिका होती है, जिसके एक चम्मच द्रव्य का वजन भी करीब 10 टन तक हो सकता है। ज्यादातर व्हाइट ड्वार्फ गर्म होते-होते अचानक गायब हो जाते हैं, लेकिन कुछ गिने-चुने व्हाइट ड्वार्फ दूसरे तारों से मिलकर सुपरनोवा का निर्माण करते हैं।
बड़े पैमाने पर बड़े सितारों की मृत्यु के समय सुपर विस्फोटों को नए सितारों के लिए जन्म का गढ़ माना जाता है और इससे प्रकृति में भारी तत्वों का संश्लेषण होता है। उनके जीवन के अंत में तारे एक विशाल शॉक बेव के परिणाम स्वरूप ढह जाते हैं, जो तारों के विस्फोट करने का कारण बनता है। इसकी मेजबान आकाशगंगा में किसी अन्य तारे को संक्षिप्त रूप से नष्ट कर देता है। सुपरनोवा और उसके द्वारा छोड़े जाने वाले कणों के अध्ययन से हमें ब्रह्मांड को समझने में मदद मिलती है, क्योंकि ब्रह्मांड को बनाने वाले लगभग सभी पदार्थ इन बड़े विस्फोटों के परिणाम हैं।
हालांकि, आईआईटी गुवाहाटी के भौतिकी विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. सोवन चक्रवर्ती का कहना है कि इन सुपर विस्फोटों का तंत्र अभी तक पूरी तरह से हल नहीं हुआ है और प्रकृति के रहस्यों में से एक बना हुआ है। विशाल सुपरनोवा के कोर पतन तंत्र के लिए सबसे कठिन चुनौतियों का समाधान न्यूट्रिनोस नामक सबसे सूक्ष्म उप-परमाणु कणों से आता है।
कोर पतन सुपरनोवा विस्फोट के दौरान न्यूट्रिनो कई कण प्रक्रियाओं में निर्मित होते हैं। अपने तटस्थ स्वभाव के कारण न्यूट्रिनो मरने वाले तारे से बच जाते हैं और ढहते तारे की 99% ऊर्जा ले जाते हैं। इस प्रकार छोटे न्यूट्रिनो एकमात्र दूत हैं, जो तारों के सबसे गहरे अंदरूनी भाग से जानकारी लाते हैं। 2002 में भौतिकी का नोबेल पुरस्कार जापान में स्थित कमियोन्डे न्यूट्रिनो डिटेक्टर में सुपरनोवा एसएन 1987 ए से न्यूट्रिनो का पता लगाने के लिए मासाओशी कोशीबा द्वारा साझा किया गया था।
न्यूट्रिनो की जटिलताएं
दूसरी ओर न्यूट्रिनो की अपनी जटिलताएं हैं। न्यूट्रिनो की खोज के बाद पिछले सात दशकों में भौतिकविदों ने इन अविश्वसनीय कणों को समझने में एक लंबा सफर तय किया है। हालांकि, अभी भी कई प्रश्न हैं, जैसे उनके स्वाद संरचना को समझना और विभिन्न न्यूट्रिनो के द्रव्यमानों का क्रम। वास्तव में, सुपरनोवा एकमात्र प्राकृतिक स्रोत है, जहां तीनों प्रजातियों (न्यूट्रॉन, म्यू और ताउ ’फ्लेवर') के न्यूट्रिनो और एंटीन्यूट्रिनो पर्याप्त मात्रा में उत्पादित होते हैं। यह अतिरिक्त जटिलताएं पैदा करता है।
हालांकि, मौजूदा सुपरनोवा मॉडल में भविष्यवाणी की गई थी कि म्यू और ताऊ न्यूट्रिनो और एंटीन्यूट्रिनोस में बहुत समान गुण हैं और उन्हें एक ही प्रजाति के रूप में माना जाता है। इसने सुपरनोवा न्यूट्रिनो समस्या को सरल बनाया और अधिकांश अध्ययन इस धारणा के तहत किए गए कि जब स्टार के मरने वाले कोर से निकाल दिया जाता है तो सभी प्रकार एक ही तरह से व्यवहार करते हैं।
डॉ. सोवन चक्रवर्ती कहते हैं कि यह जानकारी इसलिए बहुत महत्वपूर्ण है कि अत्यंत घने सुपरनोवा कोर न्यूट्रिनो अन्य न्यूट्रिनो के साथ फ्लेवर को इंटरचेंज कर सकते हैं। यह रूपांतरण तेज़ी से (नैनोसेकंड टाइम स्केल में) हो सकता है और फ्लेवर इंटरचेंज सुपरनोवा प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता है। हमने पहली बार सुपरनोवा में आईनो सभी तीन न्यूट्रिनो फ्लेवर ’के साथ तेजी से रूपांतरण का एक गैर-रेखीय सिमुलेशन किया। आने वाले समय में यह ब्रह्मांड के रहस्यों को समझने में बड़ी लाभदायक होगी।