अमृता शेरिगलः कैसे बनीं भारत की मशहूर चित्रकार, 18.69 करोड़ में बिकी एक पेंटिंग
अमृता शेरगिल देश की नौ सर्वश्रेष्ठ चित्रकारों में शामिल हैं। महज 28 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया था। उनकी पेटिंग की तरह उनके प्रेम प्रसंग भी काफी चर्चित रहे हैं।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। अमृता शेरगिल को भारत की सबसे मशहूर चित्रकार के तौर पर जाना जाता है। देश ही नहीं दुनिया भर में इनकी पेटिंग के चाहने वाले मौजूद हैं। हाल ही मुंबई में आयोजित एक नीलामी में अमृता शेरगिल की एक पेटिंग पर 18.69 करोड़ रुपये की रिकॉर्ड बोली लगी। विदेश में जन्मीं और पली-बढ़ीं व शिक्षा हासिल करने वाली अमृता की आज ही के दिन, 05 दिसंबर 1941 में महज 28 साल की आयु में लाहौर में रहस्यमय परिस्थितियों में मौत हो गई थी। उनकी मौत की वजह आज भी एक पहेली है। हालांकि अमृता की जिंदगी भी उनकी पेटिंग्स की तरह काफी कलरफुल रही है।
देश के शीर्ष नौ चित्रकारों में शामिल अमृता शेरगिल का जन्म 30 जनवरी 1913 को हंगरी की राजधानी बुडापेस्ट में हुआ था। उनके सिख पिता उमराव सिंह शेरगिल संस्कृत-फारसी के विद्वान नौकरशाह थे। उनकी मां एंटोनी गोट्समन हंगरी मूल की यहूदी ओपेरा गायिका थीं। शायद यही वजह है कि अमृता में बचपन से ही कला, संगीत व अभिनय के प्रति जुनून था। उन्होंने इटली स्थित फ्लोरेंस के सांता अनुंजियाता आर्ट स्कूल से पेटिंग का कोर्स किया था। पेरिस में पढ़ाई करने के दौरान उन्होंने एक पत्र लिखा था, जिसमें उन्होंने भारत लौटने की इच्छा जताई थी। पत्र में उन्होंने इसकी वजह का जिक्र करते हुए लिखा था कि चित्रकार होने के नाते वह अपना भाग्य अपने देश भारत में आजमाना चाहती हैं।
अमृता का जन्म भले ही हंगरी में हुआ था, लेकिन उनकी चित्रकारी में भारतीय संस्कृति और आत्मा की झलक साफ देखी जा सकती है। उनकी अमूल्य पेटिंग्स को धरोहर की तरह दिल्ली की नेशनल आर्ट गैलरी में सहेज कर रखा गया है। अमृता शेरगिल को एक भारतीय सर्वे के दौरान वर्ष 1976 और 1979 में देश के नौ सर्वश्रेष्ठ चित्रकारों में शामिल किया गया था। अब भी वह देश की सबसे मशहूर महिला चित्रकार के रूप में दुनिया भर में प्रसिद्ध हैं। यही वजह है कि उनकी पेटिंग्स पर लाखों रुपये से शुरू होकर करोड़ों रुपये तक की बोली लगती रही है।
भारतीय चित्रकारी को पहली बार दिलाया ये मुकाम
अमृता शेरगिल के बारे में कहा जाता है कि वह अपनी पेटिंग्स की तरह ही बेहद खूबसूरत थीं। उनका व्यक्तित्व इतना आकर्षक था कि जो भी उनसे एक बार मिलता उनका कायल हो जाता। उनकी एक पेटिंग यंग गर्ल्स को पेरिस में एसोसिएशन ऑफ द ग्रैंड सैलून तक पहुंचने का अवसर मिला था। वहां उनकी चित्रकारी की विशेष तौर पर प्रदर्शनी लगाई गई थी। इस मुकाम तक पहुंचने वाली वह पहली एशियाई महिला चित्रकार थीं। ये गौरव प्राप्त करने वाली वह दुनिया की सबसे कम उम्र की महिला चित्रकार थीं।
इटली और पेरिस में सीखी पेटिंग की बारीकी
सन 1921 में अमृता शेरगिल का परिवार शिमला (समर हिल) आ गया। सन 1923 में अमृता की मां एंटोनी एक इतालवी मूर्तिकार के संपर्क में आयीं, जो शिमला में ही रहता था। वर्ष 1924 में जब वह इटली वापस जा रहा था, एंटोनी भी बेटी अमृता को लेकर उसके साथ इटली चली गयीं। इटली में उन्होंने अमृता का दाखिला फ्लोरेंस के एक आर्ट स्कूल में करा दिया। अमृता इस आर्ट स्कूल में ज्यादा समय तक नहीं रहीं और जल्द ही भारत लौट आई। हालांकि वहां पर उन्हें महान इतालवी चित्रकारों के कार्यों के बारे में जानकारी हासिल हुई।
16 वर्ष की आयु में अमृता अपनी मां के साथ पेंटिंग सीखने पेरिस चली गयीं। पेरिस में उन्होंने कई प्रसिद्द कलाकारों जैसे पिएरे वैलंट और लुसिएँ साइमन व नामी संस्थानों से चित्रकारी सीखी। अपने शिक्षक लुसिएँ साइमन, चित्रकार मित्रों और अपने प्रेमी बोरिस तेज़लिस्की के प्रभाव में आकर उन्होंने यूरोपिय चित्रकारों से प्रेरणा ली। उनकी शुरूआती पेंटिंग्स में यूरोपिय प्रभाव साफ़ झलकता है। सन 1932 में उन्होंने अपनी पहली सबसे महत्वपूर्ण पेंटिंग ‘यंग गर्ल्स’ प्रस्तुत की। इसके बाद वर्ष 1933 में उन्हें पेरिस के ग्रैंड सालों का एसोसिएट चुन लिया गया। यह सम्मान पाने वाली वह पहली एशियाई और सबसे कम उम्र की कलाकार थीं। इसके बाद वर्ष 1934 में वह दोबारा भारत लौट आयीं।
चचेरे भाई से की थी शादी
बताया जाता है कि अमृता शेरगिल जब आठ वर्ष की थीं, तभी वह पियानो और वायलन बजाने लगी थीं और पेटिंग शुरू कर दी थी। अमृता ने अपनी मां के एक करीबी रिश्तेदार के बेटे (अपने हंगेरियन चचेरे भाई) डॉक्टर विक्टर इगान से शादी की थी। विदेश से लौटकर जब वह भारत आईं तो वह यहां के पर्यटन स्थलों से रूबरू हुईं। वह अजंता एलोरा, मथुरा की मूर्तियां और कोच्चीन के मत्तंचेरी महल से काफी प्रभावित हुईं। इस वजह से उनकी चित्रकारी में वक्त-वक्त पर बदलाव देखे जा सकते हैं।
18.69 करोड़ में बिकी चचेरी बहन की पेटिंग
अमृता शेरगिन ने 1934 में अपनी आठ साल की चचेरी बहन बबिता की एक पेटिंग बनाई थी, जिसे नाम दिया गया ‘द लिटिल गर्ल इन ब्लू’। 30 नवंबर 2018 को ये पेटिंग मुंबई में आयोजित एक प्रदर्शनी में 18.69 करोड़ रुपये की रिकॉर्ड बोली पर बिकी। इससे पहले पेंटिंग की अनुमानित कीमत 8.5 करोड़ रुपये से 12.5 करोड़ रुपये आंकी गई थी। इस पेटिंग को सबसे पहले 1937 में लाहौर की एक प्रदर्शनी में प्रदर्शित किया गया था। वहां इस पेटिंग को कला इतिहासकार चार्ल्स फाबरी ने खरीदा था। इसके आठ दशक बाद सोदबी ने इस पेटिंग को मुंबई की प्रदर्शनी में प्रदर्शित किया। अमृता का ये सातवां तैल चित्र है।
गोरखपुर में पति संग गुजारे कई वर्ष
सन 1938 में डॉ विक्टर इगान के साथ विवाह के पश्चात अमृता गोरखपुर के सराया स्थित अपने पैतृक स्थान आ गयीं। इस दौरान उन्होंने जो कार्य किया उसका प्रभाव भारतीय कला पर उतना ही पड़ा जितना कि रविंद्रनाथ टैगोर और जामिनी रॉय के कार्यों का। रविंद्रनाथ और अबनिन्द्रनाथ की कला ने अमृता शेरगिल को भी प्रभावित किया था जिसका उदाहरण है अमृता द्वारा किया गया महिलाओं का चित्रण। अमृता की मशहूर पेटिंग्स में थ्री गर्ल्स, ब्राइड्स टॉयलेट, हिल वूमेन, टू एलिफेंट, ट्राइवल वूमेन, हंगेरियन मार्केट सीन, रेड क्ले एलिफेंट, हिल मैन, यंग गर्ल्स, वुमेन ऑन चारपाई, विलेज सीन, द स्लीपिंग वुमेन, ब्रह्मचारी, सेल्फ पोट्रेट पूरी दुनिया में मशहूर हुईं। सितम्बर 1941 में अमृता लाहौर चली गयीं, जो उस समय एक बड़ा सांस्कृतिक और कला केंद्र था। यहीं पर पांच दिसंबर 1941 को उनकी रहस्यमय परिस्थितियों में मौत हुई थी।
चर्चा में रहे हैं उनके प्रेम प्रसंग
अमृता की पेटिंग जितनी चर्चा में रहीं, उतनी ही चर्चा उनके प्रेम संबंधों को लेकर भी होती रही है। माना जाता है कि अमृता के कई पुरुषों और महिलाओं से प्रेस संबंध थे। इनमें से कुछ महिलाओं की उन्होंने पेटिंग भी बनाई है। माना जाता है कि उनकी एक प्रसिद्द पेंटिंग ‘टू वीमेन’ उनकी और उनकी प्रेमिका मारी लौइसे की पेंटिंग है। उनके पति ने कभी उनकी निजी व आंतरिक जिंदगी में हस्तक्षेप नहीं किया। उनकी मृत्यु का सही कारण तो आज तक नहीं पता चल पाया पर ऐसा माना जाता है कि असफल गर्भपात उनकी मृत्यु का कारण बना।
ऐसा था अमृता व विक्टर का संबंध
कन्हैयालाल नंदन द्वारा लिखी अमृता की जीवनी के अनुसार अमृता और विक्टर का रिश्ता आपसी समझ, सम्मान और गहरे विश्वास से उपजने वाले प्रेम पर टिका हुआ था। विक्टर, अमृता के प्रेम संबंधों और अंतरंग जीवन में कभी हस्तक्षेप नहीं करते थे। विक्टर ने हर मुश्किल समय में अमृता का साथ दिया। विक्टर डॉक्टर थे। अपने प्रेम संबंधों के कारण मुश्किल में फंसने पर वही अमृता का गर्भपात करवाकर उनके इलाज में मदद भी करते थे। शायद यही वजह थी कि अमृता को विक्टर पर अटूट विश्वास था। जीवनी के अनुसार शादी के बाद अमृता ने विक्टर से कहा था, "मैं तुम्हारे सिवा और किसी के साथ रहने के बारे में सोच भी नहीं सकती, क्योंकि हम दोनों एक दूसरे के साथ ऐसे 'फिट' हैं जिसके बारे में सोचकर मुझे खुद ही ताज्जुब होता है"।