बेहतर शहरीकरण को रफ्तार देगा स्मार्ट शहरी मिशन, 10 शहरों की जल्द होगी घोषणा
स्मार्ट सिटी मिशन की पहल से शहरी गरीबों, महिलाओं और दिव्यांगों को बहुत सहूलियत होगी।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। स्मार्ट सिटी मिशन के तहत शेष बचे दस शहरों का चयन अंतिम दौर में है, जिसकी जल्दी ही घोषणा कर दी जाएगी। चयनित 90 प्रस्तावित शहरों को स्मार्ट बनाने के लिए लगभग डेढ़ लाख करोड़ की लागत से तीन हजार परियोजनाओं पर काम शुरू हो चुका है। केंद्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि स्मार्ट सिटी मिशन से देश में बेहतर सुविधाओं वाले शहरीकरण को रफ्तार मिलेगी।
स्मार्ट सिटी मिशन पर फिक्की में आयोजित सम्मेलन का उद्घाटन करने के बाद पुरी बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि स्मार्ट सिटी मिशन की पहल से शहरी गरीबों, महिलाओं और दिव्यांगों को बहुत सहूलियत होगी। तेजी से होते शहरीकरण से मूलभूत सुविधाओं की जरूरत बहुत बढ़ जाती है, जिससे पर्यावरण संरक्षण के लिए गंभीर चुनौती हो जाती है। लेकिन स्मार्ट सिटी मिशन के तहत होने वाले शहरीकरण से इस तरह की चुनौती से आसानी से निपटा जा सकेगा।
आर्थिक प्रगति और शहरीकरण के परस्पर संबंधों का जिक्र करते हुए पुरी ने कहा कि विकासशील देशों में ज्यादातर लोग शहरों की तरफ खिंचे चले आते हैं। एक अध्ययन से पता चला है कि देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में शहरी क्षेत्रों की हिस्सेदारी 70 फीसद तक है। जबकि टैक्स देने वालों में शहरी क्षेत्रों की भागीदारी 90 फीसद है। इसी के मद्देनजर शहरी क्षेत्रों में स्तरीय जीवन के लिए मजबूत बुनियादी ढांचा विकसित करने पर सरकार का पूरा जोर है।
स्मार्ट सिटी मिशन की परियोजनाओं की तेजी का बखान करते हुए पुरी ने कहा कि सिर्फ ढाई साल के भीतर 90 शहरों में विकास के काम चालू हो गया है। 1.40 लाख करोड़ की कुल परियोजनाओं में से 20 हजार की परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं। जबकि 16 हजार करोड़ की परियोजनाएं टेंडर की प्रक्रिया में हैं। बाकी परियोजनाएं भी शुरु होने वाली हैं। स्मार्ट शहरों के विकास में डिजिटल टेक्नोलॉजी की भूमिका अहम होगी, जिस पर मिशन का पूरा जोर है।
शहरों के बिगड़ते हालात पर चिंता व्यक्त करते हुए शहरी विकास मंत्री पुरी ने कहा कि वाहनों की बढ़ती संख्या के चलते धीमी पड़ चुकी ट्रैफिक को गति देने की जरूरत है। शहरी क्षेत्रों में पर्यावरण प्रदूषण ने लोगों की दुश्वारियां बढ़ा दी हैं। इसके लिए विशेष प्रयास किये जाएंगे। स्मार्ट होने वाले शहरों ने अपने अंदरुनी स्त्रोतों से अपनी आमदनी में ढाई गुना तक बढ़ा लिया है। शहरों के विकास के लिए कई और उपाय किये जा रहे हैं।