दागी आइपीएस अफसरों की सूची बनाए गृह मंत्रालय
केंद्रीय सूचना आयोग ने गृह मंत्रालय को ऐसे आइपीएस अधिकारियों की सूची तैयार करने के लिए कहा है।
नई दिल्ली, प्रेट्र। देश में कार्यरत आइपीएस अधिकारियों पर लंबित आपराधिक मामलों का कहीं लेखाजोखा नहीं है। अब केंद्रीय सूचना आयोग ने गृह मंत्रालय को ऐसे आइपीएस अधिकारियों की सूची तैयार करने के लिए कहा है। सूचना आयुक्त यशोवर्द्धन आजाद ने यह आदेश सामाजिक कार्यकर्ता नूतन ठाकुर की याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है। याचिका में देश भर में कार्यरत भारतीय पुलिस सेवा (आइपीएस) के अधिकारियों पर लंबित आपराधिक मुकदमों के बारे में जानकारी मांगी गई है।
सुनवाई में पेश गृह मंत्रालय की पुलिस शाखा के प्रतिनिधि ने बताया कि आइपीएस अधिकारियों पर मुकदमे लंबित होने की जानकारी सरकार संकलित नहीं करती। इसलिए इस बारे में जानकारी दे पाना तत्काल संभव नहीं है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो भी ऐसी कोई जानकारी नहीं रखता। सुनवाई के दौरान सूचना आयुक्त ने कहा कि जानकारी की बाबत गृह मंत्रालय के पास भेजे गए आरटीआइ प्रार्थना पत्र पर भी कोई ध्यान नहीं दिया गया। इससे लापरवाही का पता चलता है।
उल्लेखनीय है कि आइपीएस अधिकारियों की सेवा से संबंधित सारी जानकारियों के लिए गृह मंत्रालय जिम्मेदार है। इसके बावजूद उसके पास अधिकारियों पर चलने वाले मुकदमों की जानकारी न होना हैरान करने वाला है। किसी भी अधिकारी पर लंबित आपराधिक मुकदमों और लापरवाही के चलते ही उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई होती है। जब अधिकारी के खिलाफ मामलों की जानकारी ही गृह मंत्रालय के पास नहीं है तो अनुशासनात्मक कार्रवाई का कदम भी संदिग्ध हो गया है।
सूचना आयुक्त ने कहा, अधिकारी पर चल रहे मामलों की जानकारी उसकी निजी पत्रावली में होनी ही चाहिए। अगर ऐसा नहीं है तो यह बहुत बड़ी गड़बड़ी है। सूचना आयुक्त ने गृह मंत्रालय से आइपीएस अधिकारियों से संबंधित मुकदमों की जानकारी न होने की बात शपथ पत्र के जरिये कहने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा, शासन की प्रतिष्ठा के लिए पारदर्शी प्रशासनिक व्यवस्था आवश्यक है। देश में इस समय करीब नौ हजार आइपीएस अधिकारी कार्यरत हैं। सूचना आयुक्त यशोवर्द्धन आजाद खुद भी पूर्व आइपीएस अधिकारी हैं।