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कश्मीर में अब अंतिम सांसें गिन रहा हिजबुल मुजाहिदीन, कभी संगठन में थे पांच हजार आतंकी; आज सिर्फ पांच ही बचे

कश्मीर में सुरक्षाबलों के शिकंजे और आम कश्मीरियों के घटते समर्थन के बीच आज कश्मीरी आतंकियों का बड़ा संगठन हिजबुल मुजाहिदीन अंतिम सांसें गिनने लगा है। इस संगठन में कभी करीब पांच हजार आतंकी थे लेकिन आज महज पांच आतंकी रह गए हैं।

By Jagran NewsEdited By: Sonu GuptaPublished: Sat, 03 Dec 2022 02:17 AM (IST)Updated: Sat, 03 Dec 2022 02:41 AM (IST)
कश्मीर में अब अंतिम सांसें गिन रहा हिजबुल मुजाहिदीन, कभी संगठन में थे पांच हजार आतंकी; आज सिर्फ पांच ही बचे
कश्मीर में सुरक्षाबलों के शिकंजे के कारण आतंकियों का बड़ा संगठन हिजबुल मुजाहिदीन अंतिम सांसें गिनने लगा है। फाइल फोटो।

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। कश्मीर में सुरक्षाबलों के शिकंजे और आम कश्मीरियों के घटते समर्थन के बीच आज कश्मीरी आतंकियों का बड़ा संगठन हिजबुल मुजाहिदीन अंतिम सांसें गिनने लगा है। न हथियार मिल रहे हैं, न ठिकाना, न पैसा और न ही कश्मीरी युवाओं का साथ। कभी इस संगठन में करीब पांच हजार आतंकी थे, लेकिन आज महज पांच आतंकी रह गए हैं। इसके अलावा हिजबुल के ओवरग्रांउड वर्कर और वित्तीय नेटवर्क दोनों लगभग नष्ट हो चुके हैं। वहीं, पाकिस्तान ने कई नए आतंकी संगठन खड़े कर हिजबुल को हाशिए पर धकेल दिया है।

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यूसुफ शाह उर्फ सैयद सलाहुद्दीन है संगठन का चीफ कमांडर

कश्मीर का मोहम्मद यूसुफ शाह उर्फ सैयद सलाहुद्दीन इसी संगठन का चीफ कमांडर है, जो 31 साल से गुलाम जम्मू-कश्मीर में छिपा है। सितंबर 1989 में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ने हिजबुल मुजाहिदन का गठन कराया था। उत्तरी कश्मीर में पट्टन बारामुला के रहने जमात-ए-इस्लामी के प्रमुख कार्यकर्ता मास्टर अहसान डार को पहला कमांडर बनाया था। सलाहुद्दीन ने वर्ष 1991 में आपरेशन चीफ कमांडर बना था। इसका अधिकांश कैडर जमात-ए-इस्लामी से सहानुभूति रखने वाले वर्गों से आता रहा है।

लगातार बदल रहे ठिकाने

तीन वर्षों के दौरान तीन दर्जन स्थानीय युवा हिजबुल के आंतकी बने। इनमें अधिकांश मारे जा चुके हैं। करीब चार माह पहले तक हिजबुल आतंकियों की संख्या आठ से नौ तक थी। मौजूदा समय में पांच आतंकी रह गए हैं। इनमें फारूक नल्ली सबसे पुराना है। अन्य नए हैं। अन्य चार आतंकियों में आसिफ छह माह पुराना है। पांचों आतंकी लगातार ठिकाने बदलते हुए कभी पुलवामा में तो कभी शोपियां में घूम रहे हैं।

ओवरग्राउंड नेटवर्क पर भी नकेल

राजनीतिक कार्यकर्ता सलीम रेशी ने कहा कि सुरक्षाबलों ने हिजबुल मुजाहिदीन के सभी प्रमुख कमांडरों को खत्म करने के साथ जिस तरह से उनके ओवरग्राउंड नेटवर्क की नकेल कसी है, उससे नई भर्ती कम हो गई है या यूं कहिए कि बंद हो चुकी है। चार-पांच वर्ष के दौरान जो भी आतंकी बना है, वह इंटरनेट मीडिया पर जिहादी तत्वों के साथ संपर्क में था। उसे हिजबुल या जमात-ए-इस्लामी के बजाय लश्कर व जैश जैसे संगठनों की विचारधारा ने प्रभावित किया है।

370 हटने के बाद पाक की नई साजिश

पुलिस के पूर्व महानिदेशक डा शेषपाल वैद ने कहा कि आज हिजबुल मुजाहिदीन की पाकिस्तान को जरूरत नहीं है। क्योंकि हिजबुल भी लश्कर और जैश की तरह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिबंधित आतंकी संगठन हो चुका है। इसलिए हिजबुल को मिलने वाली हथियारों और पैसे की मदद में कटौती हो चुकी है। आम कश्मीरियों को भी आजादी और अलगाववाद के नारे की हकीकत समझ आ चुकी है। अनुच्छेद-370 हटने के बाद से पाकिस्तान ने पुराने आतंकी संगठनों के बजाय नए तैयार करना शुरू किया है। इनमें आप द रजिस्टेंस फ्रंट, कश्मीरी फ्रीडम फाइटर्स और पीपुल्स एंटी फासिस्ट फ्रंट का नाम ले सकते हैं। जमात-ए- इस्लामी पर पाबंदी ने भी 50 प्रतिशत काम किया है।

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