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Hindi Hain Hum: खुले बांहों वाली भाषा है हिंदी, सभी भाषा का किया स्‍वागत - अनामिका

Hindi Hain Hum हिंदी में दुनिया की अलग अलग भाषा या फिर अन्य भारतीय भाषा की रचनाओं का जमकर अनुवाद हुआ है। इस भाषा ने खुली बांहों से सभी भाषा का स्वागत किया सबके शब्दों का स्वागत किया।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Sun, 12 Sep 2021 06:44 PM (IST)Updated: Sun, 12 Sep 2021 07:49 PM (IST)
Hindi Hain Hum: खुले बांहों वाली भाषा है हिंदी, सभी भाषा का किया स्‍वागत - अनामिका
हिंदी की कवयित्री और कथाकार अनामिका और लेखिका सुधा उपाध्याय

 नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। हिंदी में दुनिया की अलग अलग भाषा या फिर अन्य भारतीय भाषा की रचनाओं का जमकर अनुवाद हुआ है। इस भाषा ने खुली बांहों से सभी भाषा का स्वागत किया, सबके शब्दों का स्वागत किया। हिंदी बहुत ही जनतांत्रिक भाषा है, यहां उदारता और स्वीकार का भाव है। अन्य भाषाओं की रचनाओं का हिंदी में अनुवाद होने से ये लाभ हुआ कि इसका शब्द भंडार बढ़ा और ये समृद्ध हुई। हिंदी की चाल बदली लेकिन वो सुघड़ हो गई। ये कहना था हिंदी की कवयित्री और कथाकार अनामिका का, जिनसे लेखिका सुधा उपाध्याय बात कर रही थीं। अनामिका के मुताबिक हिंदी भाषा मिठबोलुआ (मीठा बोलनेवाली) बेटी की तरह है, जो सबके साथ साहचर्य बनाकर रखती है।

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‘हिंदी हैं हम’ के हिंदी उत्सव में साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त कवयित्री ने खोला मन

अनामिका ने हिंदी कविता में बदलाव को भी इस बातचीत में रेखांकित किया। उनका मानना है कि नर्सिंग और शिक्षण की तरह कविता का भी स्त्रीकरण हुआ। कविता में स्त्रियों के आने से घरेलू बिंबों से एक विराट सत्य उद्घाटित हुआ। लोरियों और अंतरंग बातचीत की भाषा कविता में आई तो उसने सबको चौंकाया। अन्य भाषा के शब्दों के उपयोग से हिंदी को ठेस लगने के प्रश्न के उत्तर में अनामिका ने स्पष्ट किया कि हर ठेस विस्तार देता है, बगैर चोट खाए विस्तार नहीं होता, ये प्रकृति का नियम है। ये भाषा पर भी लागू होता है। ‘हिंदी हैं हम’ के इस मंच पर 1 सितंबर से लगातार हर दिन अलग अलग विषयों के विशेषज्ञों से बातचीत की जा रही है। इसमें अबतक फिल्म, तकनीक, शिक्षा, परीक्षा, साहित्य आदि के क्षेत्र के दिग्गजों से बातचीत की गई।

सोमवार का कार्यक्रम

सोमवार को हिंदी हैं हम के फेसबुक पेज पर शाम 4 बजे से 8 बजे तक लगातार अलग अलग सत्रों में हिंदी उत्सव का समापन कार्यक्रम देख सकते हैं- विश्व भाषा हिंदी 2050। इसका शुभारंभ संस्कृति राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल करेंगे।


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