Hindi Hain Hum: हिंदी को लोकप्रिय बनाने में मनोरंजन की बड़ी भूमिका: कमलेश पांडे
फिल्म तेजाब चालबाज खलनायक सौदागर जैसी फिल्मों के संवाद लेखक कमलेश पांडे का मानना है कि हिंदी को लोकप्रिय बनाने में मनोरंजन की बेहद अहम भूमिका रही है। उन्होंने कहा कि हिंदी को लोकप्रिय बनाने में कहानियां और उपन्यास के साथ साथ हिंदी फिल्मों का बड़ा योगदान रहा है।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। फिल्म तेजाब, चालबाज, खलनायक, सौदागर जैसी फिल्मों के संवाद लेखक कमलेश पांडे का मानना है कि हिंदी को लोकप्रिय बनाने में मनोरंजन की बेहद अहम भूमिका रही है। उन्होंने कहा कि हिंदी को लोकप्रिय बनाने में कहानियां और उपन्यास के साथ साथ हिंदी फिल्मों का बड़ा योगदान रहा है। देवकीनंदन खत्री के उपन्यास पढ़ने के लिए लोगों ने हिंदी सीखी थी।
उनका मानना है कि हिंदी फिल्मों ने न केवल हिंदी को विस्तार दिया बल्कि देश को जोड़ने का काम भी किया। लेकिन हिंदी सिनेमा के इस योगदान को उचित सम्मान नहीं मिल पाया। फिल्मों के संवाद पर बात करते हुए वो कहते हैं कि ये देश संवाद के लिए जाना जाता है। हमको ये परंपरा अपने उपनिषदों से मिली है। दर्शकों को अच्छे संवाद सुनने में आनंद आता है। संवाद के लिए एक शब्द ही बन गया ‘डायलागबाजी’। दर्शक आम बोलचाल की भाषा सुनने के लिए फिल्म नहीं देखता है, उसको संवाद में एक खास अंदाज और अदा की अपेक्षा रहती है।
‘हिंदी हैं हम’ के हिंदी उत्सव में बोले सिने संवाद लेखक कमलेश पांडे
कमलेश पांडे ने बेबाकी से कहा कि इस दौर के ज्यादातर अभिनेता देवनागरी पढ़ नहीं पाते हैं। पहले के अभिनेताओं को भाषा की समझ होती थी, इसलिए वो भाषा का सम्मान करते थे। अब तो हिंदी को ठीक से समझने, बोलने और सम्मान देनेवाले कम बचे हैं। उम्मीद छोटे शहरों से आ रहे अभिनेताओं, लेखकों और निर्देशकों से है जिन्होंने हिंदी को बचाकर रखा है। कमलेश पांडे दैनिक जागरण के उपक्रम ‘हिंदी हैं हम’ के हिंदी उत्सव में स्मिता श्रीवास्तव से बातचीत कर रहे थे। हिंदी उत्सव में एक अबतक फिल्म, पत्रकारिता, शिक्षा, तकनीक आदि के विशेषज्ञों से बातचीत की जा चुकी है।
रविवार का कार्यक्रम
रविवार को हिंदी हैं हम के फेसबुक पेज पर साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित कवयित्री अनामिका से बात करेंगी लेखिका सुधा उपाध्याय।