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Hindi Diwas 2019: गर्व से कहें 'हिंदी हैं हम', 94% की दर से बढ़ रहे इंटरनेट पर हिंदी यूजर्स

Hindi Diwas 2019 हिंदी विश्व की प्राचीन समृद्ध और सरल भाषा है। यह भाषा भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के कई देशों में बोली जाती है। इसे भारत में राजभाषा का दर्जा प्राप्त है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Sat, 14 Sep 2019 09:02 AM (IST)Updated: Sat, 14 Sep 2019 09:20 AM (IST)
Hindi Diwas 2019: गर्व से कहें 'हिंदी हैं हम', 94% की दर से बढ़ रहे इंटरनेट पर हिंदी यूजर्स

नई दिल्‍ली [जागरण स्‍पेशल]। Hindi Diwas 2019: हिंदी दिवस हर साल 14 सितंबर को मनाया जाता है। हिंदी विश्व की प्राचीन, समृद्ध और सरल भाषा है। यह भाषा भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के कई देशों में बोली जाती है। इसे भारत में राजभाषा का दर्जा प्राप्त है। हिंदी भाषी लोगों की सबसे बड़ी संख्या भारत में है। 43.63 फीसद के साथ 53.0 करोड़ भारतीय हिंदी बोलते हैं। दुनिया की भाषाओं का इतिहास रखने वाली संस्था एथ्नोलॉग के मुताबिक हिंदी दुनिया में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली तीसरी भाषा है।

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कब हुई मनाने की शुरुआत
14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने एक मत से यह निर्णय लिया कि हिंदी ही भारत की राजभाषा होगी। इस निर्णय के बाद हिंदी को हर क्षेत्र में प्रसारित करने के लिए राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा के अनुरोध पर 1953 से पूरे भारत में 14 सितंबर को हर साल हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।

वर्ष 1918 में महात्मा गांधी ने हिंदी साहित्य सम्मेलन में हिंदी भाषा को राजभाषा बनाने को कहा था। गांधी जी ने जनमानस की भाषा भी कहा था। बाद में 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने निर्णय लिया था कि हिंदी ही भारत की राजभाषा होगी। इसी दिन भारतीय संविधान के भाग 17 के अध्याय की धारा 343 (1) में दर्शाया गया है कि संघ की राजभाषा हिंदी और लिपि देवनागरी होगी। चूंकि यह निर्णय 14 सितंबर को लिया गया था। इस कारण इस दिन को हिंदी दिवस के लिए काफी को श्रेष्ठ माना गया था। और वर्ष 1953 से पूरे भारत में इस दिन को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।

कई राज्यों की मुख्य भाषा
यह हरियाणा, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और राजधानी दिल्ली जैसे राज्यों की मुख्य भाषा है। यह देश के पूर्वी भाग झारखंड और बिहार, मध्य भारत में छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश और भारत के पश्चिमी भाग राजस्थान में भी बोली जाती है।

जनमानस की भाषा
वैसे तो भारत में विभिन्न प्रकार की भाषाएं बोली जाती हैं। यहां हर राज्य की अपनी अलग सांस्कृतिक, राजनीतिक और ऐतिहासिक पहचान है। इसके बावजूद हिंदी भारत में सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है। यही वजह है कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने हिंदी को जनमानस की भाषा कहा था। उन्होंने 1918 में आयोजित हिंदी साहित्य सम्मेलन में हिंदी को राष्ट्र भाषा बनाने की बात कही थी।

इंटरनेट में बढ़ी धाक
इंटरनेट के प्रसार से किसी को अगर सबसे ज्यादा फायदा हुआ है तो वह हिंदी है। 2016 में डिजिटल माध्यम में हिंदी समाचार पढ़ने वालों की संख्या 5.5 करोड़ थी, जो 2021 में बढ़कर 14.4 करोड़ होने का अनुमान है। 2021 में अंग्रेजी की तुलना में हिंदी में इंटरनेट उपयोग करने वालों की संख्या अधिक हो जाएगी। अनुमान के मुताबिक 20.1 करोड़ लोग हिंदी उपयोग करने लगेंगे। गूगल के अनुसार हिंदी में कंटेंट पढ़ने वाले हर साल 94 फीसद बढ़ रहे हैं, जबकि अंग्रेजी में यह दर सालाना 17 फीसद है।

तेजी से बढ़ता दायरा
इसे हिंदी की ही ताकत कहेंगे कि अब लगभग सभी विदेशी कंपनियां हिंदी को बढ़ावा दे रही हैं। यहां तक कि दुनिया के सबसे बड़े सर्च इंजन गूगल में पहले जहां अंग्रेजी को बढ़ावा दिया जाता था वहीं गूगल अब हिंदी को भी प्राथमिकता दे रहा है। हाल ही में ई-कॉमर्स साइट अमेजन इंडिया ने अपना हिंदी एप लांच किया है। ओएलएक्स, क्विकर जैसे प्लेटफॉर्म पहले ही हिंदी में उपलब्ध है। स्नैपडील जैसी ऑनलाइन शॉपिंग साइट भी हिंदी में है।

वैज्ञानिक भाषा है हिंदी

  • हिंदी एक वैज्ञानिक भाषा क्यूँ है उसके पीछे कुछ कारण हैं, जैसे
  • क, ख, ग, घ, ङ: कंठव्य कहे गए, क्योंकि इनके उच्चारण के समय ध्वनि कंठ से निकलती है।
  • च, छ, ज, झ,ञ: तालव्य कहे गए, क्योंकि इनके उच्चारण के समय जीभ तालू से लगती है।
  • ट, ठ, ड, ढ , ण: मूर्धन्य कहे गए, क्योंकि इनका उच्चारण जीभ के मूर्धा
  • (मुंह के अंदर का तालु और ऊपर के दाँतों के पीछे सिर की तरफ़ का भाग जिसे जीभ का अगला भाग ट्, ठ्, ड्, ढ्, और ण वर्ण का उच्चारण करते समय उलटकर छूता है) से लगने पर ही संभव है।
  • त, थ, द, ध, न: दंतीय कहे गए, क्योंकि इनके उच्चारण के समय जीभ दांतों से लगती है।
  • प, फ, ब, भ, म: ओष्ठ्य कहे गए, क्योंकि इनका उच्चारण ओठों के मिलने पर ही होता है।
  • य, र, ल, व: अंतस्थ कहलाते हैं क्योंकि इनके उच्चारण के समय ध्वनि अंदर से निकलती है।
  • श, ष, स, ह: ऊष्म कहलाते हैं क्योंकि इनके उच्चारण करते समय अंदर से गर्म ऊष्मा निकलती है।

मैं दुनिया की सभी भाषाओं का सम्मान करता हूं, पर मेरे देश में हिंदी का सम्मान न हो, यह मैं सह नहीं सकता। आचार्य विनोबा भावे

मैं उन लोगों में से हूं, जिनका विचार है और जो चाहते हैं कि हिंदी ही राष्ट्रभाषा हो सकती है।
बाल गंगाधर तिलक

हिंदी सदैव ऐसी भाषा रही है जिसने मात्र विदेशी होने के कारण किसी शब्द का बहिष्कार नहीं किया।
डॉ राजेंद्र प्रसाद

यहां जानें: अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस: भारत में हैं 1365 भाषाएं, लेकिन हिंदी नहीं पहली मातृभाषा


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