फंसे प्रोजेक्ट पूरे होने से 27 हजार किमी बढ़ जाएगा हाईवे नेटवर्क, 878 परियोजनाएं हैं देरी की शिकार
सड़क निर्माण के मौजूदा रुके-थमे प्रोजेक्ट अगर पूरे हो जाएं तो देश का हाईवे नेटवर्क एक साथ 27326 किलोमीटर बढ़ जाए। इन प्रोजेक्टों के पूरे होने का यह भी मतलब होगा कि तीन लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम का सदुपयोग शुरू हो जाएगा। File Photo
मनीष तिवारी, नई दिल्ली। सड़क निर्माण के मौजूदा रुके-थमे प्रोजेक्ट अगर पूरे हो जाएं तो देश का हाईवे नेटवर्क एक साथ 27,326 किलोमीटर बढ़ जाएगा। इन प्रोजेक्टों के पूरे होने का यह भी मतलब होगा कि तीन लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम का सदुपयोग शुरू हो जाएगा।
पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुनियादी ढांचे की लंबित परियोजनाओं पर चिंता जताते हुए यह कहा था कि इनमें देरी प्रोजेक्टों की लागत तो बढ़ाती ही है, बल्कि लोगों को उसका फायदा मिलने में भी देरी होती है। कुछ ऐसी ही चिंता परिवहन, पर्यटन और संस्कृति से संबंधित संसद की स्थायी समिति ने संसद में पेश की गई अपनी रिपोर्ट में भी जाहिर की है।
समिति ने केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय से यह अपेक्षा भी की कि वह सड़क परियोजनाओं की निगरानी के तंत्र की समीक्षा करे और हर चरण में परियोजनाओं पर निगाह रखने की कोई ठोस व्यवस्था करे। अगर परियोजनाओं में देरी को शुरुआती स्तर पर ही भांप लिया जाए तो तमाम प्रोजेक्टों को वर्षों तक लंबित रहने से बचाया जा सकता है।
878 वर्तमान परियोजनाएं इस समय देरी की शिकार
सड़क परिवहन मंत्रालय के अनुसार, पिछले सात साल में अत्यंत विलंबित तमाम परियोजनाएं पूरी की गई हैं। फिर भी 878 वर्तमान परियोजनाएं इस समय देरी की शिकार हैं, जिनकी कुल लंबाई 27,326 किलोमीटर है और इनमें 3,11,810 करोड़ रुपये फंसे हुए हैं। राहत की बात यह है कि इनमें 478 परियोजनाएं (13,013) किलोमीटर लगभग पूरी हो चुकी हैं।
इनमें 99 प्रतिशत तक प्रगति हो चुकी है और उन्हें इस साल किसी भी समय संचालित किया जा सकता है। लंबित परियोजनाओं का बोझ घटाने के लिए मंत्रालय ने 20 परियोजनाओं को समाप्त भी कर दिया है। बाकी 380 लंबित परियोजनाओं (13,976 किलोमीटर) पर काम तेज करने की कोशिश की जा रही है।
इनके जरिये लगभग 14 हजार किलोमीटर सड़क का निर्माण होना है। मंत्रालय के मुताबिक इनमें 83 प्रतिशत काम हो गया है और अगले वित्तीय वर्ष की समाप्ति तक ये परियोजनाएं पूरी हो जाएंगी। लंबित परियोजनाओं के बारे में मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि रोड प्रोजेक्ट में विलंब हो जाना स्वाभाविक है, क्योंकि इसमें कई पक्ष शामिल होते हैं।
संसदीय समिति ने लंबित परियोजनाओं को उठाया
पिछले वर्षों में कई ऐसे प्रोजेक्ट पूरे किए गए हैं जो लंबे समय से रुके हुए थे। भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया को सरल-पारदर्शी बनाने के साथ ही सरकार की प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में तेजी लाने के उपाय किए गए हैं। इसके अलावा पैसे की कमी दूर करने के लिए एकमुश्त धन भी दिया गया है और कुछ मामलों में री-बिडिंग भी करने में संकोच नहीं किया गया।
खास तौर पर फंसे प्रोजेक्टों को अंजाम तक पहुंचाने के लिए अलग से दिशा-निर्देश भी दिए गए हैं, जिनका काफी असर हुआ है। संसदीय समिति ने लंबित परियोजनाओं को लेकर एक अहम बिंदु यह भी उठाया है कि तमाम प्रोजेक्ट इसलिए देरी के शिकार होते हैं, क्योंकि ठेकेदारों का काम खराब होता है। इसलिए रोड प्रोजेक्टों का ठेका देते समय उनके पिछले रिकार्ड का भी ध्यान रखा जाना चाहिए, खासकर प्रोजेक्टों को समय पर पूरा करने और कार्य की गुणवत्ता के मामले में।