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    पोषक तत्वों से भरपूर क्विनोवा की अधिक मांग होने से बदलेगी मध्य प्रदेश के आदिवासियों की जिंदगी

    By Bhupendra SinghEdited By:
    Updated: Sun, 29 Nov 2020 07:35 PM (IST)

    साउथ अमेरिका की मुख्य फसल क्विनोवा पोषक तत्वों व एंटीऑक्सिेडेंट गुणों से भरपूर है। इसके चलते इसकी मांग हो रही है। हर क्षेत्र में उपलब्ध न होने के कारण इसे ऑनलाइन मंगाया जा रहा है।कान्हा राष्ट्रीय उद्यान में सैलानी भोजन में इसकी मांग करते हैं।

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    संयुक्त राष्ट्र ने क्विनोवा को घोषित किया महाअनाज।

    माही महेश चौहान, बालाघाट। मध्य प्रदेश में बालाघाट जिले के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में अब क्विनोवा की फसल कोदो-कुटकी की जगह लेगी। जंगलों में यह फसल आदिवासियों में पोषण बढ़ाएगी और इससे उनकी समृद्धि भी बढ़ेगी। जिले के 60 आदिवासी किसान 150 एकड़ में इसकी खेती कर रहे हैं। इस फसल पर न मौसम की मार होगी, न यह बीमार होगी। अंग्रेजी बथुआ प्रजाति की इस फसल के लिए कृषि विशेषज्ञों ने सर्वे कर 12 गांवों के 60 किसानों को चिन्हित किया है। अक्टूबर से मार्च में यह फसल लगाई जाती है।

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    संयुक्त राष्ट्र ने क्विनोवा को घोषित किया महाअनाज

    कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर शरद बिसेन बताते हैं क्विनोवा अन्य अनाजों की अपेक्षा ज्यादा पौष्टिक होता है, इसलिए इसे महाअनाज (सुपरग्रेन) कहा जाता है। क्विनोवा में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, ड्राइट्री फाइबर, वसा, पोषक तत्व व विटामिनों का अच्छा स्रोत है। संयुक्त राष्ट्र खाद्य व कृषि संगठन ने 2013 को क्विनोवा वर्ष घोषित किया था। क्विनोवा में एंटीऑक्सिडेंट होते हैं, जो विभिन्न बीमारियों से दूर रखते हैं। ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होने के कारण इसे मधुमेह के मरीजों के लिए अच्छा माना जाता है। इसके दाने ग्लूटेन मुक्त होते हैं। अत: गेहूं से एलर्जी वाले लोग इसे खा सकते हैं। इसके फाइबर में बाइल एसिड होता है, जो कोलेस्ट्रोल को बढ़ने से रोकता है। क्विनोवा मैग्नेशियम, पोटैशियम, कैल्शियम, सोडियम, लोहा जिंक, मैगनीज, विटामिन ई, विटामिन बी 6, फोलिक एसिड व ओमेगा 3 का मुख्य स्रोत हैं। इसलिए नासा के वैज्ञानिक इसे लाइफ सस्टेनिंग ग्रेन मानते हुए अंतरिक्ष यात्रियों को क्विनोवा उपलब्ध कराते हैं।

    बदलेगी आदिवासियों की जिंदगी

    कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर उत्तम बिसेन ने बताया कि साउथ अमेरिका की मुख्य फसल क्विनोवा पोषक तत्वों व एंटीऑक्सिेडेंट गुणों से भरपूर है। इसके चलते इसकी मांग हो रही है। हर क्षेत्र में उपलब्ध न होने के कारण इसे ऑनलाइन मंगाया जा रहा है।

    कान्हा राष्ट्रीय उद्यान में सैलानी भोजन में क्विनोवा की मांग करते हैं 

    कान्हा राष्ट्रीय उद्यान में सैलानी भोजन में इसकी मांग करते हैं। भारत व अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसका दाम 150 से 200 रुपये किलो है। इन गांवों में उत्पादन: बालाघाट के नक्सल प्रभावित बैहर, बिरसा, गढ़ी व परसवाड़ा के 60 आदिवासी बैगा इसका उत्पादन कर रहे हैं।

    क्विनोवा के लिए बालाघाट जिले की जलवायु उपयुक्त 

    क्विनोवा के लिए बालाघाट जिले की जलवायु उपयुक्त है। कम पानी कम लागत है, ये फसल 120 से 150 दिन में तैयार होती है। एक किलो बीज एक एकड़ खेती के लिए पर्याप्त है। इससे छह से सात क्विंटल उत्पादन होता है।

    क्विनोवा महाअनाज है

    क्विनोवा महाअनाज है। इसके उत्पादन व उपयोग से जिले के आदिवासी , बैगा समुदाय स्वस्थ व समृद्ध हो सकें, इसके लिए 60 किसान इसका उत्पादन कर रहे हैं। उत्पादन के बाद किसान फसल बेचकर आर्थिक लाभ भी कमा सकें, इसके लिए भी इंतजाम किए गए हैं-डॉ. उत्तम बिसेन, कृषि वैज्ञानिक, मुरझड़।

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