Move to Jagran APP

लोकल वकीलों के लिए वोकल हुए हाईकोर्ट, बीसीआई ने कहा- यह नियम ठीक नहीं

देश के कई हाईकोर्ट मे केस दाखिल करने के लिए लोकल वकील की अनिवार्यता है । इलाहाबाद और पटना हाईकोर्ट में पहले से ही ऐसी व्यवस्था है अभी हाल में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने भी लोकल वकील की अनिवार्यता का नोटिस जारी किया है।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Tue, 17 Nov 2020 08:08 PM (IST)Updated: Tue, 17 Nov 2020 08:08 PM (IST)
लोकल वकीलों के लिए वोकल हुए हाईकोर्ट, बीसीआई ने कहा- यह नियम ठीक नहीं
हाइकोर्ट में लोकल अधिवक्ताओं की फाइल फोटो

माला दीक्षित, नई दिल्ली। देश मे वोकल फार लोकल पर जोर है लेकिन क्या वकीलों के मामले मे भी लोकल की अनिवार्यता लगाई जा सकती है। देश के कई हाईकोर्ट मे केस दाखिल करने के लिए लोकल वकील की अनिवार्यता है यानी केस दाखिल करने वाला वकील उस हाईकोर्ट में प्रेक्टिस करता हो। इलाहाबाद और पटना हाईकोर्ट में पहले से ही ऐसी व्यवस्था है अभी हाल में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने भी लोकल वकील की अनिवार्यता का नोटिस जारी किया है। स्थानीय वकील और हाईकोर्ट भले ही इसे सही मानते हो लेकिन लोकल वकील की अनिवार्यता को लेकर सवाल भी उठ रहे हैं बार काउंसिल आफ इंडिया (बीसीआइ) इसे सही नहीं मानती।

loksabha election banner

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने गत 10 नवंबर को एक नोटिस निकाला है जिसके मुताबिक हाईकोर्ट में केस दाखिल करने के लिए स्थानीय वकील अनिवार्य है। स्थानीय वकील नही होगा तो केस खामी पूर्ण माना जाएगा और उसपर सुनवाई नहीं होगी। यह नोटिस हाईकोर्ट रूल के तहत जारी हुआ है। इस पर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के वकील रूपेश पटेल कहते हैं कि स्थानीय वकील का नियम पहले से था लेकिन कोरोना काल में सुनवाई वीडियो कान्फ्रेंसिंग से हो रही है। फाइलिंग भी आनलाइन हो रही है और आनलाइन फाइलिंग में इस नियम का पालन नहीं हो रहा था इसलिए हाईकोर्ट से अनुरोध किया गया था जिसके बाद यह नोटिस निकला है। यही व्यवस्था इंदौर और ग्वालियर पीठ के लिए है। रूपेश कहते हैं कि इससे कोरोना संकट काल में स्थानीय वकीलों के हित संरक्षित होंगे। हाईकोर्ट बार एसोसिएशन जबलपुर के अध्यक्ष रमन पटेल कहते हैं कि यह नियम एडवोकेट एक्ट की धारा 30 का उल्लंघन नहीं है क्योंकि हाईकोर्ट को नियम बनाने का कानूनन अधिकार है। इसमें स्थानीय वकीलों के हित संरक्षित होना एक पहलू है लेकिन इसके साथ ही मुकदमें की पैरवी में सुविधा भी होती है क्योंकि अपील के मामले में कई बार निचली अदालत से रिकार्ड नहीं आया होता, तारीख लेनी होती है ये सब काम लोकल वकील ही आसानी से करा सकता है। पार्टी को बार बार नहीं आना पड़ता।

इलाहाबाद और पटना हाईकोर्ट में पहले से यह व्यवस्था

बात सिर्फ मध्य प्रदेश की नहीं है पटना हाईकोर्ट में भी कई वर्षो से एडवोकेट आन रिकार्ड (एओआर) सिस्टम लागू है। सुप्रीम कोर्ट की तर्ज पर हाईकोर्ट एओआर परीक्षा कराता है और एओआर ही वहां केस दाखिल कर सकते हैं। इसके लिए हाईकोर्ट बार एसोसिएशन का सदस्य होना जरूरी है। इलाहाबाद हाईकोर्ट में भी कई वर्षो से एडवोकेट आन रोल की व्यवस्था है। लखनऊ पीठ में भी यही नियम है। नियम तो झारखंड हाईकोर्ट मे भी करीब 17-18 साल पहले बना था लेकिन वहां वकीलों के विरोध के कारण नियम निलंबित कर दिया गया था।

बीसीआइ जल्दी ही सभी उच्च न्यायालयों को लिखेगी पत्र

सवाल उठता है कि क्या यह सही है। बीसीआइ के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्र कहते हैं कि हाईकोर्ट मे लोकल वकील या एओआर की व्यवस्था का नियम ठीक नहीं है। यह नियम धारा 30 का उल्लंघन करता है। बीसीआइ एलएलबी करने वालों की आल इंडिया बार परीक्षा कराती है और वकील के तौर पर पंजीकृत होने के लिए इसे पास करना जरूरी है। जब बीसीआइ परीक्षा के तौर पर एक स्क्रीनिंग कर चुकी होती है तो फिर बार बार परीक्षा का क्या मतलब। वैसे भी सामान्य तौर पर 90 फीसद केस स्थानीय वकील ही दाखिल करते हैं ऐसे में अनिवार्यता का नियम बनाना ठीक नहीं है। बीसीआइ जल्दी ही सभी उच्च न्यायालयों को पत्र लिखेगी, कि किसी भी वकील को वकालत करने या केस दाखिल करने से न रोका जाए। बीसीआइ भले ही सहमत न हो लेकिन लंबे समय तक हाईकोर्ट जज रहे जस्टिस यतेन्द्र सिंह नियम की तरफदारी करते हैं। उनका कहना है कि नियम सुविधा के लिए बना है। हलफनामा या अर्जी दाखिल करने में दूसरे पक्ष को प्रति देना अनिवार्य है। जल्द सुनवाई की मांग में भी दूसरे पक्ष को नोटिस देना होता है। वकील स्थानीय नहीं हुआ तो ये किसे दें। झारखंड हाईकोर्ट के वरिष्ठ वकील वकील प्रेमचंद्र त्रिपाठी भी इसे व्यवहारिक व्यवस्था मानते हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.