Move to Jagran APP

कर्नल दंपती की अलग-अलग तैनाती पर हाई कोर्ट ने लगाई रोक, फैसले को दी गई थी कोर्ट में चुनौती

कर्नल अमित ने याचिका में कहा कि उनकी वरीयताओं पर विचार किए बिना उनके स्थानांतरण का निर्णय लिया गया जो वरिष्ठ अधिकारियों की तैनाती के संबंध में निर्धारित नीति का उल्लंघन है।

By Tilak RajEdited By: Published: Wed, 16 Sep 2020 06:06 AM (IST)Updated: Wed, 16 Sep 2020 06:06 AM (IST)
कर्नल दंपती की अलग-अलग तैनाती पर हाई कोर्ट ने लगाई रोक, फैसले को दी गई थी कोर्ट में चुनौती
कर्नल दंपती की अलग-अलग तैनाती पर हाई कोर्ट ने लगाई रोक, फैसले को दी गई थी कोर्ट में चुनौती

नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। दो वरिष्ठ अधिकारियों (पति-पत्नी) को देश के अलग-अलग स्थानों पर तैनात करने के सेना के फैसले पर दिल्ली हाई कोर्ट ने रोक लगा दी है। सेना के फैसले को चुनौती देने वाली कर्नल अमित कुमार की याचिका पर सुनवाई करने के बाद न्यायमूर्ति राजीव सहाय एंडलॉ एवं आशा मेनन की पीठ ने सेना को याचिका को प्रतिवेदन के तौर पर लेकर फैसला लेने को कहा। पीठ ने इसके साथ ही सेना को कहा कि चार सप्ताह के अंदर फैसला लेकर इसकी जानकारी अदालत को भी दी जाए।

loksabha election banner

कर्नल अमित कुमार की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता राणा मुखर्जी व अधिवक्ता सुनील जे मैथ्यूज ने कहा कि अगली सुनवाई तक पीठ ने तैनाती के संबंध में सेना द्वारा दिए गए 15 मई के आदेश पर रोक लगा दी है। उन्होंने बताया कि अमित कुमार व उनकी पत्नी कर्नल अनु डोगरा सेना के जज एडवोकेट जनरल (जैग) ब्रांच में हैं। वर्तमान में दोनों ही जोधपुर में तैनात हैं और 15 मई को सेना ने इनकी तैनाती अंडमान और निकोबार में पोर्ट ब्लेयर और पंजाब के भटिंडा में करने का आदेश जारी किया।

कर्नल अमित ने याचिका में कहा कि उनकी वरीयताओं पर विचार किए बिना उनके स्थानांतरण का निर्णय लिया गया, जो वरिष्ठ अधिकारियों की तैनाती के संबंध में निर्धारित नीति और मानक संचालन प्रक्रिया का उल्लंघन है। उन्होंने याचिका में आरोप लगया कि उन्हें और उनकी पत्नी को अलग-अलग जगहों स्थानांतरित करने का निर्णय इसलिए लिया गया हैं, क्योंकि उन्होंने भारतीय सेना के जैग व दक्षिण कमान मुख्यालय पुणे के डिप्टी जैग के खिलाफ एक वैधानिक शिकायत दर्ज की थी। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि उन्हें बेदाग सेवा के बावजूद स्वैच्छिक समयपूर्व सेवानिवृत्ति के लिए कागजात देने के लिए मजबूर किया गया। वहीं, सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की तरफ से पेश हुए स्थायी अधिवक्ता हरीश वैद्यनाथन ने याचिका पर सुनवाई का विरोध किया।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.