गौरी लंकेश के हत्या आरोपितों की पुलिस यातना पर हाईकोर्ट ने मांगी रिपोर्ट
हाई कोर्ट के पंजीयक को निर्देश दिया जाता है कि प्रथम और तृतीय अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपलिटन मजिस्ट्रेट को आदेश से अवगत करा दिया जाए।
बेंगलुरु, प्रेट्र। गौरी लंकेश हत्या मामले के चार आरोपितों को हिरासत में यातना देने के आरोपों और न्यायिक प्रक्रिया का पालन नहीं करने पर कर्नाटक हाई कोर्ट ने दो मजिस्ट्रेट अदालतों को रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है। जस्टिस केएन फणीन्द्र ने कहा कि आरोप गंभीर प्रकृति के हैं। हाई कोर्ट के पंजीयक को निर्देश दिया जाता है कि प्रथम और तृतीय अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपलिटन मजिस्ट्रेट को आदेश से अवगत करा दिया जाए। आदेश मिलने की तिथि से 10 दिनों के भीतर उन्हें आरोपों पर अपनी रिपोर्ट दाखिल करनी होगी।
आरोपितों अमोल काले, सुजीत कुमार, अमित रामचंद्र देगवेकर और मनोहर इदावे की ओर से पेश अधिवक्ता एनपी अम्रूतेश ने एक हलफनामा दाखिल कर कहा कि काले के साथ हिरासत में पुलिस अधिकारियों ने जमकर मारपीट की। दोनों मजिस्ट्रेट भी पुलिस हिरासत से संबंधित सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्थापित प्रक्रिया का पालन करने में असफल रहे। उन्होंने आरोप लगाया कि 14 जून को हिरासत में यातना दिए जाने की सूचना दिए जाने के बावजूद मजिस्ट्रेट ने मेडिकल जांच का आदेश नहीं दिया। इसकी बजाय मजिस्ट्रेट ने सिर्फ आरोपित काले के शरीर पर लगे चोट के निशानों को ही दर्ज किया।
31 मई को भी एक अन्य आरोपित को हिरासत में यातना दिए जाने की इसी तरह की शिकायत तृतीय अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपलिटन मजिस्ट्रेट के समक्ष की गई थी, लेकिन उसकी भी अनदेखी की गई थी। इसीलिए उन्होंने हाई कोर्ट से आरोपितों की मेडिकल जांच और पुलिस द्वारा उनकी गैरकानूनी हिरासत व यातना की जांच के अधिकारियों को निर्देश दिए जाने की मांग की। उन्होंने प्रत्येक आरोपित को 25 लाख रुपये का हर्जाना देने और मजिस्ट्रेट को आरोपितों के बयान बंद कमरे में दर्ज करने का आदेश देने की भी मांग की। इस मामले में हाई कोर्ट ने 12 जून को कर्नाटक सरकार, राज्य के पुलिस प्रमुख और संबंधित पुलिस अधिकारियों को नोटिस जारी किया था। अदालत ने पुलिस को यह निर्देश भी दिया था कि आरोपितों के साथ गलत व्यवहार नहीं किया जाए। मालूम हो कि वामपंथी विचारधारा से प्रभावित पत्रकार गौरी लंकेश की पिछले साल पांच सितंबर को उनके घर के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
वाघमारे की हिरासत मांगने की योजना नहीं : महाराष्ट्र एसआइटी
भाकपा नेता गोविंद पंसारे की हत्या की जांच कर रहे महाराष्ट्र के विशेष जांच दल (एसआइटी) ने मंगलवार को कहा कि फिलहाल उसकी योजना परशुराम वाघमारे (26) की हिरासत मांगने की नहीं है। पत्रकार गौरी लंकेश हत्याकांड में वाघमारे मुख्य आरोपित है।
एसआइटी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, 'फिलहाल हमारी ऐसी कोई योजना नहीं है, लेकिन जांच के दौरान हम उसे हिरासत में ले सकते हैं।' गौरी लंकेश हत्याकांड के सिलसिले में कर्नाटक एसआइटी ने हाल ही में वाघमारे समेत छह लोगों को गिरफ्तार किया था। वाघमारे हिंदूवादी संगठन श्रीराम सेना का सक्रिय सदस्य है। पंसारे की 16 फरवरी, 2015 को महाराष्ट्र के कोल्हापुर में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।