हाईकोर्ट जज पर NCLAT फैसले को प्रभावित करने का आरोप, सुप्रीम कोर्ट ने दिए जांच के आदेश
एक चौंकाने वाली घटना में, उच्च न्यायालय के एक वरिष्ठ न्यायाधीश पर एनसीएलएटी के सदस्य को एक कंपनी के पक्ष में फैसला देने के लिए प्रभावित करने का आरोप लगा है। मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा, जिसने मुख्य न्यायाधीश को प्रशासनिक जांच करने का निर्देश दिया। केएलएसआर इंफ्रा से जुड़े दिवालियापन मामले में यह सिफारिश की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने मामले को दिल्ली पीठ में स्थानांतरित कर दिया और जल्द सुनवाई का आदेश दिया।
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हाईकोर्ट जज पर NCLAT फैसले को प्रभावित करने का आरोप (फाइल फोटो)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हाईकोर्ट के वरिष्ठ जज के ऊपर एक सनसनीखेज आरोप लगा है कि उन्होंने एक कंपनी के पक्ष में फैसला कराने के लिए राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी या एनक्लैट) के न्यायिक सदस्य से सिफारिश की।
ये मामला शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के संज्ञान में आया, जिसने कहा कि भारत के प्रधान न्यायाधीश इस मामलो को प्रशासनिक पहलू से देखेंगे। सीजेआइ बीआर गवई, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और जोयमाल्या बागची की पीठ के समक्ष वकील प्रशांत भूषण ने दावा किया कि उनकी जानकारी के मुताबिक हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की तरफ से कंपनी के अपीलीय न्यायाधिकरण से जुड़े न्यायिक सदस्य को संदेश दिया गया है।
कर रखी है अपील
गौरतलब है कि केएलएसआर इंफ्रा ने दिवालिया कार्रवाई के लिए एससीएलएटी चेन्नई में अपील कर रखी है। इस साल 13 अगस्त को सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा ने खुली अदालत में हाईकोर्ट के वरिष्ठ जज की तरफ से संदेश मिलने का दावा किया था। उन्होंने मौके पर ही संबंधित वकीलों को उनके फोन पर आए संदेशों को दिखाया और तत्काल खुद को सुनवाई से अलग कर लिया।
हालांकि, उन्होंने उस जज के नाम का उल्लेख नहीं किया, जिसकी तरफ से उन्हें संदेश प्राप्त हुआ था। इस मामले में विपक्षी पार्टी एएस मेटकार्प प्राइवेट लिमिटेड की तरफ से एफआइआर दर्ज कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट में रिट याचिका दायर की गई थी। इस सनसनीखेज दावे पर गौर करते हुए पीठ ने मामले को एनक्लैट की चेन्नई पीठ से एनसीएलएटी की नई दिल्ली स्थित प्रधान पीठ को स्थानांतरित कर दिया।
पीठ ने निजी कंपनी एएस मेटकार्प प्राइवेट लिमिटेड की ओर से पेश हुए भूषण से कहा, ''इस मामले में उठाया गया बड़ा मुद्दा अत्यंत महत्वपूर्ण है और सीजेआइ द्वारा प्रशासनिक पक्ष से इस पर विचार किया जाएगा।'' पीठ ने एनसीएलएटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति अशोक भूषण से इस मामले को अपनी अध्यक्षता वाली पीठ में सुनवाई का आग्रह किया है और विवाद का जल्द से जल्द निपटारा करने को कहा है।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने हैदराबाद स्थित राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण द्वारा नियुक्त अंतरिम समाधान पेशेवर (आइआरपी) को भी दिवालियापन विवाद में आगे बढ़ने का निर्देश दिया। पीठ के मुताबिक संबंधित न्यायिक सदस्य ने मामले से खुद को अलग करते हुए अपने आदेश में इस वाकये को दर्ज किया है, जो प्रशासनिक पक्ष से इस मुद्दे पर विचार करने के लिए पर्याप्त है।

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