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संसद और राष्ट्रपति भवन को किया जाएगा संरक्षित, बनाया जाएगा भूकंपरोधी

एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इन इमारतों को न्यूजीलैंड के संसद भवन की तर्ज पर मजबूत और भूकंपरोधी बनाया जाएगा।

By Manish PandeyEdited By: Published: Fri, 20 Sep 2019 09:52 PM (IST)Updated: Fri, 20 Sep 2019 09:52 PM (IST)
संसद और राष्ट्रपति भवन को किया जाएगा संरक्षित, बनाया जाएगा भूकंपरोधी
संसद और राष्ट्रपति भवन को किया जाएगा संरक्षित, बनाया जाएगा भूकंपरोधी

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। देश की राजधानी नई दिल्ली की हेरिटेज इमारत संसद भवन व राष्ट्रपति भवन के साथ नॉर्थ और साऊथ ब्लॉक की पहचान को संरक्षित किया जाएगा। इन भवनों को भूकंपरोधी भी बनाया जाएगा। इन ऐतिहासिक विरासत वाली इमारतों के बाहरी स्वरूप से छेड़छाड़ नहीं की जाएगी, जबकि अंदरुनी हिस्से को बदला जा सकता है। इन इमारतों को म्यूजियम में भी तब्दील किया जा सकता है।

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शहरी विकास मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इन इमारतों को न्यूजीलैंड के संसद भवन की तर्ज पर मजबूत और भूकंपरोधी बनाया जाएगा। एक सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि राजधानी के इस जोन के वास्तुकार लुटियंस की आगे की योजना पर कभी काम ही नहीं किया गया। जब जिस विभाग को जरूरत पड़ी उसे प्लॉट आवंटित कर दिया गया। यही वजह है कि इन बड़ी-बड़ी इमारतों में भी उसके सभी कर्मचारी एक छत के नीचे नहीं बैठ सकते हैं।

अधिकारी ने बताया कि वर्ष 1931 के बाद इस अत्यंत महत्त्‍‌वपूर्ण क्षेत्र का उचित विकास नहीं किया गया। लुटियंस ने कभी सोचा भी नहीं होगा कि भारत के उपराष्ट्रपति का आवास मौलाना आजाद रोड पर हो सकता है।

घरेलू और अंतरराष्ट्रीय कंपनियां भी शामिल

शहरी विकास मंत्रालय ने प्रस्तावित निर्माण को लेकर रिक्वेस्ट फॉर प्रोपोजल (आरएफपी) की बोली से पहले की बैठक हो चुकी है, जिसमें 20 कंपनियों के 50 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। इसमें घरेलू कंपनियों के साथ अंतरराष्ट्रीय कंपनियां भी शामिल हैं। उन्हीं विदेशी कंपनियों को बोली में हिस्सा लेने की अनुमति दी गई है, जो यहां पहले से पंजीकृत हैं। सभी कंपनियां 30 सितंबर तक अपना आरएफपी दाखिल कर देंगी।

250 सालों की जरूरत के हिसाब से बनेगी नई संसद

अधिकारी ने बताया कि बैठक में कुल 200 से अधिक मुद्दों पर सवाल पूछे गए। सभी कंपनियों को बैठक के दौरान बता दिया गया है कि पूरी परियोजना भारतीय विरासत के इर्द गिर्द ही रहनी चाहिए। इसके साथ ही नई संसद अगले ढाई सौ सालों की जरूरत के हिसाब से बनाई जाएगी। इस कार्य के लिए मंत्रालय अपने सेंट्रल पब्लिक व‌र्क्स डिपार्टमेंट (सीपीडब्ल्यूडी) के चुनिंदा कर्मचारियों व अधिकारियों की एक टीम बनाएगा, जो इसमें मदद करेगी।


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