वैज्ञानिकों की चेतावनी- जलवायु परिवर्तन के चलते फसलों के कैलेंडर में भी करना होगा बदलाव, नहीं तो...!
जलवायु परिवर्तन के चलते फसलों के कैलेंडर में भी करना होगा बदलाव! वैज्ञानिकों के मुताबिक 2080 तक जलवायु में परिवर्तन के चलते मौसम में बड़े पैमाने पर बदलाव देखा जाएगा। गर्मी बढ़ने और ठंड में कमी के साथ ही अचानक होने वाली बारिश से फसल पर काफी असर पड़ेगा।
नई दिल्ली, विवेक तिवारी। जलवायु परिवर्तन के चलते देश भर में मौसम के पैटर्न में बदलाव देखा जा रहा है। इसका असर फसलों के उत्पादन पर भी पड़ रहा है। चीन और यूरोप के वैज्ञानिकों ने अपने एक अध्ययन में पाया है कि भारत और बांग्लादेश में प्रमुख रूप से गेहूं और चावल की पैदावार पर मौसम में हुए बदलाव के असर को कम करने के लिए फसलों के बुआई और कटाई के समय में बदलाव करने की जरूरत है। सभी फसलों के लिए मौसम में हुए बदलाव को ध्यान में रखते हुए क्रॉप कैलेंडर में भी बदलाव करने की जरूरत है।
साइंस रिसर्च जर्नल ,साइंस डायरेक्ट में छपी चीन, ऑस्ट्रिया और स्लोवाकिया के कुछ वैज्ञानिकों के एक संयुक्त अध्ययन के मुताबिक जलवायु परिवर्तन को ध्यान में रखते हुए खरीफ और रबी की फसलों की बुआई और कटाई के समय में बदलाव करने की जरूरत है। खरीफ की फसलों, खास तौर पर चावल और रबी की फसलों की समय से पहले बुआई करने पर पानी की जरूरत कम होगी वहीं उत्पादन भी बढ़ेगा। वहीं खरीफ और रबी की फसल के बीच कुछ समय का अंतर रखने से बदलते मौसम का फसलों पर असर कम से कम होगा।
फसलों की जल्द बुआई से फायदा
रिपोर्ट के मुताबिक फसल कैलेंडर में बदलाव करने से फसल की उपज को नुकसान से बचने और बदलती जलवायु में पानी के उपयोग को कम करने के लिए एक एक बेहतर कदम हो सकता है। वैज्ञानिकों ने भारत और बांग्लादेश में गेहूं और चावल की उपज के साथ ही उष्णकटिबंधीय बहु-फसल प्रणाली पर जलवायु परिवर्तन के असर को समझने, और बेहतर संभावनाओं का अनुमान लगाने के लिए regionally calibrated Environmental Policy Integrated Climate (EPIC) कृषि विज्ञान मॉडल का उपयोग किया। वैज्ञानिकों ने पाया कि फसलों की बुआई के समय में बदलाव कर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम किया जा सकता है।
हीट वेव के असर से बचा जा सकेगा
रिपोर्ट के मुताबिक गेहूं की फसल को समय से पहले लगाने पर बाद में हीट वेव और बेहद गर्म हवाओं के प्रभाव से बचाया जा सकेगा। तेज गर्म हवाओं के चलते गेहूं के दाने जल्द पीले पड़ जाते हैं और सूख जाते हैं जिससे उत्पादन पर असर पड़ता है। इसके अलावा, खरीफ के समय चावल की समय से पहले बुवाई करने से मानसून की वर्षा का उपयोग करने में मदद मिल सकती है। वहीं धान की फसल में फूल लगने के दौरान पाले से भी बचाया जा सकेगा।
वैज्ञानिक कर रहे हैं कई पहलुओं पर काम
वैज्ञानिकों के मुताबिक 2080 तक जलवायु में परिवर्तन के चलते मौसम में बड़े पैमाने पर बदलाव देखा जाएगा। गर्मी बढ़ने और ठंड में कमी के साथ ही अचानक होने वाली बारिश से फसल पर काफी असर पड़ेगा। ऐसे में खरीफ के मौसम में धान की फसल को समय से पहले लगाने पर मानसून की बारिश का फायदा मिलेगा। ICAR के संस्थान सेंट्रल रिसर्च इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिक शांतनु कुमार ने बताया कि जलवायु परिवर्तन के चलते फसलों की पैदावार पर असर पड़ रहा है। मौसम में बदलाव को ध्यान में रखते हुए देश के कृषि संस्थान स्थानीय स्थितियों को ध्यान में रखते हुए फसलों की बुआई और कटाई के समय में बदलाव को लेकर सुझाव भी जारी कर रहे हैं। बढ़ती गर्मी, तेज बारिश और अन्य मौसम के बदलावों को ध्यान में रखते हुए ये बेहद जरूरी भी है। देश के कृषि वैज्ञानिक कई इस तरह फसलों का भी विकास कर रहे हैं जिनके उत्पादन पर ज्यादा गर्मी या बदलते मौसम के चलते बहुत असर नहीं होगा।