Lockdown: छत्तीसगढ़ की पटरियों पर दौड़ती है देश की धड़कन, लॉकडाउन में सभी प्लांट बंद
रेल पटरियों का उत्पादन करने वाला छत्तीसगढ़ देश का इकलौता राज्य है। मेट्रो और हाई स्पीड ट्रेन के लिए भी पूरे देश में यहीं से पटरी की आपूर्ति होती है।
संजीत कुमार, रायपुर। रेल पटरियों का उत्पादन करने वाला छत्तीसगढ़ देश का इकलौता राज्य है। मेट्रो और हाई स्पीड ट्रेन के लिए भी पूरे देश में यहीं से पटरी की आपूर्ति होती है। राज्य की दो कंपनियां हर वर्ष 42 लाख टन रेल पटरी बनाती हैं। इनमें स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया (सेल) का भिलाई स्टील प्लांट (बीएसपी) साढ़े 31 लाख और रायगढ़ स्थित निजी कंपनी जिंदल स्टील की 10 लाख टन क्षमता शामिल है। लॉकडाउन के कारण उत्पादन प्रभावित है। जिंदल ने उत्पादन बेहद सीमित कर रखा है। अब इधर बीते दो-तीन दिनों से तीन हजार टन उत्पादन शुरू किया गया है। रेल पटरी ही नहीं देश को कुल जरूरत का 40 फीसद इस्पात भी छत्तीसगढ़ के उद्योग ही देते हैं।
छोटे-बड़े करीब 35 हजार से अधिक उद्योग
प्रदेश में छोटे- बड़े करीब 35 हजार उद्योग हैं। इनमें करीब दो सौ वृहद, मेगा व अल्ट्रा मेगा प्रोजेक्ट्स हैं। लगभग आठ सौ से अधिक स्टील से जुड़े बड़े उद्योग हैं। इनमें स्पंज आयरन, मिनी स्टील और स्टील प्लांट शामिल हैं। बाकी सूक्ष्म व लघु उद्योग हैं।
देश के हर तीसरे घर में यहां का लोहा
छत्तीसगढ़ में हर तरह का लोहा बनता है। इसमें लोहे की चादर और प्लेट से लेकर एंगल्स, चैनल्स, राउंड, टीएमटी और वायर रॉड आदि शामिल हैं। देश के किसी भी कोने में बनने वाला हर तीसरा घर छत्तीसगढ़ के लोहे से ही बनता है। यही नहीं, देश के हर तीसरे पुल में यहीं के स्टील का उपयोग होता है।
विदेशों तक जाती हैं रेल पटरियां
ब्रिटेन, आस्ट्रेलिया, ईरान और बांग्लादेश के साथ कई देशों को यहां से रेल पटरी की आपूर्ति की जाती है। हाल ही में जिंदल कंपनी को फ्रांस से बड़ा आर्डर मिला है।
260 मीटर लंबी रेल लाइन के निर्माण का रिकार्ड
भिलाई स्टील प्लांट (बीएसपी) में सबसे लंबी 260 मीटर रेल लाइन के निर्माण का रिकार्ड भी है। इस साइज की रेल पटरी देश में सिर्फ बीएसपी बना रहा है। निजी क्षेत्र की जिंदल कंपनी अधिकतम 121 मीटर की रेल लाइन बनती है। बीएसपी में भी इस लंबाई की रेल लाइन बनती है।
स्टील प्लांटों की स्थिति खराब
लॉकडाउन की वजह से स्टील उद्योग प्रभावित हो गया है। अधिकांश स्पंज आयरन, स्टील और मिनी स्टील प्लांट में 22-23 मार्च से बंद पड़े हैं। इनकी संख्या करीब आठ सौ है। विश्वव्यापी मंदी की मार से पहले ही परेशान चल रहे इन उद्योगों के लिए लॉकडाउन ने बड़ा झटका दिया है। यही कारण है कि उद्योगपतियों ने सरकार से रियायत की मांग की है।
बीएसपी के सहयोगी उद्योग भी प्रभावित
बीएसपी में उत्पादन घटने का असर उसके सहयोगी उद्योगों पर भी पड़ा है। दुर्ग- भिलाई में ऐसे करीब 140 से अधिक सहायक उद्योग हैं, जो बीएसपी समेत अन्य बड़े प्लांटों का सहयोग करते हैं। इनमें लगभग 15 हजार कर्मचारी जुड़े हैं। इनका प्रतिदिन का टर्नओवर तीन से चार करोड़ रुपये का है। बीएसपी एन्सलरी इंड्रस्ट्रीज एसोसिएशन के संरक्षक केके झा के अनुसार लॉकडाउन ने इन उद्योगों की कमर तोड़ दी है। अब सरकार के सहयोग के बिना इन उद्योगों का खड़ा हो पाना मुश्किल होगा।
लगभग सभी प्लांट बंद
लगभग सभी प्लांट बंद हैं। केवल वही प्लांट आंशिक रूप से चलाए जा रहे हैं जिन्हें तकनीकी कारणों से चलना जरूरी है। मांग भी उतनी नहीं है, कुछ आर्डर है भी तो परिवहन की सुविधा नहीं होने के कारण सप्लाई नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे में उद्योगों को चालू करने के लिए पहले इन उद्योगों के उत्पादों के लिए डिमांड सेंटर शुरू करने पड़ेंगे- प्रदीप टंडन, चेयरमैन- भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ, छत्तीसगढ़।
उद्योग पूरी तरह बंद हैं, हालात यह है कि लॉकडाउन खुलने के बाद भी उद्योगों को चालू करना मुश्किल दिख रहा है। स्पंज और स्टील उद्योगों की कमर टूट गई है। अब जब तक सरकार की तरफ से सकारात्मक पहल नहीं की जाएगी, तब तक इन उद्योगों का उबरना मुश्किल है-विजय झवर, को-चेयरमैन छत्तीसगढ़ स्पंज आयरन एसोसिएशन।