झीरम घाटी नरसंहार जांच आयोग के खिलाफ याचिका पर सुनवाई पूरी, फैसला सुरक्षित
प्रतिपरीक्षण का कार्य भी पूरा हो गया है। लिहाजा अब अन्य गवाहों के प्रतिपरीक्षण की आवश्यकता नहीं है।
बिलासपुर, राज्य ब्यूरो। छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित झीरम घाटी नरसंहार की जांच कर रहे आयोग के निर्णय के खिलाफ राज्य शासन की याचिका पर सोमवार को हाई कोर्ट में सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस पीआर रामचंद्र मेनन और जस्टिस पीपी साहू की डिवीजन बेंच ने सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रखा है।
मई 2013 में नक्सलियों ने किया था झीरम घाटी में कांग्रेस परिवर्तन यात्रा पर हमला
बता दें कि मई 2013 में नक्सलियों ने बस्तर संभाग की झीरम घाटी में कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा पर हमला किया था। हमले में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के तत्कालीन अध्यक्ष नंदकुमार पटेल उनके बेटे दीपक पटेल सहित प्रमुख कांग्रेसी नेताओं की हत्या कर दी गई थी।
रमन सरकार ने झीरम घाटी हत्याकांड की जांच के लिए जस्टिस मिश्रा कमेटी का किया था गठन
पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने झीरम घाटी हत्याकांड की जांच के लिए हाई कोर्ट के जस्टिस प्रशांत मिश्रा की अगुवाई में एकल सदस्यीय जांच कमेटी का गठन किया था। आयोग द्वारा सुनवाई की जा रही है। गवाही के बाद प्रतिपरीक्षण का दौर तकरीबन पूरा हो गया है।
भूपेश सरकार के अन्य गवाहों का प्रतिपरीक्षण कराने के आवेदन को आयोग ने किया खारिज
आयोग की सुनवाई पूरी होने के बाद राज्य सरकार ने तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह, गृह मंत्री और तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री, विधायक देवती कर्मा, तुलिका कर्मा सहित पांच अन्य गवाहों का आयोग के समक्ष प्रतिपरीक्षण कराने का आवेदन दिया था। राज्य शासन के आवेदन को आयोग ने यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि घटना के संबंध में पर्याप्त गवाही हो चुकी है। इसके अलावा प्रतिपरीक्षण का कार्य भी पूरा हो गया है। लिहाजा अब अन्य गवाहों के प्रतिपरीक्षण की आवश्यकता नहीं है।
राज्य शासन ने हाई कोर्ट में पेश की थी याचिका, सिंगल बेंच ने आयोग के निर्णय को सही ठहराया
आयोग के फैसले के खिलाफ राज्य शासन ने हाई कोर्ट के सिंगल बेंच में याचिका दायर की थी। मामले की सुनवाई के बाद जस्टिस पी सैम कोशी ने आयोग के निर्णय को सही ठहराते हुए शासन की याचिका को खारिज कर दिया था। सिंगल बेंच में याचिका खारिज होने के बाद राज्य शासन ने डिवीजन बेंच में रिट याचिका दायर की है।