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जानें, क्या आज अर्नब गोस्वामी को मिल सकती है जमानत, बॉम्बे हाई कोर्ट में सुनवाई

रिपब्लिक पब्लिक मीडिया नेटवर्क के प्रधान संपादक अर्नब गोस्वामी को गुरुवार को बॉम्बे हाई कोर्ट से अंतरिम राहत नहीं मिल सकी। अदालत ने यह कहते हुए सुनवाई शुक्रवार तक के लिए स्थगित कर दी कि वह इस मामले को विस्तार से सुनना चाहती है।

By Shashank PandeyEdited By: Published: Fri, 06 Nov 2020 07:57 AM (IST)Updated: Fri, 06 Nov 2020 08:13 AM (IST)
अर्नब गोस्वामी को कल हाइकोर्ट से राहत नहीं मिली।

मुंबई, एजेंसियां। अर्नब गोस्वामी की जमानत याचिका मामले पर बॉम्बे हाई कोर्ट में आज एक बार फिर से सुनवाई होगी। रिपब्लिक टीवी के एडिटर-इन-चीफ अर्नब गोस्वामी को गुरुवार को हाइकोर्ट से राहत नहीं मिली थी। रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क के प्रधान संपादक अर्नब गोस्वामी को गुरुवार को बॉम्बे हाई कोर्ट से अंतरिम राहत नहीं मिल सकी। अदालत ने यह कहते हुए सुनवाई शुक्रवार तक के लिए स्थगित कर दी कि वह इस मामले को विस्तार से सुनना चाहती है। अब आज इस मामले में एक बार फिर से हाई कोर्ट में सुनवाई होगी, देखना होगा क्या अर्नब को आज कोर्ट से राहत मिलेगी ?

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अर्नब गोस्वामी को बुधवार देर रात अलीबाग कोर्ट ने एक इंटीरियर डिजाइनर की आत्महत्या के मामले में 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था। अर्नब ने जमानत के साथ-साथ अपनी गिरफ्तारी को गैरकानूनी बताते हुए खुद पर लगे आरोपों को रद करने की याचिका भी उच्च न्यायालय में दायर कर रखी थी। लेकिन, उनकी तरफ से कई नामी वकीलों की जिरह के बावजूद उन्हें कोर्ट से राहत नहीं मिल सकी।

न्यायमूर्ति एसएस शिंदे एवं एमएस कार्णिक ने कहा कि वे दोनों पक्षों को सुनने के बाद शुक्रवार को इस मामले में फैसला सुनाएंगे। पीठ ने अर्नब से अपनी याचिका में मृत इंटीरियर डिजाइनर अन्वय की पत्नी तथा अन्य सूचना देने वालों के अलावा केंद्र सरकार को भी पार्टी बनाने एवं उन्हें याचिका की प्रतियां उपलब्ध कराने के निर्देश दिए।

कोर्ट ने कहा कि वह शुक्रवार को अन्वय की पुत्री आज्ञा की याचिका पर भी सुनवाई करेगा, जिसमें उसने अपने पिता की आत्महत्या के मामले की पुन: जांच की मांग की है। अर्नब की ओर से पेश वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कोर्ट से तत्काल राहत देने की मांग करते हुए कहा कि अंतरिम जमानत दे देने से महाराष्ट्र में आसमान नहीं टूट पड़ेगा। जब नागरिकों की आजादी का सवाल हो तो प्रक्रियाओं में राहत दी जा सकती है। अन्वय आत्महत्या मामले की जांच फिर से शुरू किए जाने को पूरी तरह गैरकानूनी बताते हुए अर्नब के दूसरे वकील आबाद पोंडा ने कहा कि बंद हो चुके मामले की फिर से जांच शुरू किया जाना स्थापित फौजदारी सिद्धांतों के ही खिलाफ है। 


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