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CAA प्रदर्शनों की घटनाओं पर दाखिल याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों के हाई कोर्टों को भेजा

Citizenship Amendment Act 2019 के खिलाफ हिंसक प्रदर्शनों की घटनाओं पर दायर की गई याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वह सीबीआइ जांच की मांग पर विचार कर सकती है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Tue, 17 Dec 2019 10:35 AM (IST)Updated: Tue, 17 Dec 2019 07:16 PM (IST)
CAA प्रदर्शनों की घटनाओं पर दाखिल याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों के हाई कोर्टों को भेजा
CAA प्रदर्शनों की घटनाओं पर दाखिल याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों के हाई कोर्टों को भेजा

नई दिल्‍ली, ब्‍यूरो/एजेंसी। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने संशोधित नागरिकता कानून (Citizenship Amendment Act 2019) के खिलाफ हिंसक उपद्रव की घटनाओं के सिलसिले में दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए मंगलवार को कहा कि याचिकाकर्ताओं को पहले संबंधित हाई कोर्टों में जाना चाहिए। सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने यह भी पूछा कि दिल्ली में प्रदर्शन के दौरान बसों को कैसे जलाया गया। 

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अदालत में जामिया मिल्लिया इस्‍लामिया यूनिवर्सिटी के छात्र संगठन के वकील ने कहा था कि उच्चतम न्यायालय को शांतिपूर्ण प्रदर्शन के अधिकार की रक्षा करनी चाहिए। वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने कहा कि एएमयू, जामिया के छात्रों के खिलाफ कई मामले दर्ज किए गए हैं। इस पर मुख्‍य न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्‍यक्षता वाली पीठ ने कहा कि संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने जैसे अपराधों के लिए कानून के तहत प्राथमिकी दर्ज की जानी चाहिए। 

अदालत ने जामिया यूनिवर्सिटी के कुलपति के मीडिया में दिए बयान पर विचार करने से इंकार कर दिया। न्यायालय ने कहा कि वह किसी भी न्यायिक नतीजे पर पहुंचने के लिए समाचार पत्रों की रिपोर्टों पर निर्भर नहीं होगा। पीठ ने कहा कि हमने अपनी फैसले से अवगत करा दिया है कि विरोध प्रदर्शन के मामलों में तथ्यों का पता लगाने की कवायद के लिए याचिकाकर्ताओं को पहले हाई कोर्टों का रुख करना चाहिए।  

सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से अदालत को बताया गया कि कोई भी छात्र जेल में नहीं है। घालय छात्रों को पुलिस अस्पताल ले गई थी। इसके बाद अदालत ने केंद्र सरकार से पूछा कि प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार करने से पहले उन्हें कोई नोटिस क्यों नहीं दिया गया। शीर्ष अदालत ने यह भी पूछा कि क्या घायल छात्रों को मेडिकल सहायता दी गई थी। अदालत ने कहा कि हाई कोर्ट जांच के लिए उचित कमेटी बनाएं जिसमें सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज शामिल हों।

अदालत ने अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय की ओर से दाखिल याचिका पर भी सुनवाई की। याचिका को मुख्‍य न्यायाधीश एसए बोबडे की अगुवाई वाली पीठ के समक्ष तत्काल सुनवाई के लिए उल्लेख किया गया। पीठ ने कहा कि हम हिंसा के मामले पर गौर करेंगे। हालांकि, अदालत ने यह भी कहा कि देश में जो कुछ हो रहा है वह उन सभी को अपने अधिकार क्षेत्र में नहीं मान सकती है। याचिका में मांग की गई है कि हिंसा की घटनाओं की सीबीआइ या अदालत की निगरानी में एसआइटी से जांच कराई जाए। 

अदालत ने कहा कि हम सभी अदालतों का क्षेत्राधिकार नहीं ले सकते हैं। हर जगह की घटना और परिस्थितियां अलग अलग हो सकती हैं। ऐसे मामले पहले हाई कोर्ट जाने चाहिए। समाचार एजेंसी पीटीआइ के मुताबिक, शीर्ष अदालत ने कहा कि वह नागरिकता संशोधन कानून 2019 के खिलाफ हिंसा की सीबीआई या अदालत की निगरानी वाली एसआईटी जांच की मांग पर विचार करने के लिए तैयार है।   

इस बीच द्रमुख (DMK) ने भी नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।  

अदालत ने सोमवार को वकील इंदिरा जयसिंह (Indira Jaising) की याचिका पर कहा था कि हम शांतिपूर्ण प्रदर्शनों के खिलाफ नहीं हैं लेकिन हम कानून व्‍यवस्‍था को हाथ में लेने की इजाजत नहीं दे सकते हैं। मुख्‍य न्‍यायाधीश एसए बोबड़े (Chief Justice SA Bobde) ने कहा था कि वह चाहते हैं कि हिंसा रुके। हम अधिकारों का निर्धारण करेंगे लेकिन दंगे की हालातों में यह नहीं हो सकता है। 

मुख्‍य न्‍यायाधीश ने कहा था कि पहले हिंसा शां‍त होनी चाहिए तब बाद में हम पूरे मामले पर विचार करेंगे। हम अधिकारों और शातिंपूर्ण प्रदर्शनों के खिलाफ नहीं हैं। हम शांति को लेकर आश्‍वस्‍त होना चाहते हैं लेकिन यदि आप सड़क पर उतरना चाहते हैं तो हमारे पास न आएं। इंदिरा जयसिंह (Indira Jaising) ने शीर्ष अदालत (Supreme Court) से कहा था कि अदालत इस मसले पर संज्ञान ले क्‍योंकि ऐसी घटनाएं मानवाधिकार का उल्लंघन हैं।  

बता दें कि देश में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के विरोध के नाम पर असम और बंगाल से शुरू हुई हिंसा की लपटों ने रविवार को राजधानी दिल्ली और उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ को अपनी चपेट में ले लिया था। दिल्ली के जामिया मिल्लिया विश्‍वविद्यालय और अलीगढ़ के एएमयू में उपद्रवियों ने सबसे ज्यादा बवाल किया। दिल्ली में कई बसें फूंक दी गईं। यहां छात्रों, पुलिसकर्मियों और दमकलकर्मियों समेत करीब 40 लोग घायल हो गए थे। 


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