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सारधा घोटालाः स्टेटस रिपोर्ट में कोलकाता के पूर्व पुलिस आयुक्त राजीव कुमार के बारे में हैं गंभीर बातें

सुप्रीम कोर्ट ने कोलकाता के पूर्व पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार से CBI की स्टेटस रिपोर्ट पर 10 दिनों के भीतर जवाब देने को कहा था।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Tue, 26 Mar 2019 10:06 AM (IST)Updated: Wed, 27 Mar 2019 07:11 AM (IST)
सारधा घोटालाः स्टेटस रिपोर्ट में कोलकाता के पूर्व पुलिस आयुक्त राजीव कुमार के बारे में हैं गंभीर बातें
सारधा घोटालाः स्टेटस रिपोर्ट में कोलकाता के पूर्व पुलिस आयुक्त राजीव कुमार के बारे में हैं गंभीर बातें

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सारधा चिटफंड घोटाले की जांच में सहयोग नहीं देने के आरोपित कोलकाता के पूर्व पुलिस आयुक्त राजीव कुमार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को राजीव कुमार से की गई पूछताछ के बारे में दाखिल स्टेटस रिपोर्ट देखकर कहा कि रिपोर्ट में बहुत गंभीर बातें हैं। कोर्ट ने सीबीआइ को राजीव कुमार के खिलाफ उचित आदेश मांगने के लिए 10 दिन में अर्जी दाखिल करने की छूट दी है।

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प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, दीपक गुप्ता और संजीव खन्ना की पीठ ने सारधा चिटफंड घोटाले में पश्चिम बंगाल के वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ दाखिल सीबीआइ की अवमानना याचिका पर सुनवाई के दौरान ये आदेश दिए। सीबीआइ ने सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल कर सारधा चिटफंड घोटाले की जांच कर रही पश्चिम बंगाल एसआइटी के मुखिया पूर्व कोलकाता पुलिस आयुक्त राजीव कुमार पर साक्ष्यों से छेड़छाड़ करने और न्यायालय के आदेश की अवहेलना करने का आरोप लगाया है। साथ ही पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव मलय कुमार डे, पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) वीरेंद्र पर भी अवमानना के आरोप लगाए हैं।

सील बंद लिफाफे में दाखिल की गई रिपोर्ट
सीबीआइ ने राजीव कुमार से की गई पूछताछ की स्टेटस रिपोर्ट सील बंद लिफाफे में कोर्ट मे दाखिल की थी। मंगलवार को कोर्ट ने स्टेटस रिपोर्ट देखकर कहा कि रिपोर्ट में कुछ चीजें बहुत गंभीर हैं। कोर्ट ने सीबीआइ की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल से कहा है कि वह स्टेटस रिपोर्ट के आधार पर राजीव कुमार के खिलाफ उचित आदेश मांगने के लिए 10 दिन में अर्जी दाखिल करें और उसकी प्रति राजीव कुमार व अन्य पक्षों को दें। वे लोग उसके बाद सात दिन में अपना जवाब दाखिल कर सकते हैं।

'गंभीर तथ्य दिखते हैं तो क्या उस पर आंखे मूंदे रहें'
पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से पेश वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने सीबीआइ को अर्जी दाखिल करने की छूट का विरोध किया, जिस पर पीठ ने कहा कि अगर उन्हें कुछ गंभीर तथ्य दिखते हैं तो क्या उस पर आंखे मूंदे रहें। हालांकि कोर्ट ने मंगलवार को कोई आदेश जारी नहीं किया और कहा कि स्टेटस रिपोर्ट सील बंद लिफाफे में दाखिल की गई है और उसकी प्रति दूसरे पक्ष के पास नहीं है इसलिए वे दूसरे पक्ष को सुने बगैर अभी कोई आदेश नहीं दे सकते। इसके साथ ही कोर्ट ने मंगलवार को पश्चिम बंगाल के डीजीपी और मुख्य सचिव को न्यायालय की अवमानना के आरोपों से फिलहाल मुक्त करने की मांग ठुकरा दी।

सीबीआइ ने कहा, राजीव कुमार ने सौंपे अपूर्ण साक्ष्य
इससे पहले सीबीआइ ने स्टेटस रिपोर्ट के अलावा सीबीआइ निदेशक की ओर से दाखिल किए गए हलफनामे का जिक्र करते हुए बताया कि सीबीआइ कोर्ट के आदेश पर सारधा घोटाले की जांच कर रही है। सारधा घोटाले की जांच कर रही पश्चिम बंगाल एसआइटी के मुखिया राजीव कुमार ने जांच में कई साक्ष्य एकत्रित किए थे। लेकिन सीबीआइ को उन्होंने अपूर्ण साक्ष्य सौंपे और उनसे छेड़छाड़ भी की गई है। राजीव कुमार ने फोन कॉल का अपूर्ण रिकॉर्ड सीबीआइ को सौंपा। उस रिकॉर्ड से अहम लोगों के नाम और नंबर गायब हैं।

धरने पर बैठ गई थीं ममता बनर्जी
इस मामले में नाटकीय मोड़ तब आया जब तीन फरवरी को सीबीआइ अधिकारी कोलकाता के तत्कालीन पुलिस आयुक्त राजीव कुमार के घर गए और उन्हें राज्य पुलिस ने बंधक बना लिया। बाद में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सीबीआइ कार्रवाई के खिलाफ धरने पर बैठ गई थीं और उनके साथ राजीव कुमार भी धरने में शामिल थे। इस घटना के अगले ही दिन आनन फानन में सीबीआइ सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी और उसने अधिकारियों पर कोर्ट के आदेश की अवमानना का आरोप लगाया था।

कोर्ट ने पांच फरवरी को राजीव कुमार को पूछताछ के लिए शिलांग में सीबीआइ के समक्ष पेश होने और जांच में सहयोग करने का आदेश दिया था। कोर्ट ने यह भी कहा था कि सीबीआइ राजीव कुमार के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं करेगी और न ही गिरफ्तार करेगी। जबकि सीबीआइ ने कोर्ट से राजीव कुमार के तत्काल समर्पण का आदेश मांगा था। इसके बाद गत 27 फरवरी को कोर्ट ने सीबीआइ से राजीव कुमार पर लगाए गए साक्ष्यों से छेड़छाड़ के आरोपों का ब्योरा मांगा था।


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