Move to Jagran APP

Article-370 हटाने के बाद लगी पाबंदियों के मामले में सुप्रीम कोर्ट का केंद्र सरकार को नोटिस

Supreme Court issues notice to Centre जम्‍मू-कश्‍मीर में अनुच्‍छेद-370 हटाए जाने के बाद लगाई गई पाबंदियों के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को नोटिस जारी किया है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Mon, 30 Sep 2019 09:17 AM (IST)Updated: Mon, 30 Sep 2019 01:09 PM (IST)
Article-370 हटाने के बाद लगी पाबंदियों के मामले में सुप्रीम कोर्ट का केंद्र सरकार को नोटिस

नई दिल्‍ली, एजेंसी। जम्‍मू-कश्‍मीर में अनुच्‍छेद-370 हटाए जाने के बाद लगाई गई पाबंदियों के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सुनवाई की। सर्वोच्‍च अदालत ने जम्‍मू-कश्‍मीर में अस्‍पतालों में इंटरनेट सेवाओं की बहाली की मांग पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी करके जवाब मांगा है। याचिकाओं में मांग की गई है कि अदालत सरकार को निर्देश दे ताकि राज्‍य के सभी अस्‍पतालों एवं चिकित्‍सा संस्‍थानों में तत्‍काल प्रभाव से इंटरनेट एवं लैंडलाइन टेलीफोन सेवाओं की बहाली हो सके।

loksabha election banner

इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने जम्मू-कश्मीर में संविधान के अनुच्छेद-370 के अधिकतर प्रावधानों को हटाने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं को अपनी संविधान पीठ को भेज दिया। अब मुख्‍य न्‍यायाधीश रंजन गोगोई की अगुवाई वाली पांच न्‍यायाधीशों की संव‍िधान पीठ मंगलवार से इन याचिकाओं पर सुनवाई करेगी। इन याचिकाओं में कश्मीर में पत्रकारों के आवागमन पर लगाए गए कथित प्रतिबंधों और घाटी में नाबालिगों की कथित हिरासत का दावा किया गया है।  

सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई पर केंद्र सरकार और जम्‍मू-कश्‍मीर प्रशासन को नोटिस जारी करके पूछा था कि राज्‍य में हालात कब सामान्‍य होंगे। यही नहीं इसके लिए दो हफ्ते के भीतर जवाब के साथ हलफनामा दाखिल करने के निर्देश जारी किए गए थे। सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर में प्रतिबंधों को लेकर केंद्र सरकार को निर्देश दिया था कि राष्ट्रहित औरआंतरिक सुरक्षा को ध्यान रखते हुए कश्मीर में सामान्य जीवन बहाल करने के सभी प्रयास किए जाएं।

सुप्रीम कोर्ट ने आम जनता के लिए जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट तक पहुंचना मुश्किल बताए जाने की शिकायत को गंभीरता से लेते हुए मामले की जांच करने के लिए हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से रिपोर्ट तलब की थी। पकड़े गए नाबालिग बच्चों को हाई कोर्ट जुवेनाइल जस्टिस कमेटी के समक्ष पेश करने की वरिष्ठ अधिवक्ता हुफैजा अहमदी की मांग पर पीठ ने कहा कि जब आप खुद कह रहे हैं कि हाई कोर्ट कमेटी के समक्ष पेश किया जाए तो आप स्वयं हाई कोर्ट क्यों नहीं जाते। 

दो बाल अधिकार कार्यकर्ताओं की ओर से पेश अहमदी ने कहा था कि हाई कोर्ट तक पहुंचना मुश्किल है। इस पर प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि आप जो कह रहे हैं, यदि वैसा है तो ये बहुत गंभीर मामला है। हम इसकी जांच करेंगे। साथ ही प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि वह स्वयं हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से फोन पर बात करेंगे। अगर जरूरी हुआ तो हम जम्मू-कश्मीर जाएंगे, लेकिन ध्यान रहे कि अगर आरोप गलत हुए तो आप परिणाम भुगतने को तैयार रहें।  


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.