जम्मू कश्मीर में इंटरनेट सेवा व अन्य प्रतिबंधों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी
जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद से कुछ लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में केस दायर किया था इस मामले में सुनवाई चल रही है।
नई दिल्ली, एएनआइ। जम्मू कश्मीर में इंटरनेट सेवा व अन्य प्रतिबंधों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को फिर से सुनवाई शुरु हुई। सरकार की ओर से जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद वहां संचार माध्यम बंद कर दिए गए थे और कई अन्य प्रतिबंध लगा दिया गया था। इसको लेकर कश्मीर टाइम्स और कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है मंगलवार को भी सुनवाई हुई।
जम्मू और कश्मीर में अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद संचार और अन्य प्रतिबंधों के संबंध में कश्मीर टाइम्स के संपादक, अनुराधा भसीन और कांग्रेस नेता गुलाम नबी आज़ाद द्वारा दायर याचिकाओं के एक बैच पर सुनवाई कर रहा है। प्रशासन की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता इस मामले में पहले भी जवाब दे चुके हैं। उन्होंने कहा था कि लोगों की सुरक्षा करना हमारी जिम्मेदारी है। किसी भी शख्स के अधिकारों का हनन नहीं होना चाहिए, लेकिन संप्रभुता और अखंडता को खतरे में नहीं डाला जा सकता है।
इससे पहले 19 नवंबर मंगलवार को इस मामले की सुनवाई हुई थी। इस दौरान जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने अनुच्छेद 370 हटने के बाद राज्य में लगाए गए प्रतिबंधों को चुनौती देने वाली कश्मीर टाइम्स की संपादक अनुराधा भसीन,तहसीन पूनावाला, कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद तथा कुछ अन्य याचिकाकर्ताओं की ओर से दाखिल याचिकाओं पर दिन भर बहस सुनी। याचिकाकर्ताओं की ओर से कश्मीर में जारी प्रतिबंधों का जोरदार विरोध करते हुए कहा गया था कि सिर्फ कानून व्यवस्था बिगड़ने के अनुमान के आधार पर इतने लंबे समय से पूरे राज्य में पूर्ण प्रतिबंध लागू हैं। सौ दिन से ज्यादा बीत चुके हैं अभी तक इंटरनेट सेवाएं चालू नहीं हुई हैं। इंटरनेट सेवाओँ पर रोक अभिव्यक्ति की आजादी का उल्लंघन है।
इतना ही नहीं यह जीवन की आजादी के अधिकार का भी उल्लंघन है क्योंकि इंटरनेट पर रोक से चिकित्सा सेवाएं भी प्रभावित हो रही हैं। उन्होंने कहा कि अभी तक राज्य में परिवहन सेवाएं भी सामान्य नहीं हुई हैं। याचिकाकर्ताओं की ओर से कई वरिष्ठ वकीलों ने दिन भर लंबी चौड़ी बहस की। इससे पहले हुई सुनवाई में तीन सदस्यीय पीठ ने सॉलिसिटर जनरल से कहा था कि आपको याचिकाकर्ताओं के हर सवाल का जवाब देना होगा। आपके जवाबों से हम असंतुष्ट हैं और आपके जवाबों से हम किसी नतीजे पर पहुंचने में सफल नहीं हुए हैं। न्यायमूर्ति एन वी रमन की नेतृत्व वाली पीठ ने तुषार मेहता से कहा था कि जम्मू कश्मीर में प्रतिबंधों को चुनौती देने वाली याचिकाओं में विस्तृत जानकारी दी गई है और उन्हें सवालों का जवाब देना होगा।
तुषार मेहता ने अदालत में कहा था कि प्रतिबंधों पर याचिकाकर्ताओं ने ज्यादातर बात गलत कही हैं जिनका वह बहस के दौरान जवाब देंगे। उन्होंने कोर्ट को बताया था कि उनके पास मामले की स्थिति की रिपोर्ट है लेकिन अभी वह रिपोर्ट अदालत में दाखिल नहीं करना चाहते हैं। जम्मू कश्मीर में हर दिन स्थिति बदल रही है इसलिए रिपोर्ट दाखिल करते समय मैं वास्तविक ब्यौरा देना चाहता हूं। सॉलिसिटर जनरल ने कहा था कि कुछ दिन पहले ही जम्मू कश्मीर के स्कूल फिर से खोल दिए गए हैं, वहीं 917 स्कूल अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद कभी भी बंद नहीं किए गए थे।