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Coronavirus: स्वास्थ्य मंत्रालय की नई गाइडलाइंस, हल्के लक्षण वाले मरीजों को घर पर ही इलाज की इजाजत

स्वास्थ्य मंत्रालय ने ऐसे मरीजों के लिए नई गाइडलाइंस जारी करते हुए कहा कि घर पर रहने के लिए उन्हें डाक्टर की लिखित अनुमति लेनी होगी।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Tue, 28 Apr 2020 09:05 PM (IST)Updated: Wed, 29 Apr 2020 06:52 AM (IST)
Coronavirus: स्वास्थ्य मंत्रालय की नई गाइडलाइंस, हल्के लक्षण वाले मरीजों को घर पर ही इलाज की इजाजत

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सरकार ने कोरोना के ऐसे मरीजों को इलाज के दौरान अपने घर पर ही रहने की अनुमति दी है, जिनमें वायरस का प्रभाव बहुत कम हो। स्वास्थ्य मंत्रालय ने ऐसे मरीजों के लिए नई गाइडलाइंस जारी करते हुए कहा कि घर पर रहने के लिए उन्हें डाक्टर की लिखित अनुमति लेनी होगी। इसके साथ ही मरीज को लिखित में आश्वासन देना होगा कि वह घर पर रहते हुए सभी दिशानिर्देशों का पालन भी करेगा।

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नई गाइडलाइंस की जानकारी देते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा कि बड़ी संख्या में कोरोना के ऐसे मरीज सामने आए हैं, जिनमें इसके लक्षण बहुत ही कम दिखते हैं। न तो उन्हें तेज खांसी आती है और न ही तेज बुखार होता है। कोरोना के कई संक्रमित लोगों में इसके लक्षण ही नजर नहीं आते हैं। अभी तक भारत ने ऐसे सामान्य संक्रमित लोगों को कोविड केयर फैसिलिटी में रखने का प्रावधान किया था। जहां उन्हें डाक्टरों की देख-रेख में रखा जाता है। लेकिन अब ऐसे मरीजों को घर पर ही रहने की इजाजत दे गई है। अमेरिका समेत दुनिया के कई देशों में ऐसे मरीजों को घर पर रहने की इजाजत दी गई है।

घर पर रहने के दौरान अन्य सदस्यों से दूरी रखनी होगी

नई गाइडलाइंस के अनुसार घर पर रहने के दौरान ऐसे मरीज को परिवार के अन्य सदस्य से दूरी बनाकर रखनी होगी। उसे और उसकी देखभाल करने वाले परिवार के सदस्य को लगातार मास्क पहनना होगा। उसके खाने-पीने और कपड़े धोने के दौरान भी पर्याप्त सावधानी बरतनी होगी, ताकि परिवार के दूसरे सदस्यों तक कोरोना का इंफेक्शन फैलने से रोका जा सके। ऐसे मरीज को लगातार डाक्टर के संपर्क में रहना होगा, ताकि जरूरत पड़ने उसे तत्काल कोविड अस्पताल में भर्ती कराया जा सके।

कोरोना से संक्रमित 80 फीसद मरीजों में बहुत सामान्य लक्षण

ध्यान देने की बात है कि पूरी दुनिया में कोरोना से संक्रमित 80 फीसद मरीजों में बहुत सामान्य लक्षण दिखते हैं और वे सामान्य देखभाल से ही ठीक हो जाते हैं। बाकी 20 फीसदी मरीजों में से भी केवल पांच फीसदी की स्थिति गंभीर होती, जिन्हें इलाज के दौरान वेंटीलेंटर की जरूरत पड़ती है। जबकि 15 फीसदी मरीजों को कभी-कभी आक्सीजन सपोर्ट की जरूरत पड़ती है।


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