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आत्महत्या की कोशिश अब अपराध नहीं, अब सरकार करेगी पीड़ित की देखभाल

भारतीय दंड संहिता की धारा 309 के तहत आत्महत्या की कोशिश करने वाला व्यक्ति अपराधी माना जाता था लेकिन अब ऐसा नहीं होगा।

By Manish NegiEdited By: Published: Sat, 02 Jun 2018 10:25 PM (IST)Updated: Sat, 02 Jun 2018 10:25 PM (IST)
आत्महत्या की कोशिश अब अपराध नहीं, अब सरकार करेगी पीड़ित की देखभाल
आत्महत्या की कोशिश अब अपराध नहीं, अब सरकार करेगी पीड़ित की देखभाल

नई दिल्ली, आइएएनएस। भारत में आत्महत्या करने के लिए प्रयास करना अब अपराध नहीं रहा। मानसिक रूप से बीमार बच्चों को इलाज के लिए अब बिजली के झटके नहीं दिए जाएंगे। स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस बाबत अधिसूचना जारी कर दी है।

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भारतीय दंड संहिता की धारा 309 के तहत आत्महत्या की कोशिश करने वाला व्यक्ति अपराधी माना जाता था लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। लेकिन इसके लिए तनाव की अधिकता समेत पर्याप्त कारण बताने होंगे। अगर उसने किसी को फंसाने के लिए आत्महत्या की कोशिश की होगी, तो उस पर संशोधित अधिनियम में अलग प्रावधान हैं। नए प्रावधान के अनुसार सरकार पीड़ित व्यक्ति की देखभाल करेगी, उसका इलाज कराएगी और उसके पुनर्वास का बंदोबस्त करेगी। गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले लोगों के लिए पूरी कवायद मुफ्त होगी। माना जाएगा कि तनाव की अधिकता या मानसिक रूप से अस्वस्थ होने के चलते व्यक्ति ने आत्महत्या की कोशिश की। स्वास्थ्य मंत्रालय की अधिसूचना इस कृत्य को मानवाधिकारों से जोड़ने की पहल मानी जा रही है। आत्महत्या के प्रयास को अपराध से हटाकर मानसिक बीमारी के तौर पर स्वीकार किया गया है।

इसके अतिरिक्त अधिनियम में मानसिक बीमार बच्चों को इलेक्टि्रक शॉक (बिजली के झटके) देकर इलाज करना भी प्रतिबंधित कर दिया गया है। व्यस्कों को भी अब बेहोश करने और मांसपेशियों को राहत देने वाली दवा देने के बाद ही बिजली का झटका दिया जा सकेगा। साथ ही मानसिक रूप से बीमार व्यक्ति को जंजीर से जकड़े जाने पर भी रोक लगा दी गई है। कहा गया है कि सभी को सम्मान से जीने का अधिकार है, भले ही वह मानसिक रूप से बीमार ही क्यों न हो। इलाज के नाम पर मानसिक रूप से बीमार स्त्री या पुरुष का अब बंध्याकरण भी नहीं किया जा सकेगा। नई व्यवस्था में किसी भी आधार पर भेद नहीं किया जा सकेगा। सभी जाति, धर्म, लिंग के लोगों पर ये नियम लागू होंगे। मानसिक रूप से बीमार लोगों के कल्याण के लिए सरकार ने और भी कई प्रावधान किए हैं जिससे उनकी बेतरतीब जिंदगी में सुधार लाया जा सके।


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