क्लीनिक पंजीकरण के लिए न्यूनतम मानक बनाने का प्रस्ताव, स्वास्थ्य मंत्रालय ने मांगे सुझाव
केंद्र सरकार द्वारा नैदानिक स्थापना के तीसरे संशोधन नियम 2019 के मसौदे को स्वास्थ्य मंत्रालय की वेबसाइट पर जारी कर दिया गया है।
नई दिल्ली, प्रेट्र। स्वास्थ्य मंत्रालय ने अंग्रेजी और आयुर्वेदिक पद्धति से इलाज की सुविधा मुहैया कराने वाले क्लीनिक के लिए न्यूनतम मानक तय करने का प्रस्ताव किया है। इन मानकों को पूरा करने वाले पर ही क्लीनिक का पंजीकरण हो सकेगा।
नैदानिक स्थापना (केंद्र सरकार) नियम, 2019 के संशोधनों में प्रस्तावित 'न्यूनतम मानकों' के अनुसार इंफ्रास्ट्रक्चर, कर्मचारी, उपकरण, दवाइयां, सहायक सेवा और रिकॉर्ड का पालन नहीं करने वाले स्वास्थ्य संस्थानों का पंजीकरण नहीं किया जाएगा।
नैदानिक स्थापना (पंजीकरण एवं विनियमन) अधिनियम, 2010 के तहत क्लीनिक चलाने के लिए पंजीकरण को अनिवार्य बनाया गया है। फिलहाल मेडिकल डाइग्नोस्टिक लैब के लिए ही न्यूनतम मानक तय हैं, जिन्हें 21 मई, 2018 को अधिसूचित किया गया था। प्रस्तावित सुधारों का मकसद विभिन्न चिकित्सा प्रतिष्ठानों द्वारा उपलब्ध कराई जा रही चिकित्सा सेवाओं में एकरूपता लाना है।
नैदानिक स्थापना (केंद्र सरकार) तीसरा संशोधन नियम, 2019 के मसौदे को स्वास्थ्य मंत्रालय की वेबसाइट पर जारी कर दिया गया है और इससे प्रभावित होने वाले लोगों से 43 दिन के भीतर आपत्तियां और सुझाव मांगे गए हैं।
प्रस्तावित मानकों के मुताबिक क्लीनिक में मरीजों, उनके परिजनों, स्टाफ और आगंतुकों के लिए सुरक्षित वातावरण प्रदान करने के लिए भौतिक सुविधा का विकास और रखरखाव करना होगा। क्लीनिक स्वच्छ वातावरण वाले स्थान पर स्थित होना चाहिए और यदि कोई स्थानीय उपनियमों हों तो उनका समय-समय पर पालन किया जाना चाहिए।
बता दें कि क्लीनिक में इलाज करने के लिए आने वाले डॉक्टरों के नाम और पंजीकरण संख्या, उपलब्ध इलाज, डॉक्टरों के बैठने के समय और फीस के बारे में बोर्ड पर स्थानीय भाषा में जानकारी उपलब्ध होनी चाहिए। ये मानक उन सभी क्लीनिक पर लागू होंगे जहां एक या एक से ज्यादा चिकित्सक बैठते हों।