रेलवे कर्मियों के लिए हेल्थ इंश्योरेंस की तैयारी, मिलेगी निजी अस्पताल में इलाज की आजादी
बीमा की सूची में सम्मिलित अस्पतालों में इलाज कराने के कारण रेलवे को हर साल हजार-डेढ़ हजार करोड़ रुपये की राशि खर्च करनी पड़ती है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। रेलवे के बढ़ते खर्चो पर अंकुश लगाने की मुहिम के तहत रेलवे की स्वास्थ्य सेवाएं इंश्योरेंस के जरिए निजी अस्पतालों में हो सकती है। हाल ही में संपन्न रेलवे की परिवर्तन संगोष्ठी में रेल कर्मचारियों के निजी अस्पतालों में इलाज कराने की बढ़ती प्रवृत्ति और इस कारण रेलवे पर बढ़ते वित्तीय दबाव को लेकर चिंता जताई गई।
अधिकारियों की ओर से सुझाव आया कि बीमा की सूची में सम्मिलित अस्पतालों में इलाज कराने के कारण रेलवे को हर साल हजार-डेढ़ हजार करोड़ रुपये की राशि खर्च करनी पड़ती है। जबकि यदि यही इलाज हेल्थ इंश्योरेंस के जरिए कराया जाए तो आधे प्रीमियम से काम चल सकता है। इसलिए अस्पतालों की सूची समाप्त कर प्रत्येक कर्मचारी का हेल्थ इंश्योरेंस कराना चाहिए और रेलवे को उसका प्रीमियम भरना चाहिए। इससे खर्च तो घटेगा ही, कर्मचारियों को भी अपनी पसंद के निजी अस्पताल में इलाज कराने की ज्यादा आजादी मिलेगी।
अभी रेलवे में सभी जोन तथा उत्पादन इकाइयां अपने-अपने इलाकों के चुनिंदा निजी अस्पतालों तथा डायग्नास्टिक सेंटरों को सूचीबद्ध (एंपैनल) कर उनके साथ सीजीएचएस, ईसीएचएस अथवा ईएसआइ रेट पर इलाज की सुविधा देने के लिए समझौता करते हैं। पूरे देश में सभी जोनों व उत्पादन इकाइयों ने दो सौ से ज्यादा अस्पताल एंपैनल कर रखे हैं। दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई जैसे महानगरों से जुड़े जोनों में एंपैनल्ड अस्पतालों व डायग्नॉस्टिक केंद्रों की संख्या सबसे ज्यादा है।