स्वास्थ्य पर बजट बढ़ाना जरूरी: अमर्त्य सेन
अमर्त्य सेन ने यहां टाटा मेमोरियल सेंटर के प्लैटिनम जुबली समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि देश के स्वास्थ्य के लिए सीधे लोगों की सेहत से जुड़े उपायों पर तो ध्यान देने जरूरी है ही।
मुंबई, जागरण ब्यूरो। प्रख्यात अर्थशास्त्री और भारत रत्न अमर्त्य सेन का कहना है कि केंद्र और राज्य सरकारों को स्वास्थ्य के क्षेत्र में बजट में बड़ी बढ़ोतरी करनी जरूरी है। उन्होंने पोषण, स्वच्छता और सामाजिक समरसता जैसे मुद्दों को भी स्वस्थ भारत के लिए अहम बताया है। साथ ही निजी क्षेत्र के डॉक्टरों और अस्पतालों की ओर से हो रही मरीजों की लूट पर रोक लगाने को भी जरूरी बताया है।
अमर्त्य सेन ने यहां टाटा मेमोरियल सेंटर के प्लैटिनम जुबली समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि देश के स्वास्थ्य के लिए सीधे लोगों की सेहत से जुड़े उपायों पर तो ध्यान देने जरूरी है ही। साथ ही सामाजिक पैमानों पर भी हमें तरक्की करनी होगी। इस लिहाज से बच्चों के पोषण, गली-मोहल्लों की स्वच्छता, साफ पेयजल और सामाजिक समरसता जैसे मुद्दों पर भी ध्यान देना होगा। उन्होंने कहा कि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के मुकाबले अभी स्वास्थ्य पर खर्च लगभग एक फीसदी ही है। जबकि इसमें भारी बढ़ोतरी करने की जरूरत है क्योंकि स्वास्थ्य महज एक कमोडिटी नहीं बल्कि मूलभूत मानवीय जरूरत है।
उन्होंने कहा कि पिछले दो दशक के दौरान भारत स्वास्थ्य के क्षेत्र में और पिछड़ा है। तब दक्षिण एशिया में भारत ऊपर से दूसरे पायदान पर था, अब नीचे से दूसरे पायदान पर है। हमारे नीचे सिर्फ पाकिस्तान ही है। यहां तक कि बेहद कम प्रति व्यक्त आय वाले बांग्लादेश और नेपाल में भी अधिकांश पैमानों पर हमसे अच्छा प्रदर्शन कर दिखाया है। हमारे यहां सेहत का मुद्दा ना मीडिया की अहमियत पा रहा और ना ही राजनीति में। उन्होंने खास तौर पर प्राइवेट डॉक्टरों और अस्पतालों की ओर से मरीजों को गुमराह कर उनका शोषण किए जाने की ओर ध्यान देने को जरूरी बताया।
नोटबंदी को मिसाइल बता गए सेन
प्रख्यात अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने नोटबंदी की तुलना एक मिसाइल से करते हुए कहा है कि यह कहां जा कर लगी, इसका लोगों को अब तक पता नहीं चल सका है। सेन नरेंद्र मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों के आलोचक रहे हैं।
टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च के एक कार्यक्त्रम में उन्होंने कहा, 'एक दिन अचानक खबर आई कि नोटबंदी लागू कर दी गई है। यह ऐसी मिसाइल है, जिसे रातों-रात दाग तो दिया गया। मगर यह कहां जा कर लगी है इसका अब तक किसी को पता नहीं चल सका है।'