कोरोना संक्रमण की लड़ाई में प्राणायाम से मजबूत करें फेफड़े और बढ़ाएं रोग प्रतिरोधक क्षमता
Health Benefits of Yoga प्राणायाम हमारे फेफड़ों को मजबूत करने के साथ ही रोगों से लड़ने की क्षमता को भी विकसित करता है। हम आपको बता रहें हैं प्रमुख प्राणायाम और उन्हें कैसे किया जाए।
नई दिल्ली, जेएनएन। Health Benefits of Yoga: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम के जरिये एक बार फिर देश को संबोधित किया है। इस दौरान उन्होंने कोरोना से लड़ने में प्राणायाम और योग के फायदे गिनाए। उन्होंने कहा कि ये वायरस हमारे रेस्पिरेटरी सिस्टम (श्वसन प्रणाली) को प्रभावित करता है।
ऐसे में हमें इस रोग से बचने के लिए परंपरागत तरीकों की ओर लौटना चाहिए। जिनमें सबसे आसान और सबसे कारगर तरीका प्राणायाम है। प्राणायाम हमारे फेफड़ों को मजबूत करने के साथ ही रोगों से लड़ने की क्षमता को भी विकसित करता है। हम आपको बता रहें हैं प्रमुख प्राणायाम और उन्हें कैसे किया जाए।
कपालभाति: कपालभाति में कमर सीधी रखें और सिद्धासन में बैठकर दोनों हाथों को ज्ञान मुद्रा में रखें। श्वांस को नाक से तेजी से बाहर छोड़ें व पेट को अंदर की ओर खींचें। ध्यान रखें कि श्वांस लेनी नहीं है, सिर्फ छोड़नी है। इससे श्वांस स्वत: ही अंदर चली जाएगी।
लाभ: शरीर से टॉक्सिंस को बाहर निकालने में मदद करता है। अस्थमा, वजन कम करने, कब्ज, एसिडिटी, पेट संबंधी रोग दूर होते हैं। इम्युनिटी बढ़ाता है और श्वसन मार्ग को साफ करता है। मस्तिष्क को सक्रिय करने में मदद करता है।
भस्त्रिका : भस्त्रिका का शाब्दिक अर्थ धौंकनी है। धौंकनी की तरह आवाज करते हुए शुद्ध वायु को अंदर लिया जाता है और अशुद्ध वायु को बाहर फेंका जाता है। सिद्धासन में बैठकर गर्दन और रीढ को सीधा रखें। तेज गति से श्वांस लें और छोड़ें। ध्यान रखें कि श्वांस लेते समय पेट फूलना चाहिए और श्वांस छोड़ते समय पेट सिकुड़ना चाहिए।
लाभ: फेफड़ों की कार्यक्षमता को बढ़ाता है। वात, पित्त, कफ के दोषों को दूर करता है। मोटापा, दमा और श्वांस रोग दूर होते हैं। स्नायु रोगों में भी लाभकारी है।
उज्जायी प्राणायाम: सुखासन में बैठकर मुंह को बंद कर नाक के छिद्रों से वायु को फेफड़ों में भरने तक सांस खींचें। कुछ देर वायु को अंदर ही रखें और फिर नाक के दांए छिद्र को बंद कर वायु को धीरे-धीरे बाहर निकालें। ध्यान रखें कि वायु को अंदर और बाहर खींचते समय खर्राटें की आवाज आए।
लाभ: श्वांस नलिका, थॉयराइड, स्वर तंत्र को संतुलित करता है। कई बीमारियों से बचाता है।
भ्रामरी: सुविधाजनक आसन में बैठकर आंखें बंद कर शरीर को शिथिल करें। कानों को अंगूठे से बंद करें और चारों अंगुलियों को सिर पर रखें। लंबी और गहरी श्वांस लें और फिर श्वांस को मधुमक्खी के गुंजन जैसी आवाज करते हुए सांस बाहर निकालें।
लाभ: भय, अनिद्रा, चिंता, गुस्सा और मानसिक विकारों में लाभकारी है। साइनस के रोगियों के लिए फायदेमंद।
अनुलोम-विलोम: सिद्धासन में बैठकर दाहिने हाथ के अंगूठे से दाहिने नथुने को बंद करें और बाएं से श्वांस लें। पांच तक गिनती करें और फिर बाएं नथुने को बंद करें और दाएं नथुने से पांच की गिनती करते हुए आहिस्ता से श्वांस छोड़ें। अब यही क्रम बाएं हाथ और बाएं नथुने से दोहराएं। इस तरह से अनुलोम विलोम प्राणायाम का एक चक्र पूरा होता है।
लाभ: नाड़ियों को शुद्ध करता है। तनाव, अवसाद कम करता है। एकाग्रता में सुधार और रक्त परिसंचरण को ठीक करता है।
शीतली: आरामदायक स्थिति में बैठकर के जीभ को मोड़कर के नली का आकार दें और मुंह के बाहर निकालकर श्वांस को पूरी क्षमता से अंदर लें।
लाभ: रक्तचाप कम करता है। पित्त दोष, डिप्रेशन को दूर करता है। गर्मी से निजात दिलाता है। मानसिक शांति प्रदान करता है।