सेहत के लिए रामबाण है लाफा साग, हृदय रोग, एनीमिया व गर्भवती महिलाओं को अनमोल वरदान
कोसी और सीमांचल क्षेत्रों (बिहार) में मुख्यत पाया जाने वाला यह साग पोषक तत्वों का खजाना है। पुराने जमाने में लोग इस साग को खाकर खुद को स्वस्थ रखते थे।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। बिहार के पूर्णिया में जिस हरे साग को लाफा के नाम से जाना जाता है, भले ही देश के अलग-अलग हिस्सों में उसे दूसरे नामों से पुकारा जाता हो, लेकिन उसकी पौष्टिकता वही होगी जो लाफा साग की है। कोसी और सीमांचल क्षेत्रों (बिहार) में मुख्यत: पाया जाने वाला यह साग पोषक तत्वों का खजाना है। हमारे आसपास सहज रूप से मौजूद पोषण के इस खजाने का इस्तेमाल करने की जगह विटामिंस की गोलियों पर बढ़ती निर्भरता हमारी बदलती सोच को दर्शाती है। पुराने जमाने में लोग इस साग को खाकर खुद को स्वस्थ रखते थे।
मौजूद प्रमुख पोषक तत्व
प्रोटीन, आवश्यक अमीनो एसिड, एंटीऑक्सीडेंट्स, विटामिन और खनिज
रोगों को भगाए दूर
हृदय रोग, एनीमिया, त्वचा और पाचन विकार जैसी कई बीमारियों के लिए यह रामबाण है।
लस्सेदार साग
इसकी खेती जनवरी और फरवरी में होती है। लस्सेदार साग का स्वाद भी अन्य से अलग होता है। इसे चावल के साथ बड़े चाव के साथ खाया जाता है। तभी तो यह स्वाद और सेहत का खजाना है।
पोषक तत्वों से लबरेज, खाएं साग रोज
न्यूट्रिशियन बताते हैं कि हरे पत्तों वाले साग-सब्जियों में सबसे अधिक पोषक तत्व पाए जाते हैं। लाफा साग का सेवन ज्यादातर सर्दियों में किया जाता है। यह हमारा स्वास्थ्य अच्छा बनाए रखने में मदद करता है। लाफा के पत्ते पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं। एक बार काटने और सुखाने के बावजूद इनमें प्रोटीन, आवश्यक अमीनो एसिड, एंटीऑक्सीडेंट्स, विटामिन और खनिज प्रचुर मात्रा में मौजूद रहते हैं। हृदय रोग, एनीमिया, त्वचा और पाचन विकार जैसी कई बीमारियों के लिए यह रामबाण है।
लाफा साग की खेती
लाफा साग लोगों के लिए वरदान है
खासकर गर्भवती महिलाओं के लिए यह तो रामबाण है। आयरन, कैल्शियम लाफा साग में काफी मात्रा में मौजूद रहता है। गर्भवती महिलाएं विटामिन व मिनरल के लिए तरह-तरह की एलोपैथिक गोलियों का प्रयोग करती हैं, जबकि सिर्फ एक कटोरी लाफा साग से गर्भवती महिलाएं उसके बराबर पोषक तत्व प्राप्त कर सकती हैं।
सारिका कुमारी, न्यूट्रिशियन, पूर्णिया डाइट क्लिनिक
(पूर्णिया से मनोज कुमार का इनपुट)