नहीं हुई गंगा की सफाईः एनजीटी ने कड़ी नाराजगी जताई
दो साल में करीब 7 हजार करोड़ खर्च करने के बावजूद गंगा नदी की अपेक्षित सफाई नहीं हो पाई है। यह अभी भी 'गंभीर पर्यावरणीय समस्या' बनी हुई है।
नई दिल्ली [पीटीआइ]। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने गुरुवार को गंगा की सफाई न होने को लेकर कड़ी नाराजगी जताई है। प्राधिकरण ने कहा कि गंगा की स्थिति पहले ही बहुत खराब थी और इसकी सफाई के लिए बमुश्किल कोई काम हुआ है। जस्टिस एके गोयल की बेंच ने कहा कि अधिकारियों के गंगा के कायाकल्प के बड़े-बड़े दावों के बावजूद पर्याप्त काम नहीं हुआ है।
बेंच ने कहा कि इसके लिए नियमित तौर पर निगरानी रखनी जरूरी थी। बेंच ने गंगा में फैले प्रदूषण को लेकर सर्वेक्षण का सुझाव दिया है ताकि ये पता लगाया जा सके कि आम आदमी इस बारे में क्या सोचता है और कहा है कि सर्वेक्षण की प्रतिक्रिया संबंधित अधिकारियों को मेल के माध्यम से भेजी जा सकती है।
बेंच ने आगे कहा, यह (गंगा) देश की सबसे प्रतिष्ठित नदी है, जिसमें 100 करोड़ से ज्यादा लोगों की आस्था है लेकिन हम इसकी रक्षा करने में अक्षम हैं। हमें मिलकर एक मजबूत और प्रभावशाली योजना बनाने की जरूरत है।
एनजीटी इससे पहले गोमुख और उन्नाव के बीच गंगा नदी को साफ करने के लिए केंद्र के अलावा उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकारों द्वारा उठाए गए कदमों पर की रिपोर्ट न सौंपने के लिए स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) को भी खिंचाई कर चुकी है।
हरित पैनल, जिसमें कि जस्टिस गोयल के अलावा जस्टिस जवाद रहीम और एससस राठौड़ भी शामिल हैं, इससे पहले गंगा के कायाकल्प के लिए कुछ निर्देश भी जारी कर चुकी है, जिनमें हरिद्वार व उन्नाव के बीच गंगा के किनारे-किनारे 100 मीटर के दायरे को 'नो डेवलेपमेंट जोन' घोषित करना शामिल है। इसके अलावा नदी के 500 मीटर के दायरे में कूड़ा फेंकने पर रोक लगाने के भी आदेश शामिल थे।
हरित पैनल ने कहा कि सरकार गंगा की सफाई के लिए दो साल में करीब 7 हजार करोड़ रुपये खर्च कर चुकी है लेकिन यह अभी भी 'गंभीर पर्यावरणीय समस्या' बनी हुई है।