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कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में हैप्पी हाइपोक्सिया निभा रहा साइलेंट किलर की भूमिका, चुपके से थाम लेता है जीवन की सांसें

दूसरी लहर में हैप्पी हाइपोक्सिया ऑफ कोविड कोरोना संक्रमण में साइलेंट किलर की भूमिका निभा रहा है। संक्रमण न होने पर भी यह स्थिति बन सकती है। ऑक्सीजन स्तर गिरने पर तत्काल डॉक्टर से परामर्श लें। हर दिन अपने शरीर का ऑक्सीजन स्तर ऑक्सीमीटर से पता करें।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Tue, 27 Apr 2021 09:13 PM (IST)Updated: Tue, 27 Apr 2021 09:13 PM (IST)
कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में हैप्पी हाइपोक्सिया निभा रहा साइलेंट किलर की भूमिका, चुपके से थाम लेता है जीवन की सांसें
कोरोना संक्रमण की वह स्थिति जिसमें मरीज को ऑक्सीजन कम होने का पता नहीं चलता।

अजय उपाध्याय, ग्वालियर। हैप्पी हाइपोक्सिया, सिर्फ इसके नाम के आगे हैप्पी या खुशी जुड़ा है जबकि यह कोरोना की जानलेवा स्थिति है। कोविड-19 के ऐसे मरीज जिनमें संक्रमण के मामूली लक्षण होते हैं या नहीं भी होते, उनमें ऑक्सीजन का स्तर लगातार नीचे चला जाता है। यही नहीं ऑक्सीजन का स्तर 70 से 80 फीसद से नीचे जाने पर भी कोविड की इस स्थिति का पता नहीं चलता, लेकिन शरीर में कार्बन डाई ऑक्साइड का स्तर बढ़ जाता है। ऐसे में शरीर के कई महत्वपूर्ण अंग काम करना बंद कर देते हैं और अचानक कार्डियक अरेस्ट या ब्रेन हेमरेज के कारण जीवन की डोर थम जाती है।

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कोरोना की दूसरी लहर में हैप्पी हाइपोक्सिया के कारण 15 फीसद मौतें

विशेषज्ञ बताते हैं कि कोरोना की दूसरी लहर में हैप्पी हाइपोक्सिया के कारण करीब 15 फीसद मौतें हुई हैं। समय-समय पर शरीर के ऑक्सीजन स्तर की जांच करके इस स्थिति से बचा जा सकता है। ग्वालियर में कोरोना के चलते अप्रैल के 26 दिन में मौत का आंकड़ा 350 से ऊपर पहुंच चुका है। इसमें 15 फीसद मरीज हैप्पी हाइपोक्सिया ऑफ कोविड के शिकार बने हैं।

सामान्य व्यक्ति का ऑक्सीजन स्तर 95 से 100 फीसद के बीच होता

गजराराजा मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग के प्रो. संजय धवले बताते हैं कि एक सामान्य व्यक्ति का ऑक्सीजन स्तर 95 से 100 फीसद के बीच होता है।

संक्रमण होने से ऑक्सीजन स्तर गिरता है पर इसका आभास मरीज को नहीं होता 

हैप्पी हाइपोक्सिया ऑफ कोविड में मरीज के शरीर में संक्रमण होने से उसका ऑक्सीजन स्तर गिरता है पर इसका आभास उसे नहीं होता। इसी खुशफहमी की वजह से इसे हैप्पी हाइपोक्सिया कहा जाता है। ऑक्सीजन का स्तर 70 से 80 तक पहुंचने पर भी मरीज को सांस लेने में परेशानी नहीं होती।

ऑक्सीजन का स्तर काफी कम हो जाता है और मरीज को सांस लेने में परेशानी होने लगती है

शरीर में ऑक्सीजन घट रही होती है और कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर बढ़ रहा होता है। ऐसे में फेफड़ों में सूजन आने पर ऑक्सीजन रक्त में नहीं मिल पाता। इससे मस्तिष्क में ऑक्सीजन की कमी से कोशिकाएं मरने लगती हैं अन्य अंग खराब होने लगते हैं। मरीज चिढ़चिढ़ा हो जाता है, अपनी धुन में रहने लगता है। जब अचानक से ऑक्सीजन का स्तर काफी कम होता है तब सांस लेने में परेशानी होती है, तब तक काफी देर हो चुकी होती है। ऐसे मरीज की रिकवरी देरी से होती है या फिर नहीं भी हो पाती।

हैप्पी हाइपोक्सिया: अस्पताल में सामान्य दिखते हैं कोविड से पीड़ित मरीज 

डॉक्टर बताते हैं कि हैप्पी हाइपोक्सिया ऑफ कोविड से पीड़ित मरीज देखने में सामान्य नजर आते हैं। शरीर में सामान्य से अधिक कार्बन डाइऑक्साइड बढ़ने से मरीज बेहोशी की हालत में पहुंच जाता है। कई बार तो घर वालों को भी पता नहीं चलता और मरीज की मौत हो जाती है।

हर संक्रमित व्यक्ति गाइडलाइन का पालन कड़ाई से करना चाहिए

ऐसे में जरूरी है कि हर संक्रमित व्यक्ति गाइडलाइन का पालन कड़ाई से करे। हर दिन अपने शरीर का ऑक्सीजन स्तर ऑक्सीमीटर से पता करें। यदि ऑक्सीजन लेवल 94 से कम आता है तो अस्पताल में भर्ती हों। शरीर या व्यवहार में परिवर्तन महसूस हो तो डॉक्टर से परामर्श लें।

कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में हैप्पी हाइपोक्सिया निभा रहा साइलेंट किलर की भूमिका 

दूसरी लहर में हैप्पी हाइपोक्सिया ऑफ कोविड कोरोना संक्रमण में साइलेंट किलर की भूमिका निभा रहा है। संक्रमण न होने पर भी यह स्थिति बन सकती है। ऑक्सीजन स्तर गिरने पर तत्काल डॉक्टर से परामर्श लें-डॉ. मनीष शर्मा, एसोसिएट प्रोफेसर, जीआर मेडिकल कॉलेज, ग्वालियर और ड्यूटी डॉक्टर, सुपर स्पेशियलिटी [कोविड हास्पिटल]।


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