2015 तक देश के आधे गांवों में होगा इंटरनेट
अमृतसर [रमेश शुक्ला 'सफर']। वर्ष 2015 में घर-घर रोजगार हो या न हो, रोटी मिले न मिले, लेकिन इंटरनेट होगा। भारत 2015 में ऐसा देश होगा, जिसके लगभग आधे गांव ग्लोबल पैकेट सर्विस [जीपीएस] यानि इंटरनेट से जुड़ जाएंगे। यह किसी चुनावी सभा में बोला गया नेता का बयान नहीं है, बल्कि सूचना का अधिकारी [आरटीआइ] के तहत दिए गए जवाब में इसका
अमृतसर [रमेश शुक्ला 'सफर']। वर्ष 2015 में घर-घर रोजगार हो या न हो, रोटी मिले न मिले, लेकिन इंटरनेट होगा। भारत 2015 में ऐसा देश होगा, जिसके लगभग आधे गांव ग्लोबल पैकेट सर्विस [जीपीएस] यानि इंटरनेट से जुड़ जाएंगे। यह किसी चुनावी सभा में बोला गया नेता का बयान नहीं है, बल्कि सूचना का अधिकारी [आरटीआइ] के तहत दिए गए जवाब में इसका दावा किया गया है।
सितंबर, 2015 तक देश के 2,47,864 गांव इंटरनेट से जुड़ जाएंगे। जबकि अब तक 1,57,895 गांव इंटरनेट से जुड़ चुके हैं। पुडुचेरी देश का पहला राज्य है, जिसके सभी 98 गांवों में इंटरनेट है। उत्तर प्रदेश जैसे राज्य के 52,125 में से 49,914 गांवों के लोग इंटरनेट चलाते हैं, जबकि मध्य प्रदेश के 23,022 में से मात्र 4199 गांवों में ही इंटरनेट है। चंडीगढ़ के 17 गांवों में से 16 गांव इंटरनेट से लिंक हैं। यह आंकड़ा भारत सरकार ने अमृतसर के डीएवी कालेज के प्रोफेसर संदीप कुमार की ओर से मांगी गई आरटीआइ के जवाब में दिया है।
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प्रो. संदीप कुमार ने 23 दिसंबर, 2013 को भारत सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्यूनिकेशन से इसकी जानकारी मांगी थी। भारत सरकार ने जवाब दिया है कि पंजाब के 12,809 में से 11,170 गांवों तक इंटरनेट पहुंच चुका है। जम्मू-कश्मीर, राजस्थान जहां काफी पीछे हैं, वहीं हिमाचल प्रदेश व हरियाणा में बीएसएनएल की पहुंच अधिकांश घरों तक हो चुकी है। यह सुविधा भारत संचार निगम लिमिटेड [बीएसएनएल] की है। देश के हर गांव में सितंबर 2015 तक इंटरनेट पहुंचाने के लिए बीएसएनएल ने रेलटेल और पॉवर ग्रिड के साथ हाथ मिलाया है।
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