हादिया बोली- मुसलमान के रूप में ही जीवन बिताना चाहती थी, इसलिए सुप्रीम कोर्ट गई
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद हदिया ने कहा कि वह मुसलमान के रूप में जीवन बिताना चाहती थीं, इसीलिए वह सुप्रीम कोर्ट गईं।
तिरुवनंतपुरम, (एएनआइ)। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद हदिया उर्फ अखिला अशोकन ने अपनी खुशी जाहिर की। कथित लव जिहाद मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद हादिया ने कहा कि वह मुसलमान के रूप में जीवन बिताना चाहती थीं, इसीलिए वह सुप्रीम कोर्ट गईं। इसी के साथ हादिया ने दावा किया कि उनके परिवार वालों ने उन्हें घर में बंद कर दिया था। इस दौरान उन्हें काफी प्रताड़ना से भी गुजरना पड़ा।
घर में बंद कर दिया गया था
हदिया ने कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट के फैसले से बेहद खुश हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने कहा कि मुझे घर में बंद कर दिया गया था, इसलिए मुझे कुछ भी पता नहीं था। बाहर निकलने के बाद पता चला कि लोग मेरे साथ खड़े हैं। मैं उन सभी लोगों को धन्यवाद देना चाहती हूं जिन्होंने मेरी स्वतंत्रता के लिए लड़ाई लड़ी। मैं अपनी आजादी के लिए लड़ाई लड़ रही थी, इसीलिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
कोर्ट ने पति से मिलने की अनुमति दी
हादिया ने आगे कहा कि मैं किसी के ऊपर कोई भी आरोप नहीं लगाना चाहती हूं। मेरे दो साल केवल कानूनी लड़ाई लड़ने में बीत गए। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने मुझे अपने पति से मिलने की अनुमति दी। अतत: मुझे न्याय मिला। उन्होंने कहा, 'संविधान उन्हें अपना पति चुनने की अनुमति देता है लेकिन मुझे अपने ही घर में बंद कर दिया गया।' हादिया ने कहा की मुझे 100 फीसद विश्वास है कि मैंने कोई गलती नहीं की लेकिन मुझे घर में कैद कर दिया गया जो इस देश में नहीं होना चाहिए।
मुसलमान के रूप में जीवन बिताना चाहती हूं
हादिया ने कहा कि मैं दो कारणों से सुप्रीम कोर्ट गईं। पहला कारण था कि मैं एक मुसलमान के रूप में जीवन बिताना चाहती हूं और दूसरा कारण यह था कि वह अपने पति के साथ रहना चाहती थीं। अब जब भी मैं घर में रुकती हूं अच्छा लगता है। मैं कोर्ट के फैसले के बेहद खुश हूं। मेरा संघर्ष तब शुरू हुआ जब मैंने शादी की। फिर मैं कोर्ट पहुंची। मुझे काफी प्रताड़ना से गुजरना पड़ा। कोर्ट की लड़ाई में मेरी कस्टडी मेरे माता-पिता को सौंप दी गई।
इस्लाम धर्म अपनाने के चलते सब हुआ
इससे पहले हादिया ने शनिवार को दिए अपने बयान में कहा था कि ये सारा कुछ मेरे इस्लाम धर्म अपनाने के चलते हुआ। उन्होंने आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट से हमारी शादी को बरकरार रखने पर हमें आजादी महसूस हुआ। संविधान सभी को अपना धर्म चुनने की आजादी देता है। यह सभी नागरिकों का मूल अधिकार है। उन्होंने कहा कि परेशानी के दिनों में केवल पीएफआइ ने हमारी मदद की। यहां तक कि दो मुस्लिम संगठनों से भी हमने मदद मांगी लेकिन उन्होंने इन्कार कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने निकाह को बहाल किया
गौरतलब है कि आठ मार्च को शीर्ष अदालत ने उनकी शादी को रद करने के केरल हाई कोर्ट के फैसले को खारिज कर निकाह को फिर से बहाल कर दिया था।। कोर्ट ने कहा कि एनआईए इस मामले से निकले पहलुओं की जांच जारी रख सकता है। कोर्ट के बाहर शफी के वकील ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले से हादिया को आजादी दी है। हादिया पूर्व में अखिला अशोकन ने इस्लाम कुबूल कर शफीन जहां से शादी कर ली थी। हादिया के पिता का आरोप था कि आतंकी संगठनों से जुड़े लोगों ने जबरन उसका धर्म परिवर्तन कराया।