मेहंदी का रंग भी नहीं पड़ा फीका और मिट गया सुहाग
देश के दुश्मनों से लड़ते हुए गुरसेवक सिंह की शहादत से परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। मां-बहन व अन्य परिजनों का रो-रोककर बुरा हाल है। पिता के पास सांत्वना देने वालों के लिए कोई शब्द नहीं है, लेकिन शहीद की विधवा पर तो विपत्ति आ गई है।
अंबाला। देश के दुश्मनों से लड़ते हुए गुरसेवक सिंह की शहादत से परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। मां-बहन व अन्य परिजनों का रो-रोककर बुरा हाल है। पिता के पास सांत्वना देने वालों के लिए कोई शब्द नहीं है, लेकिन शहीद की विधवा पर तो विपत्ति आ गई है। अभी उसके हाथ की मेहंदी का रंग भी नहीं फीका पड़ा था कि सुहाग ही उजाड़ गया।
गरनाला के गुरसेवक सिंह की शादी गत 19 नवंबर को रोपड़ (पंजाब) स्थित कुराली गांव की जसप्रीत कौर के साथ हुई थी। कुछ दिन पहले 28 दिसंबर को ही गुरसेवक परिजनों और पत्नी के साथ तीन दिन की छुट्टी बिताकर ड्यूटी पर लौटे थे। जाते वक्त पत्नी से वादा किया था कि अगली बार छुट्टी पर आएगा तो उसकी भाई की शादी के लिए खूब शॉपिंग करेगा।
गुरसेवक के पिता सुच्चा सिंह ने बताया कि बेटा नए साल से महज तीन दिन पहले ही ड्यूटी पर आदमपुर के लिए रवाना हुआ था। इससे पहले वह 24 नवंबर को घर आया था और 28 नवंबर को वापस लौट गया था। वह बताते हैं कि गुरसेवक का रिश्ता तो डेढ़ साल पहले ही हो गया था लेकिन लड़की का भाई विदेश में था जिस कारण शादी में देरी हुई। गुरसेवक ड्यूटी पर गया तो जसप्रीत कौर भी मायके चली गई।
गुरसेवक के शहीद होने की खबर उसे देने की किसी की हिम्मत नहीं हो रही थी। कलेजे पर पत्थर रखकर सुच्चा सिंह ने बहू के परिजनों को दुखभरी खबर दी तो वहां मातम छा गया। कुछ समय बाद शहीद की पत्नी व उसके परिजन जब गरनाला पहुंचे तो चारों ओर केवल रुदन की आवाज थी।
गुरसेवक की मां अमरीक कौर सुबह से ही उसके फोटो को छाती से लगाकर बस रो-रोकर उसे बुला रही थी। सात साल का भतीजा चाचू के खोने पर आंसू नहीं रोक पा रहा था। उसके बड़े भाई का बेटा हर्षप्रीत शहीद गुरसेवक का सबसे लाड़ला था।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने वायु सेना के गरूड़ कमांडो शहीद गुरसेवक सिंह की शहादत पर शोक व्यक्त किया है। उन्होंने शहीद के परिजनों को 20 लाख रुपये की वित्तीय सहायता देने की घोषणा भी की है।