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इस पाकिस्तानी महिला ने खोली पोल, कहा- आतंक का सहारा लेकर खुद अपने लोगों की आवाज दबा रहा PAK

पाकिस्तान की महिला कार्यकर्ता गुलालाई इस्माइल ने एकबार फिर पाकिस्तान का आतंक पर चेहरा बेनकाब कर दिया है।

By Shashank PandeyEdited By: Published: Fri, 25 Oct 2019 08:49 AM (IST)Updated: Fri, 25 Oct 2019 09:59 AM (IST)
इस पाकिस्तानी महिला ने खोली पोल, कहा- आतंक का सहारा लेकर खुद अपने लोगों की आवाज दबा रहा PAK
इस पाकिस्तानी महिला ने खोली पोल, कहा- आतंक का सहारा लेकर खुद अपने लोगों की आवाज दबा रहा PAK

नई दिल्ली, एएनआइ। पाकिस्तान की मानवाधिकार कार्यकर्ता गुलालाई इस्माइल ने एकबार फिर पाकिस्तान की पोल खोल दी है। गुलालाई इस्माइल ने कहा कि मेरे पिता का अपहरण पाकिस्तानियों को आतंक के नाम पर डराने की कोशिश है। उन्होंने पाकिस्तान पर आरोप लगाया कि  वहां महिलाओं और लोगों को आतंकवाद से डराया जा रहा है। पाकिस्तान ऐसे लोगों को निशाना बना रहा है जो अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ रहे हैं।

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गुलालाई इस्माइल ने ट्वीट करते हुए लिखा, 'मेरे पिता का अपहरण कर पाकिस्तान उन महिलाओं को आतंकित करने की कोशिश कर रहा जिन्होंने उनके पिता का समर्थन किया और पाकिस्तान से असहमति जताई। अब पाकिस्तान ऐसे लोगों को आतंक के नाम पर डराने की कोशिश कर रहा है'। गुलालाई इस्माइल ने एक पाकिस्तानी मानवाधिकार कार्यकर्ता के ट्वीट का जवाब देते हुए यह बात कही, जिन्होंने उनके पिता को जेल में यातनाएं दिए जाने को लेकर चिंतित हैं।

गुलालाई इस्माइल जो फिलहाल अमेरिका में राजनीति शरण की मांग कर रही है, उन्होंने दावा किया है कि उनके पिता को गुरुवार को मिलिशिया पोशाक पहले लोगों ने पेशावर हाइकोर्ट से बाहर से किडनैप कर लिया था। महिला अधिकार कार्यकर्ता पर पाकिस्तान में राजद्रोह का आरोप लगाया गया था और बाद में सितंबर में वह पाकिस्तान छोड़कर भाग गईं।

पिछले महीने न्यूयॉर्क में मीडिया के साथ बातचीत के दौरान, इस्माइल ने इस्लामाबाद में अपने माता-पिता की सुरक्षा के बारे में अपनी चिंताओं को आवाज़ दी थी। गुलालाई ने कहा, "मैं अभी भी अपने माता-पिता के घर और भूमिगत नेटवर्क के बारे में चिंतित हूं।

वह अब पाकिस्तान में उत्पीड़न का शिकार अल्पसंख्यकों के लिए उम्मीद का नया चेहरा बन गई हैं, जो न्यूयॉर्क की सड़कों पर इस्लामाबाद के अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाते हैं। पिछले महीने, इस्माइल को न्यूयॉर्क की सड़कों पर देखा गया था, जो पाकिस्तान में दशकों से अल्पसंख्यकों का सामना कर रहे दुर्दशा और दुखों को उजागर करता है।


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