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Ahmedabad News: गुजरात में आरटीआई लगाने की सजा, नौ लोगों पर सरकारी अधि‍कारियों को परेशान करने के लगे आरोप, आजीवन बैन की मिली सजा

सरकारी अधिकारियों से बार-बार सवाल पूछकर उन्‍हें परेशान करने के आरोप में नौ लोगों पर आजीवन आरटीआई दाखिल करने को लेकर बैन लगा दिया गया है। आयोग ने इनके कई सवालों को बेतुका बताया। कहा कि इनका इरादा कई बार बदला लेना था इसलिए इन पर बैन लगाया गया है।

By Arijita SenEdited By: Published: Tue, 09 Aug 2022 06:06 PM (IST)Updated: Tue, 09 Aug 2022 06:06 PM (IST)
नौ लोगों पर आजीवन आरटीआई दाखिल करने को लेकर बैन लगा दिया गया है

अहमदाबाद, एजेंसी। गुजरात में आरटीआई के जरिए सरकारी अधिकारियों से बार-बार सवाल पूछकर उन्‍हें परेशान करने के आरोप में नौ लोगों पर आजीवन आरटीआई दाखिल करने को लेकर बैन लगा दिया गया है। गुजरात सूचना आयोग की तरफ से यह कार्रवाई की गई है। इसके तहत अब सूचना के अधिकार का उपयोग कर वे सवाल नहीं कर सकेंगे और आगे से न ही उनके आवेदनों पर जवाब दिया जाएगा।

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गुजरात सूचना आयोग के इस कदम का एक एनजीओ ने विरोध किया है। एनजीओ ने पहले पिछले दो सालों में सूचना आयोग के अधिकारियों के दिए गए फैसले का विश्‍लेषण किया और पाया कि गुजरात में यह पहली दफा है जब लोगों को सूचना हासिल करने के अधिकार से जिदंगी भर के लिए वंचित किया गया है।

आयोग ने कहा है कि इन नौ लोगों ने आरटीआई अधिनियम का बार-बार उपयोग किया है और अधिक मात्रा में सवाल पूछकर अधिकारियों को परेशान किया है। इनकी आरटीआई दुर्भावनापूर्ण थी और इनका इरादा पूरी तरह से बदला लेना था।

मालूम हो कि लोगों पर आजीवन बैन लगाने के आदेश का विश्‍लेषण महिती अधिकार गुजरात पहल ने किया।

आयोग ने आनंद जिले में पेटलाड शहर के आवेदक हितेश पटेल पर आरटीआई का दुरुपयोग करने के लिए पर 5,000 रुपए का जुर्माना भी लगाया है।

एनजीओ के पंक्ति जोग ने कहा है, ''गुजरात में ऐसा पहली दफा हो रहा है कि लोगों को सूचना मांगे के अधिकार से वंचित किया जा रहा है। जबकि आरटीआई अधिनियम के तहत आवेदकों पर प्रतिबंध लगाने का कोई प्रावधान नहीं है। यहां तक कि केंद्रीय सूचना आयोग ने भी एक आरटीआई के जवाब में कहा है कि ऐसा कोई प्रावधान वजूद में नहीं है।''

जोग ने कहा है कि इस फैसले को गुजरात हाईकोर्ट में चुनौती दी जा सकती है।

गांधीनगर की स्कूल शिक्षिका अमिता मिश्रा द्वारा उनकी सेवा पुस्तिका और वेतन विवरण की एक प्रति मांगी गई थी। इस पर सुनवाई करते वक्‍त सूचना आयुक्त के एम अध्वर्यु ने कहा कि वह जिस संस्‍था में काम कर रही है उसी को परेशान करने पर तुली हुई हैं। वह बार-बार एक ही चीज जानना चाहती है, उन्‍हें गलत आरोप लगाने की आदत है। उन्‍हें कड़ी सर्व विद्यालय और गांधीनगर जिला शिक्षा अधिकारी से आगे से जानकारी लेने से रोक दिया गया ।

एनजीओ के मुताबिक, इस सूची में सूरत के अर्जुनसिंह सोलंकी भी शामिल हैं जिन्‍हें दक्षिण गुजरात विज कंपनी लिमिटेड (डीजीवीसीएल) से जानकारी मांगने से रोक दिया गया क्योंकि उनके सवालों का जनहित से कोई लेना-देना नहीं है और यह आरटीआई अधिनियम का दुरुपयोग है।

यह देखते हुए कि सोलंकी पहले से ही बिजली चोरी के कई मामलों का सामना कर रहा है और 2011 और 2021 के बीच उसने कई आरटीआई दायर किए थे जीआईसी ने कहा कि वह अधिकारियों को परेशान करने के लिए ऐसा कर रहा था इसलिए आयोग ने डीजीवीसीएल को आगे से उसके किसी भी आरटीआई प्रश्न पर विचार नहीं करने का निर्देश दिया।

आयोग ने मोडासा कस्बे के कस्बा के एक स्कूल कर्मचारी सत्तार मजीद खलीफा पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया क्‍योंकि सुनवाई के दौरान अधिकारियों के सामने उसका बर्ताव सही नहीं था। यह सुनवाई वर्चुअल तरीके से हो रही थी।

सूचना आयुक्त के एम अध्वर्यु ने अपने फैसले में कहा कि उसे जिला शिक्षा अधिकारियों कोई भी सवाल पूछने का अधिकार नहीं है क्‍योंकि उसका बर्ताव, हाव-भाव सही नहीं था और वह लगातार अधिकारियों के साथ-साथ आयोग को भी परेशान कर रहा था।

प्रतिबंधि‍तों की इस सूची में निलंबित बस कंडक्टर मनोज सरपदादिया भी शामिल है। उस पर अब गुजरात के किसी भी कार्यालय से जानकारी प्राप्‍त करने से रोक लगा दिया गया है। जीआईसी ने कहा कि सरपदादिया ने करीब 150 आरटीआई दाखिल किया है। उसने जिस तरह के सवाल पूछे हैं वे आरटीआई के दायरे में नहीं आते हैं। इससे अधिकारी बेवजह परेशान हो रहे थे।


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