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मीडिया पर एफआइआर दर्ज करने के बारे में तय हो दिशा- निर्देश, SC में दाखिल की गई याचिका

सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल हुई है जिसमें किसी खबर या डिबेट पर मीडिया अथवा पत्रकार के खिलाफ एफआइआर दर्ज होने के बारे में दिशा- निर्देश तय करने की मांग की गई है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Sat, 23 May 2020 08:24 PM (IST)Updated: Sun, 24 May 2020 02:11 AM (IST)
मीडिया पर एफआइआर दर्ज करने के बारे में तय हो दिशा- निर्देश, SC में दाखिल की गई याचिका
मीडिया पर एफआइआर दर्ज करने के बारे में तय हो दिशा- निर्देश, SC में दाखिल की गई याचिका

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो।सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल हुई है जिसमें किसी खबर या डिबेट पर मीडिया अथवा पत्रकार के खिलाफ एफआइआर दर्ज होने के बारे में दिशानिर्देश तय करने की मांग की गई है। कहा गया है कि प्रेस काउंसिल आफ इंडिया (पीसीआइ) या न्यायिक अथारिटी की मंजूरी के बगैर किसी खबर या डिबेट पर मीडिया अथवा पत्रकार के खिलाफ प्राथमिकी (एफआइआर) दर्ज नहीं होनी चाहिए। हालांकि याचिका पर सुनवाई की अभी कोई तारीख तय नहीं है।

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कोई स्पष्ट कानून न होने से कानून का दुरुपयोग 

सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका मुंबई में रहने वाले घनश्याम उपाध्याय ने अपने वकील विष्णु शंकर जैन के जरिये दाखिल की है। याचिका में कुछ घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा गया है कि इस बारे में कोई स्पष्ट कानून न होने की स्थिति में सुप्रीम कोर्ट को उचित दिशा-निर्देश जारी करने चाहिए। मीडिया लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माना जाता है और सुप्रीम कोर्ट हमेशा से मीडिया की अभिव्यक्ति की आजादी का हिमायती और रक्षक रहा है। कुछ असंतुष्ट लोगों द्वारा रुटीन में खबरों अथवा डिबेट पर मीडिया के खिलाफ बेवजह की एफआइआर नहीं दर्ज होनी चाहिए। मीडिया को इससे छूट मिलनी चाहिए ताकि वे बिना किसी भय के स्वतंत्र होकर अपने कर्तव्य का पालन कर सकें। 

एफआइआर और अभियोजन के लिए प्रेस काउंसिल आफ इंडिया की मंजूरी जरूरी 

याचिका में मांग है कि किसी खबर या डिबेट पर मीडिया अथवा पत्रकार के खिलाफ आइपीसी की धारा 295ए, 153, 153ए, 153बी, 298, 500, 504, 505(2),506(2) और साथ में 120बी के तहत एफआइआर और अभियोजन के लिए प्रेस काउंसिल आफ इंडिया या कोर्ट द्वारा तय की गई न्यायिक अथारिटी की मंजूरी जरूरी होनी चाहिए। मालूम हो कि ये धाराएं समुदायों के बीच सौहार्द बिगाड़ने व मानहानि के अपराध से संबंधित हैं।

याचिका में मांग की गई है कि दिशा-निर्देश तय किए जाएं कि मंजूरी देने वाली अथारिटी तय समय के भीतर उपरोक्त धाराओं में एफआइआर दर्ज करने की मंजूरी मांगने वाली अर्जी का निपटारा करेगी। कहा गया है कि इस बारे में जारी की जाने वाले दिशा निर्देश उन्हीं अखबारों या न्यूज चैनल पर लागू हों जिनकी एक निश्चित पाठक या दर्शक संख्या हो। यह संख्या कोर्ट तय कर सकता है।


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